भारत में नील खेती

जौनपुर

 17-04-2018 01:09 PM
बागवानी के पौधे (बागान)

नीलवर्ण बहुत ही दुर्लभ रंग है। यह वनस्पति जगत में कम तो है ही मगर हमारे खाने में भी ये ज्यादा नहीं मिलता मगर इसे हमेशा ही बेशकीमती दर्जा दिया गया है। कुछ जगहों पर यह शोक का प्रतीक है मगर बहुतायत से इसे वीरता और शाही कुल का प्रतीक माना गया है। नील रंग बहुतायता से दो पौधों से प्राप्त होता है जिसमें से एक है इंडिगो (Indigo) मतलब नील – इन्डिगोफेरा टीन्कटोरिया (Indigofera Tinctoria) और दूसरा है वोड (Woad) – ऐसाटिस टीन्कटोरिया (Isatis Tinctoria). इंडिगो शब्द इस पौधे के पर्ण से निकाले गए रंजक को कहा जाता है जो इंडिया (India) से प्रेरित है।

इन्डिगोफेरा टीन्कटोरिया यह उष्णकटिबंधीय छोटे वृक्ष जैसा पौधा है जो भारत में सबसे ज्यादा उपलब्ध है लेकिन दक्षिण-पूर्व एशिया में भी पाया जाता है। भारत पुरातन काल से नील का निर्यातकर्त्ता था जो पुराने व्यापारी मार्ग जैसे रेशम मार्ग आदि से इसका व्यापार करता था। यूनानी और रोमन तथा मुस्लिम राज्यों में नील की मांग बहुत ज्यादा थी। यूरोपीय जलयात्रा मार्गों की वजह से नील का निर्यात बहुत सरल-सहज हो गया। ब्रितानी शासकों ने जब अपना राज्य भारत में प्रस्थापित किया तब उन्होंने यूरोप में इसका आयात और अपने कपड़ा व्यापार के लिये इसका भरपूर शोषण किया।

नील की खेती के लिए ब्रितानी शासकों ने बहुत कठिन नियम बनाए जिसकी वजह से आम किसानों को बहुत दुखों का सामना करना पड़ा, इसी की वजह से बंगाल में सन 1859 में नील विद्रोह हुआ था। नील की खेती के लिए ब्रितानी शासक जमीन किराये पर देते थे और भोले किसानों से अनुबंध करते थे जिसके अंतर्गत किसानों को 20 साल तक नील की खेती करना अनिवार्य था और अगर वे किसी कारण निर्णित उपज ना दे पाते तो उन्हें ब्रितानी सरकार को उसके बजाय ऋण देना पड़ता था। इसी के साथ उन्होंने तिनकठिया का नियम भी दायर किया जिसके मुताबिक 3/20 (बीस कट्ठा में तीन कट्ठा) खेती की जमीन पर सिर्फ नील उगाई जाती थी। चंपारण में हुए नील सत्याग्रह की वजह से तिनकठिया नियम बंद कर दिया। बंगाल से शुरू हुए नील विद्रोह की पहुँच दूर-दूर तक गयी। इस विद्रोह के बाद नील खेती के अधिनियमों में काफी शिथिलता आई और इस विद्रोह ने खेती से जुड़े ऐसे अत्याचारी नियमों के खिलाफ लड़ने का प्रेरक मार्ग कायम किया।

नील तैयार करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण और कठिन काम है। नील के पत्तों को चूना अथवा बासी मूत्र में मिलाया जाता है फिर उसे टंकी में खमीर उठाने के लिए रखा जाता है। एक बार पानी के सूखने के बाद तथा थोड़ी और प्रक्रिया के बाद चमकदार नीला चूर्ण बचता है जिसे आसानी से घनीभूत करके ढोया जा सकता है। इसका इस्तेमाल रंजक, रंग, प्रसाधन सामग्री में तथा अलग रंगों के मिश्रण करने के आधार के लिए किया जाता है। इसका इस्तेमाल औषधी के तौर पर भी होता है जैसे कॉलरा (Cholera) और प्रजनन सहायक।

सन 1897 में अडोल्फ़ वोन बेएर ने नील का संश्लेषण सफलतापूर्वक किया जिसकी वजह से आज बहुतायता से नील कृत्रिम तरीके से निर्माण किया जाता है लेकिन भारत के कुछ हिस्सों में आज भी नील की प्राकृतिक खेती होती है।

1. रिमार्केबल प्लांट्स दाट शेप आवर वर्ल्ड- हेलेन एंड विलियम बायनम, 154-155
2. https://www.jstor.org/stable/3516354?seq=1#page_scan_tab_contents
3. इंडिगो प्लांटिंग इन इंडिया: एम.एन मैकडोनाल्ड, पेअरसन मैगज़ीन, 1900
https://www2.cs.arizona.edu/patterns/weaving/articles/mmn_indg.pdf
4. http://www.inkcoop.com/champarans-transformation-to-an-indigo-hub/



RECENT POST

  • जौनपुर के युवा, जानिए, सब्सक्रिप्शन आधारित ई-कॉमर्स में व्यवसायिक अवसरों और चुनौतियों को
    संचार एवं संचार यन्त्र

     15-01-2025 09:26 AM


  • सूर्य की ऊर्जा और सुप्त पृथ्वी में, जीवन के संचार का प्रतीक हैं, लोहड़ी के अलाव की लपटें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     14-01-2025 09:20 AM


  • आइए जानें, भारत में मत्स्य पालन उद्योग से जुड़े अवसरों और चुनौतियों को
    मछलियाँ व उभयचर

     13-01-2025 09:21 AM


  • आइए देखें, लोहड़ी को कैसे मनाया जाता है
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     12-01-2025 09:21 AM


  • चलिए, अवगत होते हैं, तलाक के मामलों को सुलझाने में परामर्श और मध्यस्थता की भूमिका से
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     11-01-2025 09:19 AM


  • एल एल एम क्या है और कैसे ये ए आई तकनीक, हिंदी के विकास में योगदान दे रही है ?
    संचार एवं संचार यन्त्र

     10-01-2025 09:26 AM


  • चलिए समझते हैं ब्लॉकचेन तकनीक और क्रिप्टोकरेंसी में इसके अनुप्रयोग के बारे में
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     09-01-2025 09:22 AM


  • आइए जानें, आज, भारत के सर्वोच्च न्यायालय में, कितने अदालती मामले, लंबित हैं
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     08-01-2025 09:19 AM


  • विश्व तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में, इस्पात उद्योग की भूमिका और रुझान क्या हैं ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     07-01-2025 09:36 AM


  • भारत में, परमाणु ऊर्जा तय करेगी, स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन का भविष्य
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     06-01-2025 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id