शाही पुल भारतीय पुल निर्माण कला का एक अद्भुत नमूना है। अकबर के काल से लेकर अब तक जस का तस खड़ा यह पुल किसी आश्चर्य से कम नहीं है। इस पुल के बारे में न जाने कितनी ही कहानियाँ कवितायेँ लिखी गयीं। हो ना हो यह अपने काल के सबसे महत्वपूर्ण निर्माणों में से एक था। यह पुल दो भागों में बनाया गया है सर्वप्रथम ओलंदगंज की तरफ का हिस्सा बनाया गया जो कि पुल के बीच में बसे मानव निर्मित टापू तक था। एक तरफ का निर्माण हो जाने के बाद नदी की धारा मोड़ कर दूसरे हिस्से में भी पुल का निर्माण किया गया। यह प्रदर्शित करता है कि गोमती नदी का वेग कितना तीव्र होगा और यह भी प्रदर्शित करता है कि पुल बनाने के विज्ञान ने उस वक़्त कितनी तरक्की कर ली थी।
जौनपुर के अलावा विश्व के दो अन्य पुल जो काफी हद तक इस पुल की तरह ही दिखते हैं, का भी निर्माण लगभग इसी काल में हुआ था। ये पुल हैं इस्फ़हान पुल और फ्लोरेंस पुल। इस्फ़हान पुल इरान में है और फ्लोरेंस पुल इटली में। ज्ञात होता है कि इन पुलों के भी मेहराबों का आकार प्रकार या आकृति पूर्ण रूप से शाही पुल से मिलती जुलती है। शाही पुल की ही भांति इन पुलों पर भी दुकानें लगाने का स्थान बनाया गया है। जौनपुर में शर्की शासन के दौरान ईरान और जौनपुर का एक मजबूत रिश्ता था तथा यहाँ पर हुए कई निर्माणों में ईरान से बड़ी संख्या में मदद मिली थी जिसके विवरण कई प्राचीन पुस्तकों में मिल जाते हैं। कदाचित् यह भी संभव है कि इस पुल के निर्माण के दौरान ऐसे ही किसी और पुल से प्रेरणा प्राप्त की गयी हो।
बहरहाल जो भी हो वर्तमान काल में यह पुल गोमती में अपना स्थान बनाये हुए खड़ा है परन्तु कितने दिन? यह बड़ा प्रश्न है। विश्व में अन्य सभी पुलों पर वाहन वर्जित हैं परन्तु शाही पुल आज भी वाहनों के बोझ को झेल रहा है।
प्रथम चित्र जौनपुर के शाही पुल का है। द्वितीय चित्र में ऊपर की तरफ ईरान के इस्फ़हान पुल को तथा नीचे की तरफ इटली के फ्लोरेंस पुल को दर्शाया गया है।
1. द शर्की सल्तनत ऑफ जौनपुर, मियाँ मुहम्मद सईद
2. शर्की आर्किटेक्चर ऑफ़ जौनपुर, फ्यूहरर ए.
3. https://www.visitflorence.com/florence-monuments/ponte-vecchio.html
4. https://www.iranvisitor.com/city-guides/isfahan-bridges
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