Post Viewership from Post Date to 01-Oct-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2537 109 2646

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जौनपुर जन्माष्टमी विशेष: प्यारे कान्हा को ‘कृष्ण एवं माधव’ नाम मिलने का रोचक वृत्तांत

जौनपुर

 26-08-2024 09:10 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
जौनपुर में जन्माष्टमी का उत्सव, सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक के रूप में मनाया जाता है। इस त्योहार को “कृष्ण जयंती” के रूप में भी जाना जाता है। यह उत्सव, भगवान विष्णु के आठवें अवतार, भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का स्मरण कराता है। हिंदुओं के सबसे पवित्र एवं पूजनीय धार्मिक ग्रंथों में से एक, भागवत पुराण में, श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े कई विवरण मिलते हैं। इस शास्त्र को हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक माना जाता है। मूलतः इसकी रचना संस्कृत में की गई थी और पारंपरिक रूप से इसकी रचना करने का श्रेय महर्षि वेद व्यास को दिया जाता है। भागवत पुराण, भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति को बढ़ावा देता है। इसमें आदि शंकराचार्य के अद्वैत (अद्वैतवाद) दर्शन, रामानुजाचार्य के विशिष्टाद्वैत (योग्य अद्वैतवाद) और माधवाचार्य के द्वैत (द्वैतवाद) के विषयों को एकीकृत किया गया है। आज, हम, इस महत्वपूर्ण शास्त्र का गहराई से अन्वेषण करेंगे। साथ ही, भागवत पुराण में, वर्णित अध्यायों की संख्या एवं भगवान कृष्ण के वृत्तांतों की भी समीक्षा की जाएगी। इसके अतिरिक्त, हम श्रीकृष्ण को दिए गए विविध नामों की उत्पत्ति के बारे में भी जानेंगे।
श्रीमद्भागवत, को ‘भागवत महापुराण’ के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रंथ, हिंदू धर्म के सबसे महान पुराणों में से एक है। यह हिंदुओं के लिए सबसे पवित्र ग्रंथ है और भगवान विष्णु के भक्तों के बीच अत्यधिक पूजनीय है। यह ग्रंथ भगवान नारायण, उनके अवतारों और भगवान कृष्ण का विस्तृत विवरण प्रदान करता है।
इस धार्मिक ग्रन्थ की रचना ऋषि वेदव्यास के द्वारा की गई थी। इसमें बारह सर्गों में प्रस्तुत अठारह हज़ार श्लोक हैं। ऐसा माना जाता है कि शुक महामुनि (वेद व्यास के पुत्र) ने राजा परीक्षित (अर्जुन के पोते) द्वारा किए गए सर्पयाग के दौरान, भागवत पुराण का वर्णन किया था। इस प्राचीन ग्रंथ में, भगवान विष्णु के अवतार, जैसे महाभारत (कृष्ण अवतार), रामायण (राम अवतार) और नरसिंह का वर्णन मिलता है। भागवत पुराण में बारह पुस्तकें (स्कंध) हैं, जिनमें 332 अध्याय हैं। इसमें श्लोकों की संख्या 16,000 से 18,000 के बीच है, जो संस्करण पर निर्भर करता है।
श्रीकृष्ण जन्म उत्सव (नंद महोत्सव)
भागवत पुराण की दसवीं कड़ी भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इसमें न केवल उनके जन्म बल्कि उनके बचपन की कहानियों, शरारती हरकतों और अर्जुन के शिक्षक के रूप में उनकी भूमिका पर भी प्रकाश डाला गया है। भागवत पुराण के इस भाग के कारण, इसे व्यापक रूप से पूजा जाता है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म, देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था। हालाँकि, राक्षस राजा कंस के डर से, उनका पालन-पोषण, उनके पालक माता-पिता यशोदा और नंद ने किया। भागवत पुराण, भगवान के साथ, इस घनिष्ठ संबंध को मानव अस्तित्व के सर्वोच्च लक्ष्य के रूप में प्रस्तुत करता है।
भगवान् श्रीकृष्ण के जन्म की कहानी अत्यंत वेदनीय है। उनके जन्मदाता माता-पिता को, उनके अपने ही मामा कंस ने बंदी बना लिया था। दरअसल कंस, एक आकाशीय भविष्यवाणी से भयभीत हो चुका था। इस भविष्यवाणी में कहा गया था कि "उसकी बहन का आठवाँ बच्चा उसकी मृत्यु का कारण बनेगा।" इसलिए जन्म के तुरंत बाद, श्रीकृष्ण, जो कि एक नवजात शिशु थे, को उनके पिता वासुदेव अपने साथ ले गए। उन्हें गोकुल ले जाया गया, जहाँ से वे, श्री कृष्ण के स्थान पर, गाँव के मुखिया, नंद और उनकी पत्नी यशोदा के नवजात शिशु को उनके स्थान पर वापस ले आए।
कुछ दिनों बाद, परम तपस्वी आचार्य गर्ग, मथुरा की यात्रा करते हुए गोकुल आए। नंद ने उनका स्वागत किया। नंद के आग्रह पर, आचार्य गर्ग गोकुल में रहने के लिए सहमत हो गए। दुर्भाग्य से, कंस के सैनिकों ने कंस के आदेश पर गोकुल के सभी शिशुओं और नवजात शिशुओं को पहले ही मार डाला था। इसलिए, नंद अपने बेटे और भतीजे के बारे में उस समय आचार्य को नहीं बता सके। हालांकि आचार्य के प्रवास के दौरान, नंद और यशोदा ने, उनसे, अपने पुत्र और भतीजे के नामकरण समारोह को संपन्न करने का अनुरोध किया। लेकिन आचार्य ने अपनी लाचारी व्यक्त की। वे यादव वंश के राजगुरु थे और शाही आदेश के विरुद्ध किसी भी कार्य में भाग नहीं ले सकते थे।
हालाँकि, भगवान विष्णु के अवतार के रूप में कृष्ण के जन्म के सर्वोच्च रहस्य से अवगत होने के कारण, उन्होंने नंद से पुत्रों को गुप्त रूप से मवेशियों के बाड़े में लाने के लिए कहा।
आचार्य गर्ग द्वारा श्री कृष्ण और बलराम का नामकरण
नंद के भतीजे को देखकर आचार्य गर्ग ने कहा, “रोहिणी का यह पुत्र, अपने सद्गुणों से अपने प्रियजनों को बहुत सुख पहुँचाएगा।’ इसलिए इसका दूसरा नाम राम होगा। अपने अत्यधिक बल के कारण इसे बल भी कहा जाएगा। चूँकि यह लोगों को एक करेगा, इसलिए इसका एक नाम संकर्षण भी होगा।”
बाद में, आचार्य गर्ग ने नंद के पुत्र को अपने हाथों में ले लिया। उनकी (श्रीकृष्ण) असली पहचान बताए बिना उन्होंने (आचार्य गर्ग) कहा, “उन्होंने हर युग में अवतार लिया है। पिछले युगों में, उन्होंने सफ़ेद, लाल और पीले रंग को धारण किया था। इस बार, उन्होंने एक काला रंग धारण किया है, इसलिए उन्हें 'कृष्ण' के नाम से जाना जाएगा।” इस तरह, हमारे प्यारे भगवान को उनका लोकप्रिय नाम "कृष्ण" मिला। (उद्धृत पाठ संदर्भ: विष्णु पुराण)
श्रीकृष्ण का एक प्रचलित नाम माधव भी है। यह नाम, सर्व-आकर्षक श्रीकृष्ण के प्राथमिक नामों में से एक है। संस्कृत में, माधव शब्द का अर्थ 'शहद' होता है। यह शब्द, शहद या मिठास से संबंधित किसी भी चीज़ का वर्णन करता है। श्रीकृष्ण इस ब्रह्मांड में सबसे दयालु और मधुर व्यक्ति हैं।
माधव शब्द, मधु वंश से आने वाले व्यक्ति का भी वर्णन करता है। मधु एक महान राजा थे जो यादव वंश से संबंधित थे। मधु के बाद, उनके परपोते वृष्णि का जन्म यादव वंश में हुआ। वृष्णि एक महान राजा थे। पाँच पीढ़ियों के बाद, भगवान कृष्ण का जन्म वृष्णि वंश में हुआ। इस वंश के कारण, श्रीकृष्ण को ‘माधव’ कहा जाता था।
श्री माधव नाम का अर्थ 'भाग्य की देवी का पति' भी होता है। 'माधव' शब्द का एक और अर्थ 'वह जो ज्ञान का स्वामी है' भी होता है। इसमें 'मा' का अर्थ ज्ञान है और 'धव' का अर्थ भगवान होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि श्रीकृष्ण में ही संसार का संपूर्ण ज्ञान समाहित है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/24wvp9al
https://tinyurl.com/27dyt873
https://tinyurl.com/25bu3om5

चित्र संदर्भ
1. पेड़ पर बैठे श्री कृष्ण को संदर्भित करता एक चित्रण (rawpixel)
2. बाल कृष्ण एवं श्रीमद्भागवत को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. श्री कृष्ण के जन्म के दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (getarchive)
4. एक महर्षि को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id