कलश जिसे घड़ा भी कहते हैं भारतीय समाज में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसका उपयोग पाठ-पूजा के दौरान किया जाता है। कलश आम तौर पर पीतल या ताम्बे का होता है और पूजा के दौरान कलश के मुख पर एक नारियल रखा जाता है। कलश भारतीय वास्तुकला में कई जगह नज़र आता है। हिन्दू धर्म में पूर्ण-कलश को पवित्र और जीवन का स्रोत माना जाता है। इसे सोम-कलश, पूर्णघट, चन्द्र-कलश, इंद्र-कुम्भ, पूर्ण-विराकम्स्य, भद्र घट या मंगल घट भी कहते हैं। यह माना जाता है कि कलश में अमृत होता है और इसे विद्या और अमरता का प्रतीक माना जाता है। हिन्दू देवी-देवता जैसे संचालक ब्रह्मा, विनाशक भगवान शिव और शिक्षिका देवी लक्ष्मी के हाथों में हम कलश देख सकते हैं।
गृह-प्रवेश या हवन के दौरान पूर्ण कलश को पूजा जाता है। पूरे भारत में कलश को वास्तु पर देखा जाता है। जौनपुर में नवरात्रि के दौरान प्रत्येक घर में कलश की पूजा की जाती है जिसके ऊपर जौ के दाने लगाये जाते हैं जो कि 9 दिन में काफी बड़े उग जाते हैं। कलश मंगल को प्रदर्शित करता है। जैसा कि आज कल विवाहों का समय चल रहा है तो यदि हम मंडप में देखते हैं तो इसके मध्य में कलश रखा जाता है जो कि एक शुभ सूचक है।
कलश या पूर्णघट को ज्ञान, धन, शक्ति आदि की प्रचुरता का भी घोतक माना जाता है। पूर्णघट महानता को प्रस्तुत करता है। विभिन्न वास्तुकलाओं में यह बनाने वाले की महत्वाकांक्षा को प्रदर्शित करता है। जौनपुर में ही प्राप्त विभिन्न वास्तुकलाओं से पूर्णघट कलश के साक्ष्य प्राप्त होते हैं। पूर्णघट को अहंकार और गौरव के साथ भी जोड़ा जा सकता है, जैसा की धन, सम्प्रभुत्व, ज्ञान, स्वास्थ आदि अलग-अलग बिंदु हैं जिनकी अति कभी अच्छी नहीं होती और कलश उसी ओर इशारा करता है। ज्ञान गौरव को प्रदर्शित करता है तो वहीँ धन और शक्ति अहंकार को जन्म देते हैं।
पूर्ण कलश चक्र के पाँच तत्वों को भी दर्शाता है -
*पृथ्वी - कलश का चौड़ा तल पृथ्वी को दर्शाता है।
*जल – कलश का विस्तारित केंद्र जल को दर्शाता है।
*अग्नि - कलश का गला अग्नि को दर्शाता है।
*वायु - कलश का मुख वायु को दर्शाता है।
*आकाश - नारियल और आम के पत्ते आकाश को दर्शाते हैं।
पकिस्तान के चित्राल इलाके में एक ऐसे समुदाय के लोग रहते हैं जो सिकंदर के समय से हैं तथा इनको कलश नाम से ही जाना जाता है। आइए उनके विषय में कुछ जानें -
पाकिस्तान एक इस्लामिक देश है जहाँ 95 प्रतिशत आबादी इस्लाम धर्म का पालन करती है। मगर कलश लोगों की यह ख़ास बात है कि उनका अपना एक अलग धर्म, भाषा और संस्कृति है और उनके रहन-सहन का तरीका भी अन्य पाकिस्तानियों से अलग है। कलश लोगों की त्वचा का रंग गोरा है और उनकी आँखे नीली है। लोग यह मानते हैं कि उनके पूर्वज ग्रीक से थे, लोग यह भी मानते हैं कि उनके पूर्वज सिकंदर के सिपाही थे जो सिकंदर के साथ भारत के दौरे पर आए थे। कलश लोग पाकिस्तान के चित्राल ज़िले में रहते हैं जो कि ख्य्बेर पख्तुन्ख्वा इलाके में आता है। इन लोगों का बसेरा बुम्बोरेट, बिरीर और रुम्बुर में भी है। पाकिस्तान में कुल 3,000 कलश समुदाय के लोग रहते हैं।
1.https://en.wikipedia.org/wiki/Kalasha
2.https://www.hindu-blog.com/2008/02/significance-of-purna-kumbha.html
3.http://www.ancient-origins.net/history-ancient-traditions/are-discintive-kalash-people-pakistan-really-descendants-alexander-great-021731
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