जौनपुर के व्यंजनों का ट्रेडमार्क स्वाद, एक तीखापन है, जो सुगंधित मसालों के मिश्रण, वस्तुतः, बिना प्याज़, और दही के उपयोग से आता है। पिछले कुछ वर्षों में, जौनपुर के व्यंजनों ने, एक स्वादिष्ट दावत बनने हेतु, विभिन्न प्रकार के व्यंजनों के साथ, सामंजस्य स्थापित किया है। अगर हम, इनकी खासियत की बात करें, तो क्या आप जानते हैं कि, जौनपुरी नेवार मूली, छह फ़ीट तक लंबी हो सकती है। इस कारण, यह, अपने बड़े आकार के लिए, जानी जाती है। तो चलिए, आज जौनपुर के खान-पान, और शहर की लजीज़ संस्कृति के बारे में, विस्तार से बात करते हैं। हम जौनपुरी मूली के बारे में चर्चा करेंगे और जानेंगे कि, क्या चीज़ इसे इतना अनोखा बनाती है। इसके अलावा, हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि, जौनपुर का समोसा, भारत में बनाए जाने वाले, अन्य समोसों से कैसे अलग है। इसके बाद, हम जौनपुर के कुछ लोकप्रिय स्थानीय व्यंजनों के बारे में भी जानेंगे, जिन्हें आपको ज़रूर चखना चाहिए।
आप, जौनपुर में, सभी प्रकार के अवधी व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं। जबकि, मुगलों ने, तंदूर शैली के व्यंजनों को प्राथमिकता दी थी | अवधी व्यंजन, ज़्यादातर तवे के सहयोग से, बनाए जाते हैं।
अवधी व्यंजनों के लिए, जौनपुर में उपयोग किए जाने वाले बर्तनों के बारे में, जानना आवश्यक है। माही तवा, सीनी, लगन, भगोना या पतीली, देग या देगची, लोहे का तंदूर और कढ़ाई, आदि बर्तनों का, अवधी व्यंजन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।
अवधी व्यंजनों के कुछ प्रमुख व्यंजन, निम्नलिखित हैं –
कबाब,गलावटी कबाब,
काकोरी कबाब,
शामी कबाब,
पसंद कबाब,
नहारी,
मुर्ग मुस्सलाम,
रेज़ाला,
कुन्दन कालिया,
शाही कोरमा कालिया,
बादल जैम,
चावल की थाली में नूर महल पुलाव,
ज़रदा,
मलीदा,
शीरमाल और
खीर एवं हलवा जैसी मिठाइयां आदि।
हमारे शहर जौनपुर में, अधिकांश हिंदू समुदाय, दृढ़ शाकाहारी हैं, और उनका भोजन पूरी तरह से शाकाहारी व्यंजनों से संबंधित है। इसमें “आलू-पूरी” या आलू एवं तली हुई, गेहूं की रोटी से लेकर, स्वादिष्ट मिठाइयां शामिल हैं।
इन व्यंजनों के अलावा, जो अन्य चीज़ जौनपुर में प्रसिद्ध है, वह है – जौनपुरी मूली। आइए, समझते हैं कि, जौनपुरी मूली क्या है, और यह इतनी अनोखी क्यों है?
जौनपुरी मूली के “स्थानीय नाम – नेवार मुराई, नेवार मूली (हिंदी), जायंट रैडिश (Giant Radish) ( अंग्रेज़ी) आदि हैं । यह मूली, 3 से 5 फ़ीट की मानक लंबाई तक बढ़ती है, और वज़न में, 10 किलोग्राम या उससे अधिक तक पहुंचने में सक्षम है । जौनपुरी मूली की, इस पारंपरिक किस्म का आकार, अपने लंबे और पतले क़िस्मों के विपरीत, किसी गोल चमगादड़ जैसा होता है। ब्रिटिश काल के दौरान, जौनपुरी मूली बेहद लोकप्रिय हो गई थी, और आज इस मूली का 90% उत्पादन और उपभोग, भारत में किया जाता है।
जौनपुरी मूली, जौनपुरी सब्ज़ियों की कुछ क्षेत्रीय रूप से खेती की जाने वाली, क़िस्मों का प्रतिनिधित्व करती है, जो आज भी, जौनपुर में उगाई जा रही हैं । इसकी खेती के स्थान के नाम पर, इस मूली का नाम, 1804 से या संभवतः, इस तिथि से पहले प्रयुक्त माना जाता है।
जौनपुरी या बड़ी मूली, अन्य किस्मों की तुलना में, अधिक मीठे और मज़बूत गूदे के लिए जानी जाती है। यह आलू जैसे, भंडारण स्थितियों में भी, अच्छी तरह से संग्रहित होती है। इसलिए, यह उबालने और सूप में उपयोग करने के लिए उपयुक्त है, क्योंकि, यह अपनी संरचना और दृढ़ बनावट को बनाए रखती है । जबकि, जौनपुरी मूली अब इस क्षेत्र की प्रमुख व्यावसायिक फ़सल नहीं है, यह एक, प्रिय पारंपरिक फ़सल बनी हुई है।
इसके अतिरिक्त, जौनपुर का समोसा, भारत में बनाए जाने वाले, अन्य समोसों से भिन्न होता है। जौनपुर में, समोसे को, मसालों और भराई के उपयोग के लिए, जाना जाता है। यह इसे भारत में बनाए जाने वाले, अन्य समोसों से अलग करता है। जौनपुर में, समोसे, आमतौर पर, आकार में बड़े होते हैं, और कीमा, दाल, इलायची, दालचीनी और लौंग जैसे सुगंधित मसालों के संयोजन से, भरे होते हैं। इसके अलावा, जौनपुर के समोसे का बाहरी पेस्ट्री खोल, अक्सर अन्य समोसे की तुलना में, अधिक मोटा और कुरकुरा होता है।
वे व्यंजन, जो पर्यटकों को, जौनपुर आने पर अवश्य चखने चाहिए, निम्नलिखित हैं:
1.) समोसा: अगर समोसा, एक कला का नमूना है, तो जौनपुर-वाराणसी के लोगों को, इसमें महारत हासिल है। इस समोसे की भराई, यहां महत्वपूर्ण है, और आपको, इसे कढ़ाई से निकालने के बाद, जल्द ही, गरमागरम खाना है। जौनपुर और वाराणसी में, हर दूसरा स्टॉल, इस प्रसिद्ध स्नैक को परोसता है। इसे, चाय या कोल्ड ड्रिंक या रोटी के साथ खायें, या फिर, आप, यह समोसा चटनी के साथ खा सकते हैं ।
2.) लौंग लता: लौंग लता, समोसे का करीबी है। यह, समोसे जैसा दिखता है, लेकिन, इसका स्वाद, मीठे समोसे जैसा होता है। इसमें, कोई आलू की भराई नहीं होती है। इसके बजाय, ग्राहकों को, गरमा गर्म परोसने से पहले, इस फूली हुई पेस्ट्री को, डीप फ्राई किया जाता है, और चीनी की चाशनी में भिगोया जाता है। यह कुरकुरा, समृद्ध और स्वादिष्ट होता है। यदि आप मीठे के शौकीन हैं, तो आपको, यह ज़रूर पसंद आएगा।
3.) इमरती: इमरती जौनपुर की विशेषता है। यह व्यंजन, जलेबी की तरह दिखता है, लेकिन, इससे मोटा होता है और फ़ूल के आकार में बनाया जाता है। जलेबी की तुलना में, इमरती का गहरा लाल रंग होता है। इस मिठाई को, डीप फ़्राई किया जाता है, और चीनी की चाशनी में भिगोया जाता है। लेकिन, जलेबी के विपरीत, इसकी चाशनी को सुखा दिया जाता है, जिससे, यह कम मीठी हो जाती है।
4.) छेना: छेना, दरअसल, ओडिशा का मूल व्यंजन है। लेकिन, जौनपुर और वाराणसी के कुछ हिस्सों में भी यह प्रसिद्ध हैं। आप, छेना से, बहुत कुछ बना सकते हैं। यह मूल रूप से, गाय के दूध से बना, कच्चा पनीर होता है।
5.) बनारसी मीठा पान: आपने पानवाले को, उनकी मंद रोशनी वाली दुकान में, दिन भर में, सैकड़ों पान बनाते हुए देखा होगा, जो की एक अद्भुत दृश्य है। उनके हाथ, एक मशीन की तरह काम करते हैं, और, सभी सामग्री को, चरण दर चरण जोड़ते हैं। यह विभिन्न सामग्री, पान के पत्ते पर, मानों रंगों की बौछार है। फिर, वह टूथपिक से, इसे धीरे से पकड़ कर, आपको सौंप देगा। इस प्रकार बनाए गए पान को, अपने मुंह में, डालकर, उसे अपना जादू चलाने दें।
संदर्भ
https://tinyurl.com/hpdt7xbe
https://tinyurl.com/2j58esca
https://tinyurl.com/ypf6t7t2
https://tinyurl.com/25vd4a85
चित्र संदर्भ
1. मूली की पत्ती के साथ रखे गए समोसों को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. तंदूरी रोटी बनाती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
3. विशाल मूली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. चटनी के साथ रखे गए समोसों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. इमरती को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. बनारसी पान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)