वाराणसी छावनी, हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी ज़िले में एक शहर है। इस कस्बे में, कोई ग्राम पंचायत नहीं है। वाराणसी छावनी, वाराणसी रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर पश्चिम में, लखनऊ से 324 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व में और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 12 किलोमीटर उत्तर में है। अगर हम एक छावनी (cantonment) की बात करें, तो ‘छावनी क्षेत्र’ वह स्थान होता है, जहां सैन्यकर्मी या पुलिस तैनात होते हैं, या जहां सैन्य अभियान चलाए जाते हैं। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और दक्षिण एशिया के अन्य हिस्सों में, छावनी एक स्थायी सैन्य स्टेशन है। 1765 में स्थापित, बैरकपुर का सैन्य स्टेशन (Barrackpur Cantonment) , भारत की सबसे पुरानी छावनी है। तो आज, चलिए जानें कि छावनी क्या होती है। फिर हम बैरकपुर छावनी और उसके इतिहास के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। हम इसके स्थान, जनसंख्या, परिवहन और स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में भी बात करेंगे। इसके अलावा, हम इस छावनी के महत्व पर भी कुछ प्रकाश डालेंगे। इस संदर्भ में, हम इस बात पर ध्यान केंद्रित करेंगे कि, इस छावनी में ऐतिहासिक संपदा का भंडार कैसे है।
छावनी, एक ऐसा क्षेत्र होता है, जहां सैन्य टुकड़ियों को रखा जाता है, और यह मुख्य रूप से सैनिकों के आवास के लिए समर्पित है। इसे ‘सैन्य क्वार्टर’ भी कहा जा सकता है। एक छावनी में सैन्य और नागरिक आबादी शामिल होती हैं। जबकि, एक सैन्य स्टेशन, विशेष रूप से सैन्य कर्मियों के उपयोग और आवास के लिए होता है। इसे एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से स्थापित किया जाता है। हालांकि, नागरिक आबादी सैन्य स्टेशनों, जैसे कि – कार्यालयों, रक्षा संपदा विभागों और सैन्य स्कूलों में भी मौजूद है, जो नागरिक छात्रों को प्रवेश देते हैं।
बैरकपुर छावनी का परिचय:
बैरकपुर छावनी, पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले के उत्तरी उपनगरीय भाग कोलकाता में एक शहर और एक छावनी बोर्ड है। यह कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण (के एम डी ए) के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र का भी एक हिस्सा है।
बैरकपुर छावनी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी:
•स्थान: बैरकपुर उपखंड की 96% आबादी शहरी क्षेत्रों में रहती है। 2011 में इसका जनसंख्या घनत्व 10,967 प्रति वर्ग किलोमीटर था। इस उपखंड में 16 नगर पालिकाएं और 24 जनगणना शहर आते हैं।
•जनसंख्या: भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, बैरकपुर छावनी बोर्ड की कुल जनसंख्या 17,380 थी। इसमें 8,872 (51%) पुरुष और 8,508 (49%) महिलाएं थीं। जबकि, 6 वर्ष से कम आयु की जनसंख्या 1,447 थी। बैरकपुर छावनी में साक्षर लोगों की कुल संख्या 14,096 थी।
•परिवहन: बैरकपुर छावनी कई सड़कों जैसे बैरक रोड, स्ट्रैंड रोड, कोर्ट रोड आदि से जुड़ी हुई है। एस एन बनर्जी रोड के साथ, यह घोषपारा रोड, बैरकपुर-बारासात रोड (कल्याणी एक्सप्रेसवे और राष्ट्रीय राजमार्ग 12 की ओर) और बैरकपुर ट्रंक रोड से जुड़ी हुई है। इसका निकटतम रेलवे स्टेशन, बैरकपुर रेलवे स्टेशन है। बैरकपुर में तीन नौका सेवा स्टेशन भी हैं – धोबी घाट, मनिरामपुर से सेरामपुर छतुगंज और शेराफुली। निकटतम नागरिक हवाई अड्डा, नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है, जो बैरकपुर छावनी क्षेत्र से 25 किलोमीटर दूर है। लेकिन बैरकपुर छावनी में भारतीय वायु सेना के स्वामित्व वाला एक सैन्य एयर बेस है।
•स्वास्थ्य देखभाल: उत्तर 24 परगना ज़िले की पहचान, उन क्षेत्रों में से एक के रूप में की गई है, जहां भूजल आर्सेनिक प्रदूषण से प्रभावित है। लेकिन, पास में छावनी जनरल अस्पताल और डॉ. भोला नाथ बोस उपमंडलीय अस्पताल हैं।
बैरकपुर छावनी का इतिहास:
बैरकपुर छावनी में ब्रिटिश सत्ता के विरुद्ध दो विद्रोह हुए थे। इनमें से पहला, 1824 का बैरकपुर विद्रोह था, जिसका नेतृत्व सिपाही बिंदी तिवारी ने किया था। इस विद्रोह में 47वीं बंगाल नेटिव इंफ़ैंट्री ने प्रथम आंग्ल-बर्मी युद्ध में बर्मा तक जाने के लिए, सामाजिक वर्जित “काला पानी” सहित विभिन्न कारणों से, समुद्र पार करने के लिए नावों पर चढ़ने से इनकार कर दिया था। परिणामस्वरूप, ब्रिटिश-चालित तोपखाने ने उन पर गोलीबारी की और उन्हें “मिटा” दिया था।
एक तरफ़, 1857 में बैरकपुर एक घटना का दृश्य था, जिसे 1857 के भारतीय विद्रोह की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है। यहां वीर भारतीय सैनिक – मंगल पांडे ने अपने ब्रिटिश कमांडर पर हमला किया था। उनकी रेजिमेंट को, अतः भंग कर दिया गया, जिससे कई सिपाही नाराज़ हो गए। माना जाता है कि, इस घटना ने उन कारणों में योगदान दिया, जिसने विद्रोह को बढ़ावा दिया था।
भारत की सबसे पुरानी छावनी के पास, ऐतिहासिक संपदा का भंडार कैसे है?:
बैरकपुर का भारत के इतिहास में एक विशेष स्थान है। यह भारत की पहली छावनी थी, जिसके कारण, इस शहर में प्रचुर मात्रा में औपनिवेशिक विरासत मौजूद है।
1795 में जब लॉर्ड वेलेस्ली(Lord Wellesley) गवर्नर जनरल बने, तो उन्होंने, बैरकपुर को बढ़ावा देने और इसे कोलकाता के जुड़वां शहर के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया। योजना यह थी कि, प्रत्येक शहर में एक अर्थात दो गवर्नर हाउस हों और प्रशासन दोनों के बीच में रहे।
कोलकाता का विशाल गवर्नर हाउस (राजभवन) 1803 तक बनकर तैयार हुआ। जब लॉर्ड हेस्टिंग्स(Lord Hastings) ने गवर्नमेंट हाउस को अंतिम रूप दिया, तो इसकी सुंदरता में सामने के लॉन पर लगे संगमरमर के फ़व्वारे का एक बड़ा योगदान था। यह मूल रूप से आगरा का था, जो शाहजहां के जनाना में उनके हम्माम का हिस्सा था। जब हेस्टिंग्स ने आगरा का दौरा किया, तो उन्होंने इसे पसंद किया और उन्होंने संगमरमर के स्लैबों क, नक्काशी के साथ आगरा से बैरकपुर तक, नौकाओं पर भेजा और बैरकपुर में स्थापित किया। कई वर्षों तक आगरा का यह फव्वारा उपेक्षित रहा और मिट्टी में दबा रहा। लेकिन किसी तरह, यह सही–सलामत भी रहा, जब तक कि, जीर्णोद्धार के बाद यह ठीक नहीं हो गया।
हवेली को, करीने से सजाई गई सामने की छत से सटा, एक विशाल बरगद का पेड़ भी यहां था, जो 350 साल पुराना था। बैरकपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा, इस जमीन को खरीदने से पहले से ही यह पेड़ यहां मौजूद है और हाल ही में चक्रवात अम्फान से क्षतिग्रस्त होने के बावजूद, यह सबसे प्रभावशाली बना हुआ है।
हनीमून हाउस नामक, एक बंगले के भीतर, ऑस्ट्रेलिया(Australia) के एक चैंपियन घोड़े – म्याल किंग(Myall King) को श्रद्धांजलि देने के लिए, बनाया गया एक छोटा सा स्थल है।
इस छावनी में, एक और महत्वपूर्ण ऐतिहासिक अवशेष – गैरीसन चर्च है, जिसे अब सेंट बार्थोलोम्यू कहा जाता है। इसे 1831 में अंग्रेज़ी सैनिकों और उनके परिवारों के लिए, बैरक के करीब बनाया गया था।
संदर्भ
https://tinyurl.com/3uc56b3m
https://tinyurl.com/yx6vcv4j
https://tinyurl.com/4x5szmb5
https://tinyurl.com/yz2m2n97
चित्र संदर्भ
1. कोलकाता में स्थित बैरकपुर छावनी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बैरकपुर छावनी में रिवरसाइड रोड (Riverside Road) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. बैरकपुर छावनी में एक खंडित ईमारत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कोलकाता के विशाल राज भवन के सामने के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)