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इस बात पर कोई शक नहीं है कि भारत एक क्रिकेट-प्रेमी राष्ट्र है। यह हमारी संस्कृति का एक हिस्सा है और कई मायनों में, उन कुछ चीजों में से एक है जो पूरे देश को एकजुट करती हैं। "गली क्रिकेट" से लेकर भारतीय क्रिकेट टीम तक, क्रिकेट भारत के लिए है जो फुटबॉल ब्राजील के लिए है। लेकिन इसने ब्राजील को ओलंपिक पदक जीतने से रोका नहीं है। ब्राजील, रूस, चीन और कई अन्य देश अपने संबंधित देशों में एक से अधिक खेल को बढ़ावा देने में सक्षम हैं। फिर भारत में अन्य खेलों का विकास क्यों रोक दिया गया है, और भारत पर इसका आर्थिक प्रभाव क्या है?
विडंबना यह है कि अगर खेल को बढ़ावा दिया जाता है, जैसे कि हम शिक्षा को बढ़ावा देते हैं, तो भारत के युवाओं पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने का कोई संदेह नहीं है और इसके लिए अर्थ व्यवस्था पूर्ण रूप से सक्षम है। शोधकर्ताओं के एक समूह ने कहा कि "खेल के लाभों को बढ़ावा देने से और युवाओं को खेल से प्रोत्साहित करने से न केवल व्यक्तियों पर बल्कि देश पर भी असर पड़ता है”। अध्ययन चार वर्गों में विभाजित हो गया था, जो एक साथ रखे गए और इससे एक स्पष्ट तस्वीर सामने आई “खेल को बढ़ावा देना न केवल बच्चों, किशोरों, विश्वविद्यालय के छात्रों और वयस्कों को शक्ति प्रदान करता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है”।
जौनपुर उत्तर-प्रदेश का एक अहम् शहर है और इस शहर को अपने अद्भुत इतिहास के लिए जाना जाता है। मगर इसी जौनपुर में खेल सुविधा को लेकर निवेश काफ़ी कम है; इस कारण खिलाड़ियों को अपना हुनर दिखलाने का मौका नहीं मिल पा रहा है| खेल के हर क्षेत्र जैसे- बैडमिंटन, फुटबॉल, क्रिकेट, आदि में जौनपुर के खिलाड़ी निपुण हैं मगर इन्हें अपना कार्यक्रम दिखलाने का मौका नहीं मिल पा रहा है| इसके कारणवश जौनपुर से बहुत ही कम खिलाड़ी राष्ट्रीय स्तर तक पहुँच पाते हैं, आई.पी.एल. (Indian Premier League) में जौनपुर का कोई भी खिलाड़ी मौजूद नहीं है और किसी भी खिलाड़ी ने राष्ट्रमंडल खेल (Commonwealth Games) में मेडल नहीं हासिल किया है| कारण सिर्फ एक है - ''निवेश में कमी''|
उत्तर-प्रदेश के अन्य शहर जैसे मेरठ , फैज़ाबाद और वाराणसी में खेल को लेकर लोग काफ़ी गंभीर हैं और इसके कारण उन शहरों में खेल सुविधाओं में अच्छा निवेश है| हाल ही में होमगार्ड मुख्यालय में आयोजित राज्यस्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता के तीसरे दिन मेरठ, फैज़ाबाद और वाराणसी ने बाज़ी मारी| रस्साकशी, और वॉलीबॉल में तीनों टीमें जीत दर्ज कर फाइनल में पहुंच गई| इस प्रतियोगिता में जौनपुर की टीम शामिल नहीं थी, इससे हम यह कह सकते हैं कि जौनपुर की टीम को मौका नहीं दिया जा रहा| अब सवाल यह उठता है कि क्या शहर की GDP से खेल के क्षेत्र में उत्तीर्ण होने पर प्रभाव पड़ता है ? GDP का खेल से अहम् जोड़ है| शहर की जितनी आमदनी होती है उसी आधार पर खेल पर व्यय भी होता है| वहीँ दूसरी ओर खेल सफलता पूर्वक जी.डी.पी. बढ़ाने का भी कार्य करता है जैसे कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार आई.पी.एल. खेल के कारण जी.डी.पी. में बेहतरीन उछाल आया है| खेल से युवाओं में नयी स्फूर्ति आएगी और वो खेल के क्षेत्र में नाम रौशन करने में सफलता भी प्राप्त करेंगे| जौनपुर के कुछ खिलाडियों ने राष्ट्रीय स्तर पर खेल के क्षेत्र में अपना नाम बनाया है परन्तु अभी तक यहाँ से कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं निकला जो वैश्विक पटल पर जौनपुर का परचम लहराया हो|
1.https://www.jagran.com/uttar-pradesh/lucknow-city-home-guard-sports-competition-in-lucknow-17817382.html
2.https://www.ndtv.com/business/the-economic-benefits-of-promoting-sports-382460
3.http://www.thehindu.com/sport/cricket/2015-indian-premier-league-ipl-contributed-rs115-billion-182-million-to-indias-gross-domestic-product-gdp-says-bcci/article7823334.ece