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मूल पौधें का भाग होते हुए भी, विविपैरी के माध्यम से, फल करते हैं, नए जीवन की शुरुआत

जौनपुर

 14-10-2024 09:24 AM
व्यवहारिक
जौनपुर के नागरिकों ने, शायद यह देखा होगा कि, कभी-कभी, स्ट्रॉबेरी के फल, अपने मूल पौधे से जुड़े होते हुए भी, अंकुरित हो सकते हैं। या फिर, टमाटर उभरकर फूटने लगते हैं, क्योंकि, टमाटर की छोटी लताएं, उनके अंदर से, ऊपर और बाहर की ओर बढ़ती हैं। इस घटना को विविपैरी (Vivipary) कहा जाता है। पौधों में, विविपैरी तब होती है, जब बीज या भ्रूण, मूल पौधे से अलग होने से पहले विकसित होने लगते हैं। उदाहरण के लिए, मैंग्रोव की कुछ प्रजातियों में, बीज अपने मूल पौधे से, जुड़े रहते हुए भी, अपने संसाधनों से, अंकुरित होते और बढ़ते है। यह प्राकृतिक घटना, अवांछित अंकुरण को रोकती है। तो आइए, आज विविपैरी के बारे में, विस्तार से जानें। हम, यह भी समझेंगे कि, पौधों में, इस अनोखे व्यवहार के क्या कारण हो सकते हैं। फिर, हम पौधों में तीन मुख्य प्रकार के विविपैरी व्यवहार पर चर्चा करेंगे। उसके बाद, हम कुछ ऐसे पौधों का पता लगाएंगे, जो विविपैरस व्यवहार दिखाते हैं।
कभी–कभी, स्ट्रॉबेरी के बीज तब भी अंकुरित हो सकते हैं, जब फल अपने मूल पौधे से, जुड़ा होते हैं । इससे, स्ट्रॉबेरी की लाल सतह से दर्जनों हरे अंकुर निकलते हैं। इस फल के खंडों से, घुमावदार हरे लता-तंतु निकल सकते हैं, जो किसी प्रकार के विनाशकारी कृमि संक्रमण की तरह दिखते हैं। साथ ही, जैसे-जैसे टमाटर की छोटी लताएं, इसके अंदर से बाहर की ओर बढ़ती हैं, उनकी सतह उभरने लगती है, और फिर फटने लगती है।
लेकिन, ये प्रभाव देखने में भले ही, कितने भी अप्रिय क्यों न हों, ये शायद ही कभी किसी आक्रमणकारी परजीवी या किसी बीमारी का परिणाम होते हैं। ये सभी चौंकाने वाले घटनाक्रम, विविपैरी नामक, प्रक्रिया के उदाहरण हैं। विविपैरी शब्द को, लैटिन(Latin) भाषा से, ‘जीवित जन्म’ पद के लिए, लिया गया है। इस प्रक्रिया में, बीज अपने आवंटित समय से पहले अंकुरित होते हैं और यह अपेक्षाकृत एक दुर्लभ, लेकिन आकर्षक घटना है।
लगभग सभी बीज वाले फल, एक हार्मोन(Hormone) का उत्पादन करते हैं, जो बीजों की अंकुरित होने की प्रक्रिया का दमन करता है, और उन्हें सुप्त अवस्था में रखता है। एक बार जब फल या मूल पौधा मर जाता है, या फिर, बीजों को पशु आहार द्वारा मुक्त कर दिया जाता है, तो, इस हार्मोन का प्रभाव ख़त्म होने लगता है। बाद में, उपयुक्त परिस्थितियां होने पर, बीज, अंकुरण की राह पर चल पड़ते हैं।
कुछ प्रजातियां ऐसी हैं, जिनकी प्रजनन रणनीति के केंद्र में, इस दमनकारी हार्मोन की कमी है। उदाहरण के लिए, उन फलों के लिए, जो बड़े मौसमी बदलावों के बिना जलवायु में विकसित होते हैं, अंकुरण में देरी, काफ़ी हद तक, व्यर्थ हो सकती है। या फिर, मैंग्रोव(तटीय क्षेत्रों में, खारे पानी में उगने वाले पौधे ) दलदलों में, अधिक प्रभावी ढंग से प्रजनन करते हैं, जब अंकुरित बीज नीचे पानी में गिरते हैं और तुरंत जड़ का निर्माण शुरू कर देते हैं।
लेकिन, किसी भी कारण से, जिन बीजों में स्वाभाविक रूप से निष्क्रियता हार्मोन की कमी होती है, वे, मूल पौधे से जुड़े रहते हुए भी अंकुरित होने के लिए विकसित होते हैं। यह अंकुर, फलों के अंदर, या सतह पर होते हैं।
विविपैरी के 3 मुख्य प्रकार, निम्नलिखित हैं:
1.) ट्रू विविपैरी(True Vivipary): ट्रू विविपैरी में, कोई बीज, फल के अंदर अंकुरित होता है और फल पेड़ से निकलने से पहले ही फल के छिलके या सतह को पार कर जाता है। ट्रू विविपैरी, आमतौर पर मैंग्रोव या समुद्री घास जैसे उष्णकटिबंधीय या उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में, उथले, समुद्री आवासों में स्थित, पौधों के बीच देखी जाती है।
2.) साइप्टोविविपैरी(Cyptovivipary): इस स्थिति में, कोई बीज, फल के अंदर अंकुरित होता है, लेकिन, फल गिरने या फूटने तक, अंदर ही रहता है। कैक्टस – एपिफ़िलम फ़ाइलेन्थस(Epiphyllum phyllanthus), क्रिप्टोविविपैरस(Cryptoviviparous) है, इसलिए, अंकुरित बीज, फल को तब तक नहीं छोड़ते, जब तक कि वह फूट न जाएं ।
3.) सूडोविविपैरी (Pseudovivipary): यह, फूल के शीर्ष में, बल्बिल(Bulbils) या, छोटे पौधों का उत्पादन है। इसमें, बीज शामिल नहीं होते हैं और इसके बजाय, यह अलैंगिक प्रजनन का एक रूप है।
वे पौधे, जो विविपैरस व्यवहार दिखाते हैं, वे, इस प्रकार हैं:
1.) विविपैरी आपकी रसोई में, या आपके बगीचे में भी हो सकती है। सबसे आम विविपैरस पौधों में से कुछ – टमाटर (सोलनम लाइकोपर्सिकम – Solanum lycopersicum), सेब (मैलस डोमेस्टिका – Malus domestica), साइट्रस (साइट्रस एसपीपी – Citrus spp.), स्ट्रॉबेरी, मक्का (ज़िया मेज़ – Zea mays) एवं, स्क्वैश और कद्दू (कुकुर्बिटा एसपीपी – Cucurbita spp.), आदि हैं। जब आपकी रसोई में, फलों में विविपैरी होती है, तो वह अंकुरित बीज वाला फल खाने के लिए, ठीक रहता है, लेकिन हो सकता है कि वह उतना स्वादिष्ट न लगे।
2.) अल्पाइन बिस्टोर्ट(Alpine bistort) या बिस्टोर्टा विविपैरा (Bistorta vivipara), पूरे उत्तरी गोलार्ध में पाई जाने वाली, एक बारहमासी जड़ी बूटी है । जीवित संतान पैदा करके, यह पौधा उच्च ऊंचाई और ठंडी जलवायु के लिए, पूरी तरह से अनुकूलित हो जाता है। गर्मियों में, इसके बल्बिल में, पत्तियां निकलती हैं, एवं, तेज़ी से नए पौधों में विकसित होती हैं। ये नए पौधे, ठंड के मौसम, बर्फ़ और हिमपात से पहले, खुद को स्थापित करने के लिए, नीचे गिर जाते हैं। इससे मौसम के लिए, बढ़ती प्रक्रिया रुक सकती है। तकनीकी रूप से, बिस्टोर्टा विविपैरा, स्यूडोविविपैरी के माध्यम से प्रजनन करता है, क्योंकि, बल्ब, वानस्पतिक प्रजनक हैं।
3.) लाल मैंग्रोव (राइजोफ़ोरा मैंगल – Rhizophora mangle), और ग्रे मैंग्रोव (एविसेनिया मरीना – Avicennia marina) दोनों, सच्चे विविपैरस पौधे हैं। वे, लंबे व पतले बीजों के साथ फल पैदा करते हैं, जो मूल पौधे से जुड़े रहते हुए ही अंकुरित होते हैं। अंकुरित बीज, अपने नए घर में स्थापित हो जाने पर, यह उनके अंतर्ज्वारीय वातावरण में तेज़ी से स्थापित होने की अनुमति देता है। ये अंकुर, तरंगे और ज्वारीय धाराओं द्वारा किसी अन्य जगह ले जाए जा सकते हैं, जब तक कि, वे अंततः एक अनुकूल स्थान पर नहीं पहुंच जाते।

संदर्भ

https://tinyurl.com/yc5t3sw8
https://tinyurl.com/yfyj7fym
https://tinyurl.com/f37myhf7

चित्र संदर्भ
1. स्ट्रॉबेरी अंकुरण (विविपैरी) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. स्किमिया जैपोनिका में विविपैरी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. सूडोविविपैरी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. सेचियम एड्यूल में अंकुरण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. लाल मैंग्रोव को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


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