संस्कार के पथ से जीवन जीने का तरीका

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
13-05-2018 11:37 AM
संस्कार के पथ से जीवन जीने का तरीका

हम सभी को 'संस्कार' शब्द का अर्थ पता है और यह एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल हम हर रोज़ करते हैं। लेकिन इस शब्द का एक गहरा अर्थ है। यह पुनर्जन्म और कर्म के सिद्धांत को मानता है। संस्कार जीवन का एक अहम् हिस्सा है। इंसान को सही ढंग से विकसित करना एक विज्ञान है। जिस तरह माली पौधों को सीचता है उसी तरह शिक्षक छात्रों को शिक्षा देते हैं ताकि वे आगे बढ़ कर कुछ अच्छा कार्य करें। इसका उद्देश्य लोगों के मन में आस्था और निष्ठा जगाना है। संस्कार लोगों को सही पथ पर चलने की प्रेरणा देता है।

किसी कार्य के प्रति रूचि काफ़ी अद्भुत चीज़ है और यह इंसान के हृदय से निकलती है। यह कभी भी ज्ञान से नहीं बनाई जा सकती। इसी का इस्तेमाल प्रचार कंपनियाँ करती हैं वे लोगों के मन में एक नकली रूचि जागरूक करती है ताकि लोग उन कंपनियों में जा कर काम करें। अगर किसी व्यक्ति में रूचि जागरूक हो गई तब वह व्यक्ति ख़ुशी से अपना कार्य करेगा और उसे आनंद भी आएगा। वेद के गुरु यही कार्य करते हैं, वे लोगों को ज्ञान देकर उनके असली व्यक्तित्व को बाहर ले आते हैं। वे अपने छात्रों को एक लक्ष्य पर अमल करने का उद्देश्य देते हैं और इससे उनका निशाना और सटीक हो जाता है, छात्र अपने उद्देश्य के लिए जी जान लगा देते हैं। लोगों के जीवन में इसी सकारात्मक रवैये को लाने में संस्कार मदद करता है। संस्कार लोगों के जीवन में एक अहम् मोड़ है, अगर लोग संस्कारी हो गए तब उन्हें दुनिया की हर चीज़ रोचक लगेगी और वे हर चीज़ का अर्थ जानने में रूचि ज़ाहिर करेंगे। हिन्दू धर्म में 16 संस्कारों का उल्लेख किया गया है, आइए इन सोलह प्रकार के संस्कारों को देखें जिनका हमें अपने जीवन में इस्तेमाल करना चाहिए -

1. गर्भादान - पति और पत्नी का पहली बार साथ आना जिससे धारणा (मातृत्व की तरफ अग्रसर होना) आए।

2. पुम्स्वन - यह रिवाज़ तब होता है जब धारणा के पहले संकेत दिखाई देने लगते हैं।

3. सीमंतोन्नयन - इस रिवाज़ में माँ अपने बालों का त्याग करती हैं (मुंडन) ताकि उनके अन्दर सकारात्मक उर्जा बनी रहे।

4. जातकर्म - जब बच्चे का जन्म हो जाता है तब बच्चे को एक गुप्त नाम दिया जाता है । बच्चे को शहद और घी चखाया जाता है और फ़िर मंत्र के उच्चारण के बाद माँ बच्चे को दूध पिलाती है।

5. नाम-करण - इस पर्व पर बच्चे को उसका औपचारिक नाम दिया जाता है।

6. निश्क्रमन - इस दिन बच्चे को पहली बार सूर्य और चंद्रमा का औपचारिक रूप से दर्शन कराया जाता है (बच्चे के अच्छे के लिए)।

7. अन्नप्राशन - इस रिवाज़ को तब करते हैं जब बच्चे को पहली बार ठोस खाना खिलाया जाता है।

8. चूड़ाकरण - चूड़ा का अर्थ होता है बाल का गुच्छा, इसमें थोड़ा सा बाल छोड़ कर बाकी बाल को काट दिया जाता है।

9. कर्ण-वेध - यह संस्कार सातवे या आठवे महीने में होता है इसमें बच्चे के कानों को छेदा जाता है।

10. उपनयन - यह एक धागे का रिवाज़ है, इससे बच्चे को हर प्रकार के रिवाजों का पालन करने का अधिकार मिल जाता है।

11. केशंत - बाल का मुंडन किया जाता है और गुरु दक्षिणा दी जाती है।

12. समावर्तन - घर को वापिस जाया जाता है।

13. विवाह - शादी का रिवाज़।

14. वानप्रस्थ - जब उम्र ढलने लगती है तब लोग रोजगार को छोड़ देते हैं और वन की तरफ अग्रसर होते हैं।

15. सन्यास - शरीर छोड़ने से पहले एक हिन्दू जीवन का ज्ञान प्राप्त करने के लिए सारे सुख-सुविधाओं को छोड़ देता है।

16. अंत्येष्टि - मृत्यु के बाद आखिरी मंत्र उच्चारित किए जाते हैं।

इस प्रकार से मानव जीवन को 16 संस्कारों में बांटा गया है।

1. http://www.vmission.org.in/hinduism/samskaras.htm
2. https://en.wikipedia.org/wiki/Samskara_(Indian_philosophy)

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