ईश्वर की प्रार्थना समय के अनुसार की जाती है। सूर्य की स्थिति इन प्रार्थनाओं में अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। हिन्दू प्रार्थना, सिख प्रार्थना और मुस्लिम प्रार्थना आदि सूर्य की स्थिति पर ही आधारित होती हैं। सिखों की पवित्र किताब गुरू ग्रन्थ साहिब (प्रकाश के सर्वोच्च शिक्षक) में उत्तम संगीत सन्निहित है। गुरू ग्रन्थ साहिब को 33 भागों में विभाजित किया गया है। पहला भाग जपजी महाकाव्य को सन्निहित किये हुए है जो गुरू नानक द्वारा लिखित है और यह गाने के लिए नहीं बना है। जपजी पूरी गुरुग्रन्थ साहिब का एक विशिष्ट सारांश है। इसका अंतिम भाग एक पूरे संग्रह का मिश्रित छंद है जो कि श्लोकों और सवैयों के रूप में भट्टों (एक गवैयों की जाति) द्वारा गायी जाती है। बचे हुए गुरू ग्रंथ साहिब के 31 भाग भजनों का संकलन हैं। भजनों को एक महत्वपूर्ण और वैज्ञानिक रूप से 5वें गुरू द्वारा तैयार किया गया है। वे प्रथम धुन या राग के आधार पर बिठाये गये हैं, द्वितीय अपने काव्यात्मक प्रकार या कविता के आकार पर, और अन्तोगत्वा लेखक के आधार पर। गुरू ग्रन्थ साहिब के गायन को संवेदना, रूप, समय के आधार पर जोड़ा व नापा गया है जो कि विभिन्न प्रकारों व उर्जा को प्रदर्शित करती है। सभी विषयों को निम्लिखित रूप से संक्षेप मे किया जा सकता है-
राग बिलावल- आत्मा के सौंदर्यीकरण के विषय को प्रस्तुत करता है।
राग गौन्द और टुखरी- लगाव व मिलन पर आधारित विषय।
राग श्री- माया और अलगाव को प्रदर्शित करता है।
राग माझ- एक आत्मा की भगवान के साथ विलय करने की इच्छा को और नकारात्मक मूल्यों को छोड़ने की जांच करता है।
राग गौरी- आध्यात्मिक सिद्धान्तों और विचारशीलता की खोज करता है।
राग आशा- आशा।
राग गुजरी- पूजा-पाठ की पड़ताल।
राग देवगंधारी- उन लोगों के साथ विलय के विषय की पड़ताल करता है जो पति या पत्नी और आत्मनिवेदन के साथ मिलते हैं।
राग सोरठ- देवताओं के गुण दोश को खोजता है।
राग धनासरी कई विषयों का प्रयोग करता है।
राग जैतश्री- स्थिरता प्रदान करता है।
राग तोड़ी- माया और अलगाव के बारे में बताता है।
राग बैरागी- ईश्वर की महिमा का गुणगान गाने को प्रेरित करता है।
राग तिलंग- प्रकार की कविताएँ जिसमें इस्लामी परम्परागत् शब्दों का संकलन हो जो उदासी व सौन्दर्य के लिये गाये जाते हों।
राग रामकली- ऐसे विषय को आधार बनाता है जिसमें सामाजिक जीवन का त्याग कर योगी बनना हो।
राग नट नारायण- ईश्वर से मिलने की खुशी को प्रदर्शित करता है।
राग माली गौरा और बसंती- खुशियों पर आधारित।
राग मारू- वीरता व दर्शन पर आधारित।
राग केदार- प्यार।
राग भैरव- नर्क के विभिन्न रूपों पर आधारित।
राग सारंग- भगवान के प्यास के विषयों पर आधारित।
राग जयवंती और वधन- अलगाव पर आधारित।
राग कल्याण, प्रभाति और कानरा- भक्तिमय।
राग सूही, बिहग्र और मलार- इसका विषय प्रेम पर आधारित व ईश्वर से दूर प्रेमी (पति) से मिलने की खुशी पर आधारित है।
ये सारे गीत दिन पर और सूर्य की स्थिति पर आधारित होते हैं, जैसे सुबह के लिए एक राग, दोपहर के लिए अन्य और सायं, रात्रि के लिए अन्य। एक पूरे दिन की रागमाला, जीवन के लिए एक रूपक है।
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