सेफ्टी पिन कहाँ से आयी अस्तित्व में

जौनपुर

 06-05-2018 11:38 AM
वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली

सेफ्टी पिन का प्रयोग आम तौर पर सभी लोग करते हैं। इसका प्रयोग कपड़े आदि के संभालने के काम में आता है, पन्नों आदि को संभालने के लिए भी इस पिन का प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी एक डिजाइन इतना उत्तम और अधिक प्रयोग में आने के कारण आम लगने लगता है और ऐसा लगता है जैसे यह हमेशा से मानव अस्तित्व में रहा हो। सेफ्टी पिन के साथ ऐसा ही मामला है, सर्वव्यापी घरेलू उत्पाद जिसे न्यू यॉर्कर वाल्टर हंट द्वारा डिजाइन किया गया था। इसका उत्पाद कपड़ों आदि को संभालने के लिए किया गया था। पीतल के तार के 20 सेंटीमीटर (8 इंच) टुकड़े के साथ काम करते हुए, हंट ने स्प्रिंग जैसा आकार प्रदान करने के लिए एक छोर पर एक गोलाकार कलाकृति बनाकर, और दूसरे छोर पर एक साधारण पकड़ जो पिन को जगह में रखेगी और उपयोगकर्ताओं को चुभने से बचाएगी, का निर्माण किया गया। हंट के 1849 पेटेंट आवेदन में 'ड्रेस-पिन' पर विविधता के चित्र शामिल थे, जिसमें सरल दौर, अंडाकार और फ्लैट कॉइल्स शामिल थे, साथ ही साथ तीन चित्र भी दिखाए गए थे जो दिखाते थे कि उनके डिजाइन को फैशनेबल हस्तक्षेप के लिए कितना उपयुक्त बनाया गया था।

हंट ने सेफ्टी पिन के पेटेंट के आवेदन में लिखा था, 'यह समान रूप से सजावटी है, और साथ ही साथ उपयोग में पहले के एक क्लैप पिन की किसी भी अन्य योजना की तुलना में अधिक सुरक्षित और टिकाऊ है’। हंट एक दिमागी आविष्कारक था जो शानदार रचना बनाने के तरफ आकर्षित था लेकिन पैसे की तंगी के कारण वह पैसा भी कमाने की तरफ आकर्षित था। पंद्रह साल पहले उन्होंने पहली उचित कामकाजी सिलाई मशीन का आविष्कार किया था, लेकिन उन्होंने डर के कारण पेटेंट नहीं किया उन्हें लगा कि हाथ से काम करने वाले कारीगरों के हाथ से नौकरी चली जाएगी। इसी प्रकार सेफ्टी पिन की कलाकृति बनाने के लिए उनको हौसला मिला लेकिन कोई भी पैसा नहीं। किंवदंती यह है कि हंट ने सेफ्टी पिन का निर्माण 15 डॉलर के ऋण का भुगतान करने के लिए किया था जो कि उन्होंने अपने दोस्त से लिया था। 10 अप्रैल 1849 को अपनी सृजन के लिए पेटेंट प्राप्त करने के बाद वह इस विचार को अपने दोस्त को $400 के लिए बेचने के लिए आगे बढ़े।

इस प्रकार से इस आविष्कार को सफलता प्राप्त हुयी। आज भारत में कई गृह उद्योग इस कार्य को कर रहे हैं और यहाँ पर बड़ी संख्या में सेफ्टी पिन का प्रयोग किया जाता है। वह एक आविष्कार भारत ही नहीं अपितु समूचे विश्व में रोजाना के जरूरत के सामान के रूप में उभर कर निकला, तथा यह बड़े पैमाने पर रोजगार मुहैया कराने का कारण भी बना।

1. मास प्रोडक्शन- फ़ायडॉन प्रेस



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