जौनपुर की प्राचीनता

सभ्यता : 10000 ई.पू. से 2000 ई.पू.
07-06-2017 12:00 PM
जौनपुर की प्राचीनता
किसी भी स्थान के इतिहास को मुख्यतया दो भागों में विभाजित कर के देखा जा सकता है 1- प्रागैतिहासिक इतिहास 2- लिखित इतिहास। प्रागैतिहासिक इतिहास का सन्दर्भ ये है की जब लेखन कला का उदय ना हुआ था तथा व्यक्ति यायावर जीवन व्यतीत करता था। भारत के सन्दर्भ मे सिन्धु सभ्यता के समय व्यक्ति शहरों मे रहना शुरू कर दिया था परन्तु वहाँ की भाषा को अभी तक ना पढे जाने कि वजह से सिन्धु सभ्यता को एक तीसरे इतिहास के खण्ड मे रखा गया है जिसे (प्रोटो-हिस्ट्री) कहते हैं। लिखित इतिहास का कालखण्ड लिखित इतिहास के शुरू होने पर होती है, जिसमे हमें लिखित ऐतिहासिक साक्ष्यों का पता किसी अभिलेख, पाण्डुलिपि, सिक्के, ताडपत्र या ताम्रपत्र से चलता है। जौनपुर के इतिहास को भी इन्ही प्रकार के दो भागों में बाँट के देखा जा सकता है, जैसे की विभिन्न खुदाइयों के अवशेषों के आधार पर हम जौनपुर के प्रागैतिहासिक बसाव की सीमा का अवलोकन कर सकते हैं, विभिन्न तथ्यों व उत्खननों के आधार पर यहाँ की प्राचीनता की सीमा करीब 3000 ई. पू. माना जा सकता है। द्वितीय चित्र मे दमदमा प्रतापगढ जो कि एक प्रागैतिहासिक (मध्य-पाषाण काल) पुरास्थल है , से प्राप्त जिवाश्म को दिखाया गया है। 1-मदारडीह उत्खनन रिपोर्ट पुरातत्त्व 2013, जौनपुर उत्खनन, अर्नव। 2-http://vle.du.ac.in/mod/book/print.php?id=11071&chapterid=20385