जीवन का विस्तार और इसकी जटिलता यह समझने में मददगार साबित हो सकती है कि क्यों करोड़ों ग्रहों उपग्रहों में से केवल एक ग्रह पर ही जीवन संभव है। अत्यधिक बड़े ग्रह जिनका तापमान माइनस 120 डिग्री सेल्सियस है और जिनका वायुमंडल अमोनिया और मीथेन गैस से भरा हो वो जीवन के लिए बिलकुल अनुकूल नहीं होते। यह हमारे पृथ्वी के नज़दीक बसे ग्रहों शुक्र और मंगल की तरफ इशारा करता है।
शुक्र पृथ्वी से तुलना योग्य है तथा यह भी संभव है कि इस पर कभी समुद्र रहा हो और इसका एक वायुमंडल होगा। लेकिन इसका उष्ण कटिबंधीय समुद्र उबलता होगा और इसके ध्रुवीय क्षोरों पर कार्बन डाइऑक्साइड की अधिकता होगी और ऑक्सीजन की कमी। इस प्रकार से इसका वायुमंडल अल्ट्रा वायलेट किरणों से सुरक्षा प्रदान करने योग्य नहीं होगा। और यदि ऐसी स्थिति में यहाँ पर फोटोसिंथेसिस होता है और ऑक्सीजन का निर्माण होता है तब इस स्थित में यहाँ पर समुद्री जीवन संभव हो सकता है।
मंगल के छोटे आकर का होने के कारण यहाँ का ध्रुव जल्दी पिघल जायेगा। यह वातावरण में मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड प्रवाहित करता है। यहाँ का वायुमंडल अत्यंत कठिन है और यहाँ तरल रूप में पानी कि मदद से होने वाला फोटोसिंथेसिस संभव नहीं है।
हमारे सौर मंडल में जीवन की संभावना का नगण्य होना यह सन्देश नहीं देता कि सम्पूर्ण तारामंडल में कोई जीवित ग्रह नहीं होगा। प्रत्येक आकाशगंगा हजारों लाखों सौर मंडल को अपने में समाहित किये रहती है जिनमें से कई ऐसे भी हो सकते हैं जो कि पृथ्वी की तरह के वायुमंडल वाले हों। यह तथ्य मात्र एक मत भी हो सकता है।
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