जौनपुर का शाही पुल अपनी वस्तु के कारण पूरे विश्व भर में प्रसिद्द है, यह पुल मात्र अपनी बनावट शैली ही नहीं अपितु अपनी मूर्तियों के लिए भी जाना जाता है। इस पुल के ऊपर रखी गयी शेर और हाथी की मूर्ती अपने में ही अद्भुत है। जादुई मछली की बनावट कला यहाँ की शिल्पकारी को प्रदर्शित करती है। शाही पुल के मेहराबों पर बनी जादूई मछलियों के समीप ही दो शेरों की मूर्तियाँ भी बनायीं गयी हैं जो कि अपने आप में ही एक विशिस्ट कला का प्रदर्शन करती हैं। पुल के मेहराब के दोनों तरफ बनाये गए ये दो शेर अपनी बनावट के अनुसार अन्य शेरों से अलग प्रतीत होते हैं तथा इनका शरीर छरहरा है और इनके मुख का आकार व प्रकार भी काफी भिन्न प्रतीत होता है। ये दोनों शेर इसप्रकार से बनाये गए हैं जैसे मनो कि वो नदी पर अपनी आँखे जमाये निगरानी कर रहे हों। इनकी पूँछ एकदम सतर्क मुद्रा में बनायीं गयी हैं।
इसी प्रकार के दो जोड़ी शेरों का निर्माण आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा के किले पर भी दिखाई देता है जिसपर बहमानियों का शासन था और कालांतर में क़ुतुब शाही राजाओं के संपर्क में आया। यदि दोनों मूर्तियों में हम मिलान करते हैं तो दोनों मूर्तियाँ एक जैसी ही प्रतीत होती हैं। गोलकोंडा की मूर्ती बाला हिसार दरवाजे पर बनायी गयी है। काल खंड के अनुरूप भी ये मूर्तियाँ काफी हद तक एक काल की ही हैं। अन्य कई इस्लामिक वस्तुओं पर भी ऐसी शेर की मूर्तियाँ दिखाई देती हैं जो इस काल की कला को प्रदर्शित करती हैं।
प्रथम चित्र में जौनपुर के शाही पुल पर बने शेर को दर्शाया गया है। वहीँ द्वितीय चित्र में गोलकोंडा किले पर बने शेर को दर्शाया गया है।
1. रीवीलिंग इंडियाज़ पास्ट, जॉन कम्मिंग
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