Post Viewership from Post Date to 23-Dec-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1900 69 1969

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण

जौनपुर

 22-11-2024 09:18 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
कई जौनपुर वासियों के लिए, शादियों के दौरान, पगड़ी का विशेष महत्व होता है। पगड़ी, जिसे 'साफ़ा' भी कहा जाता है, भारतीय पारंपरिक शादियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह केवल एक फ़ैशन स्टेटमेंट नहीं, बल्कि भारतीय पुरुषों के लिए, सम्मान और परंपरा का प्रतीक है। इसके अलावा, शादी का सेहरा एक पारंपरिक वस्त्र है, जिसे दूल्हा शादी के दौरान पहनता है। दूल्हे के सिर पर इसे बांधने की प्रक्रिया को "सेहरा बंदी" कहा जाता है।
तो आज हम भारतीय शादियों में पगड़ी के महत्व के बारे में जानेंगे। फिर, हम इन समारोहों में पहनी जाने वाली विभिन्न प्रकार की पगड़ियों के बारे में भी चर्चा करेंगे। इसके अलावा, हम सेहरा बंदी की परंपरा के बारे में भी जानेंगे, जिसमें यह प्रक्रिया कैसे और कौन करता है, इस पर बात होगी ।
भारतीय शादियों में पगड़ी का महत्व
1.) यह आपकी पहचान है: जो साफ़ा आप चुनते हैं, वह आपकी पर्सनैलिटी का एक हिस्सा बन जाता है। क्या आप क्लासिक और एलिगेंट (elegant) लुक चाहते हैं? या फिर बोल्ड और वाइब्रेंट स्टेटमेंट (vibrant statement) ? आपका साफ़ा, आपके व्यक्तिगत स्टाइल को दर्शाता है और आपके कपड़ों में एक अतिरिक्त ठाठ जोड़ता है।
2.) यह अवसर के अनुकूल होता है: विभिन्न अवसरों के लिए, अलग-अलग प्रकार के साफ़े बनाए जाते हैं। शादी का साफ़ा, राजसी आभा की मांग करता है, जबकि उत्सव का साफ़ा खेल-खिलवाड़ वाले रंगों और डिज़ाइनों को अपनाता है। सही साफ़ा चुनने से यह सुनिश्चित होता है कि आप उस पल के लिए सही तरीके से तैयार हैं।
3.) यह एक कहानी कहता है: साफ़ा सांस्कृतिक धरोहर की समृद्ध गाथा को अपने में समेटे होता है। इसके रंग, कपड़े और अलंकरण, अक्सर गहरे अर्थ रखते हैं, जो आपको परंपरा और पूर्वजों से जोड़ते हैं।
4.) केवल दूल्हों के लिए नहीं: साफ़े केवल दूल्हों के लिए नहीं होते, बल्कि इन्हें त्योहारों, सांस्कृतिक आयोजनों और अन्य उत्सवों में भी पहना जाता है। ये परंपरा, सम्मान और ठाठ का प्रतीक होते हैं, जिससे यह हर उम्र के पुरुषों के लिए एक बहुमुखी एक्सेसरी बन जाता है।
भारतीय शादियों में लोकप्रिय पगड़ी के विभिन्न प्रकार
1.) महाराष्ट्रीयन फेटा: महाराष्ट्रीयन फेटा का जन्म, कोल्हापुर में हुआ माना जाता है, जो महाराष्ट्र की ऐतिहासिक राजधानी थी, और यह छत्रपति शिवाजी के समय से जुड़ा हुआ है। फेटा उस समय के पेशवा मुकुट से बहुत मेल खाता है।
2.) फुलकारी मोती पगड़ी: इस पगड़ी के कपड़े का रंग बेज़ होता है, जिस पर मल्टी-कलर फुलकारी मोटिफ़्स और गोल्ड बॉर्डर होते हैं। इसका असामान्य लुक, कुंदन कलगी और गोल्ड मोती माला के साथ शानदार लगता है। सफ़ेद पंखों का जोड़, इसे मुग़ल काल का लुक देता है।
3.) बनारसी दूल्हा पगड़ी: अगर आप लाल और सोने का संयोजन पसंद करते हैं, लेकिन इसे सादा रखना चाहते हैं, तो इस प्रकार की पगड़ी चुन सकते हैं। यह बनारसी ब्रोकेड फ़ैब्रिक (brocade fabric) से बनी होती है, जो केसरिया लाल और सोने के रंग में होती है। इसका एक पुरानी दुनिया का आकर्षण और सांस्कृतिक माहौल होता है। यह शैली सादगी में क्लासिक है।
4.) वेलवेट और पंखों वाली पगड़ी: दूल्हा अपने गोल्ड और आइवरी शेरवानी के साथ वेलवेट मैरून और गोल्ड पगड़ी पहन सकता है। यह उसकी स्टोल से मेल खाती है और सफ़ेद पंखों के साथ यह एक राजसी आकर्षण देती है।
5.) लेहरिया दूल्हा पगड़ी: यह आमतौर पर पंजाबी शादियों में पहनी जाती है। यह चमकीले रंगों वाली पगड़ी कभी-कभी पहनने में मुश्किल हो सकती है, लेकिन यह न्यूट्रल शेरवानी और कुर्ते के साथ बहुत अच्छी लगती है। इसके अलावा, ऐसी पगड़ी पूरी तरह से पारंपरिक और 'बहुत एथनिक' लगती है।
भारतीय शादियों में सेहरा बंदी कौन करता है?
आमतौर पर, दूल्हे की माँ, बहनें, भाभी या सास सेहरा बंदी की मुख्य प्रदर्शनकर्ता होती हैं। यदि दूल्हे की कई बहनें या महिला रिश्तेदारें हों, तो हर महिला बारी-बारी से यह रिवाज़ निभाती है। इस पूरे रिवाज़ को निभाते समय, सभी महिलाएँ, पारंपरिक शादी के गीत गाती हैं। आमतौर पर, परिवार की महिलाएँ, रिश्ते के आधार पर सेहरा बंदी का रिवाज़ निभाती हैं। उदाहरण के लिए, यह रिवाज़ दूल्हे की माँ से शुरू होता है, फिर सबसे बड़ी बहन, छोटी बहन, सबसे बड़ी भाभी, और इस तरह से जारी रहता है।
सेहरा बंदी रिवाज़ कैसे निभाया जाता है?
शादी के दिन, सुबह-सुबह, परिवार की सभी महिलाएँ इस महत्वपूर्ण रिवाज़ की तैयारी में लग जाती हैं। जब दूल्हा पूरी तरह से तैयार हो जाता है और शादी के मंडप के लिए जाने के लिए तैयार होता है, तो दूल्हे की माँ उसके गोदी में एक नारियल रखती हैं, जिसे एक पल्ली या कपड़े में लपेटा जाता है। इसके बाद, दूल्हे के माता-पिता और बड़े रिश्तेदार, उसे शगुन के रूप में धनराशि या पारंपरिक उपहार देते हैं और मिठाई खिलाते हैं।
दूल्हे की भाभियाँ, फिर उसके आँखों में सुरमा या काजल लगाती हैं, या फिर उसकी आँख के कोने में एक छोटा सा निशान बनाती हैं। काजल या सुरमा लगाने का विशेष महत्व यह है कि इसे बुरी नज़र से बचाने के लिए एक पारंपरिक उपाय माना जाता है। इस रस्म के दौरान, सभी महिलाएँ काजल से संबंधित पारंपरिक गीत गाती हैं। एक बार यह प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद, दूल्हे की माँ, हर भाभी को शगुन की धनराशि देती हैं, ताकि बुरी शक्तियाँ दूर रहें।
अंत में, दूल्हे की बहन गुलाबी रंग की पगड़ी पर असली सेहरा बांधती है। यदि दूल्हे की एक से अधिक बहनें हों, तो वे सभी मिलकर सेहरा बांधने की रस्म निभाती हैं और फिर बारात के साथ आगे बढ़ती हैं। इस पूरी रस्म के दौरान, सभी लोग, सेहरा से जुड़े पारंपरिक गीत गाते हैं, जो इस रिवाज़ को और भी खास बना देते हैं।

संदर्भ -
https://tinyurl.com/yc2bwvve
https://tinyurl.com/8wxsynjb
https://tinyurl.com/yf6ptw4y

चित्र संदर्भ
1. भारतीय विवाह में दूल्हे की पगड़ी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बारात लेकर जा रहे दूल्हे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पगड़ी पहने दूल्हे को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. सेहरा पहने दूल्हे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जानिए, भारत में मोती पालन उद्योग और इससे जुड़े व्यावसायिक अवसरों के बारे में
    समुद्री संसाधन

     27-12-2024 09:24 AM


  • ज्ञान, साहस, न्याय और संयम जैसे गुणों पर ज़ोर देता है ग्रीक दर्शन - ‘स्टोइसिज़्म’
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     26-12-2024 09:28 AM


  • इस क्रिसमस पर, भारत में सेंट थॉमस द्वारा ईसाई धर्म के प्रसार पर नज़र डालें
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     25-12-2024 09:23 AM


  • जौनपुर के निकट स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर के गहरे अध्यात्मिक महत्व को जानिए
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     24-12-2024 09:21 AM


  • आइए समझें, भवन निर्माण में, मृदा परिक्षण की महत्वपूर्ण भूमिका को
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     23-12-2024 09:26 AM


  • आइए देखें, क्रिकेट से संबंधित कुछ मज़ेदार क्षणों को
    य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला

     22-12-2024 09:19 AM


  • जौनपुर के पास स्थित सोनभद्र जीवाश्म पार्क, पृथ्वी के प्रागैतिहासिक जीवन काल का है गवाह
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     21-12-2024 09:22 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के फूलों के बाज़ारों में बिखरी खुशबू और अद्भुत सुंदरता को
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     20-12-2024 09:15 AM


  • जानिए, भारत के रक्षा औद्योगिक क्षेत्र में, कौन सी कंपनियां, गढ़ रही हैं नए कीर्तिमान
    हथियार व खिलौने

     19-12-2024 09:20 AM


  • आइए समझते हैं, जौनपुर के खेतों की सिंचाई में, नहरों की महत्वपूर्ण भूमिका
    नदियाँ

     18-12-2024 09:21 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id