जौनपुर सहित पूरे भारत में माइक्रोवेव ओवन (Microwave Oven), एम्पलीफ़ायर (Amplifier) और एल ई डी टी वी (LED TV) जैसे किसी भी इलेक्ट्रॉनिक सामान को भारतीय मानक ब्यूरो (Bureau of Indian Standards) या संक्षेप में बी आई एस (BIS) के प्रमाणपत्र के बिना नहीं बेचा जा सकता। भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय (National Standards Body) है। बी आई एस की मानक और प्रमाणन योजना, उपभोक्ताओं और उद्योगों दोनों की मदद करती है। यह कई सार्वजनिक नीतियों का भी समर्थन करता है। ये सभी नीतियाँ, उत्पाद सुरक्षा, उपभोक्ता संरक्षण, खाद्य सुरक्षा, पर्यावरण संरक्षण और भवन और निर्माण पर केंद्रित हैं। आज के इस लेख में हम, बी आई एस के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस लेख में हम, बी आई एस की उत्पत्ति के साथ-साथ इसकी संरचना और भूमिका को समझने का प्रयास करेंगे। अंत में हम, भारत में विद्यमान विभिन्न प्रकार की बी आई एस प्रमाणपत्र योजनाओं से भी रूबरू होंगे।
भारतीय मानक ब्यूरो की स्थापना: भारतीय मानक ब्यूरो की स्थापना, 2016 के बी आई एस अधिनियम (BIS Act) के तहत की गई थी। भारतीय मानक ब्यूरो का प्रमुख लक्ष्,य उत्पादों के मानकीकरण, लेबलिंग और गुणवत्ता प्रमाणन को बढ़ावा देना है। यह विभिन्न संबंधित मामलों को भी संभालता है। बी आई एस कई तरीकों से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि आपके यानी ग्राहकों द्वारा खरीदा जा रहा सामान सुरक्षित और विश्वसनीय हो। यह उपभोक्ताओं की सेहत से जुड़े जोखिम को कम करने में मदद करता है। यह निर्यात को प्रोत्साहित करता है और आयात के लिए विकल्प उपलब्ध कराता है। यह मानकीकरण, प्रमाणन और परीक्षण के माध्यम से किसी भी सामान की किस्मों की संख्या को भी नियंत्रित करता है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की उत्पत्ति: बी आई एस की स्थापना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के तहत की गई थी। यह अधिनियम, 12 अक्टूबर, 2017 को लागू हुआ। हालांकि, मूल अधिनियम, 1986 में ही लागू हो चुका था। इससे पहले, बी आई एस को भारतीय मानक संस्थान (ISI) के रूप में जाना जाता था। आई एस आई की स्थापना, उद्योग विभाग के एक प्रस्ताव के तहत की गई थी। इसे सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 (Societies Registration Act) के तहत पंजीकृत किया गया था।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की संरचना : बी आई एस, यानी भारतीय मानक ब्यूरो, में कुल 25 सदस्य होते हैं। ये सदस्य, विभिन्न क्षेत्रों से आते हैं, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारें, उद्योग, वैज्ञानिक और अनुसंधान संस्थान, और उपभोक्ता समूह शामिल हैं। बी आई एस की देखरेख करने वाले मंत्रालय या विभाग के प्रभारी मंत्री, बी आई एस के पदेन अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। बी आई एस का मुख्यालय, देश की राजधानी नई दिल्ली (New Delhi) में स्थित है। इसके अलावा, कोलकाता, चेन्नई, मुंबई, चंडीगढ़ और दिल्ली जैसे देश के विभिन्न प्रमुख शहरों में बी आई एस के क्षेत्रीय कार्यालय भी स्थित हैं।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की भूमिका:
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS), भारत में उत्पादों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। इसकी भूमिकाओं के कुछ प्रमुख
उदाहरण इस प्रकार हैं:
⦁ ➲ मानक विकास: बी आई एस द्वारा सरकारी एजेंसियों और विभागों के सहयोग से विभिन्न उत्पादों के लिए मानकों का निर्माण और कार्यान्वयन किया जाता है।
⦁ ➲ उपयोगकर्ता सुरक्षा: बी आई एस द्वारा अंतिम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा सुनिश्चित की जाती है, ताकि उन्हें सुरक्षित और विश्वसनीय उत्पाद मिल सकें।
⦁ ➲ गुणवत्ता आश्वासन: उचित अंकन की आवश्यकता के माध्यम से, बी आई एस नकली और निम्न-गुणवत्ता वाले उत्पादों को बाज़ार से बाहर कर देता है।
⦁ ➲ गुणवत्ता सुधार: बी आई एस द्वारा गुणवत्ता मानकों का निरंतर विकास किया जाता है, जो वैश्विक मानदंडों के अनुरूप होते हैं।
⦁ ➲ परीक्षण सेवाएँ: इसके द्वारा उत्पादों के परीक्षण हेतु तृतीय-पक्ष प्रयोगशालाएँ (Third-party laboratories) उपलब्ध कराई जाती हैं।
⦁ ➲ प्रशिक्षण सहायता: उत्पाद की गुणवत्ता और अंकन को मानकीकृत करने के लिए, प्रशिक्षण कार्यक्रमों की पेशकश की जाती है।
⦁ ➲ प्रमाणन: बी आई एस उन्हीं उत्पादों को प्रमाणित करता है जो निर्धारित मानकों को पूरा करते हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अच्छी गुणवत्ता का आश्वासन मिलता है।
भारत में बी आई एस द्वारा संचालित गतिविधियाँ:
भारत में बी आई एस द्वारा संचालित गतिविधियों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
⦁ ➲ मानक निर्माण: नए उत्पादों के लिए मानकों का निरंतर विकास किया जाता है, जिससे इनकी गुणवत्ता सुनिश्चित होती है।
⦁ ➲ उत्पाद प्रमाणन: गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाले उत्पादों को ही प्रमाणित किया जाता है।
⦁ ➲ अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियाँ: बी आई एस, अंतर्राष्ट्रीय मानकों से संबंधित गतिविधियों में भी सक्रिय रूप से भाग लेता है।
⦁ ➲ उपभोक्ता मामले और विज्ञापन: उपभोक्ताओं के साथ, मानकों और गुणवत्ता से जुड़ी जानकारी साझा की जाती है, जिससे जागरूकता में वृद्धि होती है।
बी आई एस प्रमाणन योजनाओं के प्रकार:
बी आई एस प्रमाणन योजनाओं के प्रकार निम्नवत दिए गए हैं:
⦁ ➲ घरेलू निर्माताओं के लिए आई एस आई मार्क योजना: यह योजना स्थानीय निर्माताओं के लिए है, जिसमें स्कीम-I के तहत, बी आई एस प्रमाणन प्राप्त करने के लिए, एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होता है।
⦁ ➲ तत्काल योजना: इस योजना के तहत, स्थानीय निर्माताओं के लिए, एक त्वरित प्रमाणन प्रक्रिया प्रदान की जाती है।
⦁ ➲ ई सी ओ मार्क: यह योजना, उन उत्पादों को प्रमाणित करती है जो पर्यावरण मानकों का पालन करते हैं।
⦁ ➲ विदेशी निर्माता प्रमाणन योजना (Foreign Manufacturer Certification Scheme): विदेशी निर्माता, छह महीने के भीतर बी आई एस प्रमाणन प्राप्त कर सकते हैं।
⦁ ➲ बी आई एस अनिवार्य प्रमाणन योजना: इस योजना के अंतर्गत, भारतीय मानकों को पूरा करने वाले सामानों के लिए प्रमाणीकरण अनिवार्य होता है।
⦁ ➲ हॉलमार्किंग: हॉलमार्किंग प्रक्रिया के माध्यम से, सोने और चांदी जैसी कीमती धातुओं की वस्तुओं की शुद्धता की जांच की जाती है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/278gpdon
https://tinyurl.com/2ynzhs3q
https://tinyurl.com/2y4ys4mo
https://tinyurl.com/235rdatt
चित्र संदर्भ
1. इलेक्ट्रॉनिक सामान की दुकान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बी आई एस के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. गोल्ड के लिए, बी आई एस हॉलमार्क की प्रमाणन रसीद को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)