यातायात किसी भी गाँव, शहर, जिला, प्रदेश व देश को एक तीव्रता प्रदान करता है। भारत में प्राचीन काल से व्यापार व यातायात की अधिकता थी जिसका उल्लेख कई अभिलेखों, ग्रन्थों व विदेशी यात्रियों के यात्रा वृत्तों से मिलता है। भारत मे स्थित जी.टी महामार्ग एशिया महाद्वीप के सबसे पुराने व सबसे लम्बे महामार्गों में से एक है जो मध्य एशिया से दक्षिणी एशिया तक फैला हुआ है।
यह महामार्ग पश्चिमी बांग्लादेश से होते हुए पश्चिमी बंगाल, दिल्ली, अमृतसर, लाहौर से काबुल, अफ़ग़ानिस्तान तक जाता है। इसके बारे मे रुडयार्ड किपलिंग लिखते हैं “ऐसा महामार्ग दुनिया के किसी और जगह पर नही मिलेगा। इस महामार्ग पर चलते हुए ऐसा लग रहा है जैसे मै किसी नदी में बहे जा रहा हूँ व तमाम प्रकार के लोग यहाँ पर मिल रहे हैं। जैसे मानो पूरा विश्व यहाँ पर आ व जा रहा है”। किपलिंग के लेख से इस महामार्ग की महत्ता का पता चलता है।
इस महामार्ग को बनाने वाले के विषय को लेकर कई मतभेद हैं परन्तु यह तथ्य सिद्ध है कि इसका संरक्षण व फैलाव शेर शाह सूरी ने किया था। जौनपुर, मध्यकाल मे एक महत्वपूर्ण व बड़े ताकत के रूप में व बड़े व्यापारिक स्थली के रूप में उभरा। यहाँ से जल व थल दोनो ही प्रकार के संचार साधन मौज़ूद थे।
वर्तमान समय के राष्ट्रीय राजमार्ग 56 के आस-पास एक निरंतर दूरी पर बने पुराने सरायों व कुओं से इस बात के बेहतर प्रमाण मिलते हैं की यह मार्ग प्राचीन काल से ही प्रयोग मे आ रहा है। जौनपुर में रेल की पटरियाँ 20वीं शताब्दी में बिछाई गयी थी।
आज के परिपेक्ष मे यदि देखा जाये तो जौनपुर में रेल पटरी का विस्तार 233 की.मी. है तथा सड़कों की बात की जाये तो राष्ट्रीय राजमार्ग, प्रदेश राजमार्गों, जिला स्तरीय व ग्रामीण सड़कों को मिला कर, जौनपुर मे करीब 4878 की.मी. सड़क हैं, जो जौनपुर को मोटे तौर पर गावों, शहरों, राजमार्गो तथा रेलवे स्टेशन से जोड़ता है।
1. एम. एस. एम. ई. जौनपुर, 2011
2. ऑन द ग्रान्ट ट्रन्क रोड। अ जर्नी इन्टू साउथ एशिया: स्टीव कोल, पेंग्विन पब्लिकेशन
3. न्यू कैंब्रिज हिस्ट्री ऑफ़ इंडिया, साइंस टेक्नोलाजी एण्ड मेडीसीन इन कोलोनियल इंडिया वॉल्यूम- 3.5: डेविड अर्नोल्ड, कैम्ब्रिज युनिवर्सिटी प्रेस, 2000, पृ.106