2013 के अपराध रिकॉर्ड के अनुसार उत्तर-प्रदेश का जौनपुर ज़िला अपराध में 346 वें स्थान पर आता है।
जौनपुर में अपराध की श्रेणी कुछ इस प्रकार है -
*हत्या के मामले में – 97 वां स्थान
*बलात्कार के मामले में - 91 वां स्थान
*डकैती के मामले में - 81 वां स्थान
*चोरी के मामले में - 226 वां स्थान
*अपहरण के मामले में - 45 वां स्थान
*दंगों के मामले में - 170 वां स्थान
एन.सी.आर.बी. (National Crime Records Bureau) के द्वारा दी गयी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2013 में, जौनपुर ज़िले में 2,218 अपराध दर्ज करवाए गए। जौनपुर का अपराध दर (49.35) राष्ट्रीय अपराध दर (218.67) से काफ़ी कम है। 2013 की रिपोर्ट के अनुसार जौनपुर में डकैती सबसे ज्यादा होती है और चोरी सबसे कम होती है।
आपराधिक आंकड़े – 2013 में जौनपुर में कुल 2,218 अपराध दर्ज करवाए गए जिसमें नीचे दिए गए अपराध शामिल थे :-
1. हिंसावादी अपराध- 363
2. हत्या- 50
3. बलात्कार- 53
4. लूटपाट-53
5. अपहरण- 132
6. दंगे- 77
7. ज़ायदाद- 376
8. चोरी- 285
9. डाका- 90
10. डकैती- 1
जौनपुर में बहुत से गैंग हैं और यह सभी गैंग अवैध कार्यों में शामिल रहे हैं, आपस में यह एक दूसरे पर हमले भी करते हैं। ऐसी ही गैंग वॉर (Gang-War) की एक घटना हाल ही में सामने आई है। हाल ही में जौनपुर ज़िले के बदलापुर इलाके में दो गैंग के बीच फायरिंग हुई, इसमें 2 लोग मारे गए और एक गोली लगने के कारण ज़ख़्मी हो गया। इस घटना के बाद प्रतापगढ़-जौनपुर रोड पर बड़े पैमाने पर हिंसा हुई, उस इलाके के निवासियों ने रोड को जाम कर दिया और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया।
अपराध की ऐसी एक और घटना सामने आई जहाँ मुंगराबादशाहपुर के पकड़ी गाँव से 8 अप्रैल को अगवा 14 वर्षीय के एक किशोर की नृशंस हत्या कर दी गयी।
ऐसी न जाने ही कितनी घटनायें और वारदात जौनपुर में आये दिन होती रहती हैं। शिक्षित होने के बावजूद भी जब ऐसी घटनाएँ होती हैं तो सर्वथा शिक्षा के स्तर और नौकरी की उपलब्धता ही ऐसी परिस्थिति का जनक प्रतीत होता है। जौनपुर का पड़ोसी जिला प्रतापगढ़ भी बड़ी संख्या में अपराध से त्रस्त है।
प्रतापगढ़ के गैंग - बिहार और उत्तर-प्रदेश में कई गैंग हैं और यह हर तरह के अवैध धंधों में शामिल रहीं हैं , इनका मुख्या कार्य वाहन की तस्करी है । इन्हें देश के अलग राज्यों से गाड़ी का आर्डर मिलता है और जैसे ही गाड़ी राज्य की सीमा पर पहुँचती है , गैंग के सदस्य अपना काम शुरू कर देते हैं, वे गाड़ी की नंबर प्लेट और रंग को बदल देतें हैं। पुलिस द्वारा यह जानकारी प्राप्त हुई की प्रतापगढ़ के गैंग एक गाड़ी चुराने पर 40,000 से 1 लाख रूपए कमाते हैं। गैंग के सभी सदस्य प्रशिक्षित होते हैं और उन्हें गाड़ी के सिक्यूरिटी सिस्टम (Security System) की अच्छी खासी जानकारी होती है। साल 2008 से 2014 के बीच 30,000 गाड़ियाँ चोरी हुई।
राज्य में गरीबी, शिक्षा और नौकरी के कम आसार होने के कारण लोग गलत राहों पर उतर जाते हैं और अवैध कार्यों को अंजाम देते हैं। बहुत से लोग खेतीबाड़ी पर निर्भर हैं लेकिन जो आसानी से पैसे कमाने का विचार रखते हैं वे गैंग में शामिल हो जाते हैं। हालात इतने बुरे हैं कि गैंग अपनी जड़ों को और मज़बूत करने के लिए और सदस्य जुटा रहे हैं, वे सोशल मीडिया (social media) का सहारा लेकर लोगों को अपने और आकर्षित कर रहे हैं। इस गैंग में कई माफिया भी शामिल होते हैं और यह सब मिल कर हत्या, बलात्कार, डकैती को अंजाम देते हैं । पुलिस ने हाल ही में ऐसी गैंग के खिलाफ कार्यवाई शुरू की है और उनका मानना है कि यह सब गैंग कुछ सालों में खत्म हो जाएँगे ।
1.www.neighbourhoodinfo.co.in/crime/Uttar-pradesh/Jaunpur
2.www.timesofindia.com/varanasishooting/articleshow/63639429.cms
3.www.livehindustan.com/uttar-pradesh/jaunpur/assassination-in-jaunpur-1898250.html
4.www.hindustantimes.com/mumbai/pratapgarh-in-up-the-new-hub-for-car-theft/story-wJGqQbvx91Xg8gzl9CD8HK.html
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