बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथों को त्रिपिटक कहा जाता है। ये बुद्ध द्वारा दी गयी शिक्षाओं को अपने में समाहित किये हुए हैं। खुद्दक निकाय में समाहित पाली धम्मपाद में कुल 26 अध्याय हैं और कुल 423 छंद हैं। ये सभी छंद बुद्ध के उपदेशों को व्यक्त करते हैं तथा धम्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देते हैं। बौद्ध धर्म 4थी 5वीं शताब्दी में अपने चरम पर पहुँच गया था तथा अशोक का काल आने के बाद यह अपनी परम पराकाष्ठा पर पहुँच गया। विभिन्न बौद्ध संगीतियों में बुद्ध द्वारा दिए गए उपदेशों को विभिन्न पाली साहित्य की किताबों में रखा गया।
बौद्ध धर्म की प्रमुख रूप से दो शाखाएँ हैं – थेरवाद और महायान। थेरवाद का अर्थ है बड़ों के द्वारा दी गई सीख या शिक्षा। महायान का अर्थ है मुख्य या विशाल वाहन।
पाली साहित्य के प्रमुख तीन भाग हैं -
1- सुत्तपीटक - सिद्धार्थ के द्वारा कहे गए हर शब्द इसमें दर्ज है। धम्मपाद – सुत्तपीटक में सबसे प्रसिद्ध ग्रन्थ है।
2- विनयपीटक - इसमें बौद्ध संघ के सदस्यों के लिए नियम समूह दिए गए हैं।
3- अभिधम्म पीटक - इसमें सुत्तपीटक के ऊपर दी गयी टिप्पणियों एवं दर्शन का समूह मौजूद है।
दो शाखाओं में बंटवारे का कारण-
पाली साहित्य और बौद्ध धर्म के सिद्धांत के अनुसार निर्वाण केवल भिक्षुओं के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता था, बहुत से लोगों ने इससे असहमति जताई। एक अल्पसंख्यक समूह ने दावा किया था कि जब तक लोग आठवें पथ के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं तब तक हर व्यक्ति निर्वाण प्राप्त कर सकता है, चाहे भिक्षु या चाहे साधारण व्यक्ति। यह अल्पसंख्यक समूह आगे चलकर महायान बना और दूसरा समूह थेरवाद।
थेरवाद और महायान के बीच भेद -
महायान परंपरा आज भी वैज्ञानिक मान तिपिटक साहित्य को स्वीकार करती है। महायान साहित्य थेरवाद की तुलना में काफ़ी बड़ा है। थेरवाद साहित्य पाली साहित्य स्रोतों तक ही सीमित है जबकि महायान सिद्धांत संस्कृत, चीनी और जापानी में लिखे अतिरिक्त स्रोतों को भी शामिल करता है।
थेरवाद मानते हैं कि महात्मा बुद्ध भले ही एक महान इंसान थे परन्तु वे थे एक इंसान ही। जबकि महायान मानते हैं कि बुद्ध असाधारण एवं अलौकिक शक्तियों के स्वामी थे।
इस प्रकार बौद्ध धर्म की दो शाखाओं को समझा जा सकता है।
1.https://quizlet.com/74678537/two-branches-of-buddhism-theravada-and-mahayana-flash-cards/
2.http://www.asthabharati.org/Dia_Jan012/b.b.kum.htm
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