गोमती और सई हमारे जौनपुर ज़िले से होकर बहने वाली दो प्रमुख नदियाँ हैं। इनके अलावा, हमारे शहर में वरुणा, बसुही, पिली, मामूर और गंगी जैसी छोटी नदियां भी प्रवाहित होती हैं। गोमती और बसुही नदियाँ, जौनपुर ज़िले को चार भागों में विभाजित करती हैं। आज के इस लेख में, हम गोमती नदी के उद्गम, प्रभाव, महत्व और फ़ैलाव के बारे में विस्तार से जानेंगे। इसके अलावा, हम गोमती नदी के सांस्कृतिक महत्व को भी समझेंगे। इसी क्रम में हम शारदा सहायक प्रोजेक्ट नामक एक महत्वपूर्ण परियोजना पर भी चर्चा करेंगे। अंत में, हम देखेंगे कि नदियाँ हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करती हैं |
गोमती नदी का विवरण: गोमती नदी, एक जलोढ़ नदी ( Alluvial River) है। जलोढ़ नदी, उन नदियों को कहा जाता है, जो जलोढ़ मिट्टी (Alluvial Soil) के निर्माण में योगदान देती हैं। गोमती नदी का उद्गम गोमत ताल से होता है। गोमत ताल को फुलहार झील भी कहा जाता है। यह झील, उत्तर प्रदेश में पीलीभीत ज़िले के माधोटांडा’ के पास स्थित है। अपने उद्गम स्थल से यह नदी दक्षिण की ओर बहती है। अपने मार्ग में यह नदी सीतापुर, लखनऊ, बाराबंकी, सुल्तानपुर और जौनपुर जैसे ज़िलों से होकर जाती है। अंत में, गोमती नदी वाराणसी के निकट पवित्र गंगा नदी के साथ एक हो जाती है। गोमती नदी की कुल लंबाई, लगभग 900 किलोमीटर है। इसका जल निकासी क्षेत्र, 30,437 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है।
गोमती एक बारहमासी नदी है। यानी यह नदी पूरे वर्ष बहती रहती है। आमतौर पर इसका प्रवाह सालभर धीमा ही रहता है। लेकिन मानसून के दौरान, भारी वर्षा के कारण, नदी में बहने वाले पानी की मात्रा में भारी वृद्धि हो जाती है। कई छोटी-छोटी नदियाँ भी गोमती नदी में आकर मिलती हैं। इन्हें सहायक नदियाँ कहा जाता है। इसकी कुछ मुख्य सहायक नदियों में कथिना, भैंसी, सरायन, गोन, रेथ, सई, पिली और कल्याणी शामिल हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं में, गोमती नदी को ऋषि वशिष्ठ की पुत्री माना जाता है। मान्यता है कि इसका पानी इतना शक्तिशाली है कि यह महापापियों के पापों को भी धो सकता है। हर साल, कई तीर्थयात्री, अपने पापों की मुक्ति के लिए, गोमती नदी के पवित्र जल में डुबकी लगाते हैं। क्या आप जानते हैं कि गोमती नदी को 'उतरती हुई गंगा' के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यह नदी, सीधे स्वर्ग से आती है। यही कारण है कि हिंदू पौराणिक कथाओं में इसका वर्णन “पापनाशिनी नदी” के रूप में किया जाता है।
गुजरात के द्वारका में स्थित, गोमती घाट का धार्मिक और पौराणिक तौर पर बहुत गहरा महत्व रहा है। भक्त आमतौर पर यहाँ के गोमती कुंड में पवित्र स्नान करते हैं। गोमती कुंड, द्वारका में गोमती संगम घाट के पास स्थित है। गोमती घाट पर आने वाले पर्यटक कई तरह से आध्यात्मिक तृप्ति पा सकते हैं। डुबकी लगाने के अलावा, इस घाट पर आकर, भक्त भगवान कृष्ण, भगवान राम, सुदामा और भगवान शिव को समर्पित कई मंदिरों के दर्शन कर सकते हैं। साथ ही, यहाँ पर नदी में नौका विहार करने के दौरान, पवित्र शहर द्वारका के मनमोहक दृश्य दिखाई देते हैं।
गोमती नदी की भांति, शारदा सहायक परियोजना (Sharda Sahayak Project) भी हमारे जौनपुर के लिए अत्यंत लाभदायक सिद्ध हुई है। शारदा नहर प्रणाली (Sharda Canal System), उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी और सबसे पुरानी सिंचाई प्रणालियों में से एक है। इसका निर्माण, 1928 में किया गया था। इस प्रणाली के निर्माण का प्रमुख उद्देश्य, लगभग 2.55 मिलियन हेक्टेयर में फ़ैली भूमि को सिंचाई योग्य जल प्रदान करना था।
शारदा परियोजना हेतु, नहर की शुरुआत मुख्य रूप से उत्तराखंड के चंपावत ज़िले के बनबसा में बहती शारदा नदी से होती है। इस परियोजना से पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, बाराबंकी, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, फ़ैज़ाबाद, जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, इलाहाबाद और वाराणसी सहित 15 ज़िले लाभान्वित होते हैं।
शारदा सहायक परियोजना का शुभारंभ, 1974 में हुआ था। इस परियोजना को रायबरेली, सुल्तानपुर, प्रतापगढ़, जौनपुर और आजमगढ़ जैसे ज़िलों की पानी की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए शुरू किया गया था। इसके अलावा, परियोजना का मुख्य उद्देश्य शारदा फ़ीडर चैनल (Sharda Feeder Channel) में जलापूर्ति में सुधार करना था ।
शारदा सहायक परियोजना के तहत, घाघरा नदी से बाढ़ के पानी को शारदा नदी में मोड़ने की भी योजना बनाई गई थी। इसमें दो बैराज शामिल हैं। पहला है गिरिजा बैरिज (Girija Barrage), जो 716 मीटर लंबा है। यह कटनियाघाट के पास घाघरा नदी पर स्थित है। दूसरा लोवर शारदा बैरिज (Lower Sharda Barrage) है, जो 408 मीटर लंबा है। यह शारदा नदी पर स्थित है। इन दोनों बैराजों को 28 किलोमीटर लंबे फ़ीडर चैनल (Feeder Channel) के ज़रिए जोड़ा जाता है। इस चैनल की क्षमता 480 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड है।
शारदा और गोमती के महत्व को समझने के बाद, अब आप भी अपने जीवन में नदियों की भूमिका को नज़रंदाज़ नहीं करेंगे। नदियां कई रूपों और ज़रियों से हमारे जीवन में बेहद लाभकारी साबित होती हैं।
नदियों द्वारा प्रदत्त कुछ प्रमुख लाभों में शामिल हैं:
नदियाँ स्वच्छ पेयजल प्रदान करती हैं।: नदियों की स्थिति से हमारे पेयजल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। स्वच्छ और स्वस्थ नदियों के पानी को प्रदूषित नदियों के पानी की तुलना में कम फ़िल्टरेशन (Filtration) की आवश्यकता होती है।
नदियाँ संस्कृतियों और परंपराओं की संरक्षक होती हैं।: नदियाँ प्राचीन काल से ही भारत सहित पूरी वैश्विक संस्कृति और इतिहास में महत्वपूर्ण रही हैं। नदियों ने व्यापारिक मार्ग, समारोह स्थल और मानव बस्तियों के केंद्र के रूप में अपनी जगह बनाई है। एक उदाहरण के लिए, भारत में नदियों को देवियों एवं माँ तथा ऑस्ट्रेलिया की स्वदेशी संस्कृतियों में नदियों को जीवित पूर्वजों के रूप में देखा जाता है।
नदियाँ वन्यजीव और जैव विविधता को सहारा देती हैं।: नदियों के बगल की भूमि को रिपेरियन क्षेत्र (Riparian Area) भी कहा जाता है। इस भूमि को पृथ्वी पर सबसे विविध आवासों में से एक माना जाता है। इकोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ़ अमेरिका (Ecological Society Of America) द्वारा किए गए एक शोध से पता चलता है कि भले ही नदियाँ पृथ्वी के मीठे पानी का केवल एक छोटा सा हिस्सा बनाती हैं, लेकिन इसके बावज़ूद, वे बड़ी मात्रा में जैव विविधता का समर्थन करती हैं। दुनिया में जीवों की लगभग 10% प्रजातियां मीठे पानी पर ही आश्रित हैं।
नदियाँ अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देती हैं।: दुनिया भर के कई नाविक और मछुआरे अपनी दैनिक आजीविका के लिए नदियों पर ही निर्भर हैं।
नदियाँ भोजन और आजीविका प्रदान करती हैं।: नदियाँ मछली, मीठे पानी के घोंघे सहित अनगिनत जलीय जीवों के भोजन की आपूर्ति करती हैं। कई स्वदेशी और स्थानीय समुदाय अपने दैनिक जीवन के लिए नदियों पर निर्भर हैं।
संदर्भ
Https://Tinyurl.Com/2ful5sy6
Https://Tinyurl.Com/24pmpbp4
Https://Tinyurl.Com/2d2kmwsv
Https://Tinyurl.Com/26gucuqs
चित्र संदर्भ
1. जौनपुर में गोमती नदी को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. जौनपुर में गोमती नदी के किनारे खड़े लोगों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. जौनपुर में गोमती नदी के किनारे एक मंदिर को दर्शाते चित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. लोवर शारदा बैरिज को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)