कोका कोला शीतपेय आज जौनपुर की गर्मियों में लोगों को ठंडक दिला रहा है। आज कोका-कोला हर गली-नुक्कड़-बाज़ार में उपलब्ध है और युवाओं के साथ-साथ सभी इसे पसंद करते हैं। इस पेय के साथ लोगों को इसकी बोतल और उसके ऊपर की लिखावट जो इसका प्रतिक चिन्ह भी है, काफी लुभाता है तथा इस संगठन की पहचान बन चुका है। इस छाप का इतिहास तक़रीबन 130 साल से ज़्यादा पुराना है और उसका सफ़र इसके जन्म से ही शुरू हो जाता है।
18वीं शती में एटलांटा, जॉर्जिया के रहिवासी जॉन पेम्बबर्टन ने घर पर कोला के अखरोट (Cola-nuts) और कोको (Cocoa) का इस्तेमाल कर एक शीतपेय बनाया। वे इस पेय को क्या नाम दिया जाए इस विवंचना में थे तभी उन्होंने अपने मुनीम फ्रैंक रॉबिनसन से इस बात पर सलाह माँगी। फ्रैंक रॉबिनसन को विज्ञापन क्षेत्र में रूचि थी तथा उनका अपना छापखाना भी था। उन्होंने पेम्बबर्टन को ‘कोका-कोला’ नाम सुझाया। उनके मुताबिक एक साथ अंग्रेजी का वर्णाक्षर ‘सी’ (C) दो बार विज्ञापन में अच्छा लगेगा। यह युक्ति पेम्बबर्टन को बहुत पसंद आई और इसी नाम से सन 1886 में उन्होंने अखबारों में इश्तेहार देना शुरू किया। सिर्फ एक ही साल में यह पेय प्रसिद्ध हो गया, तब इसकी एक छाप बनाने की जरुरत पेम्बबर्टन को महसूस हुई। इस लिए उन्होंने वापिस अपने मुनीम रॉबिनसन की मदद ली। रॉबिनसन ने अपने हाथ से लिपि-चिन्ह बनाया जो आज इतने सालों के बाद भी, कुछ परिवर्तनात्मक उतार-चढाव के बाद भी बिलकुल वैसा ही है, बस उसमें ट्रेडमार्क (Trade-mark) का चिन्ह आ चुका है और उसकी लिपि कुछ ज्यादा बहावदार है तथा उसकी पृष्ठभूमि पर थोड़े बदलाव किये गए हैं।
भारत में कोका-कोला सन 1956 में आया। चूँकि तब भारत में कोई विदेशी मुद्रा अधिनियम नहीं था, इस कंपनी ने यहाँ पर 100% मुनाफा कमाया। इंदिरा गाँधी के समय सन 1974 में यह अधिनियम बनाया गया जिसके तहत विदेशी संगठनों को भारतीय बाज़ार में 40% पूंजी निवेश करना अनिवार्य कराया गया। कोका-कोला संगठन ने इसे तो मान्यता दी लेकिन उन्होंने तकनीकी और प्रशासनिक कार्यभार अपने तक ही सीमित रखा तथा किसी भी भारतीय संगठन को इसमें हिस्सा लेने से माना कर दिया। चूंकि यह बात विदेशी मुद्रा अधिनियम के खिलाफ थी, उन्हें सन 1977 में भारत से चले जाने को कहा गया। भारतीय नेता जॉर्ज फर्नांडेस के अनुसार कोका-कोला भारत में मात्र 6 लाख रुपये लेकर आई थी लेकिन जाते वक़्त उन्होंने तक़रीबन 250 मिलियन रुपये कमा लिए थे। सन 1993 में विदेशी मुद्रा अधिनियम में शिथिलता आने के बाद कोका-कोला भारत में वापस आ गया और सन 1999 में उन्होंने भारत के सबसे सफल शीतपेय बनाने वाले पार्ले संगठन को खरीद लिया, इसके बाद कोको-कोला ने तेज़ी से भारतीय बाज़ार पर कब्ज़ा कर लिया और आज वे यहाँ के अग्र शीतपेय हैं।
1. https://www.coca-colajourney.com.au/stories/trace-the-130-year-evolution-of-the-coca-cola-logo
2. https://www.fineprintart.com/art/the-history-of-the-coca-cola-logo
3. http://groovyganges.org/2007/07/history-of-coca-cola-in-india/
© - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.