Post Viewership from Post Date to 24-Sep-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2469 100 2569

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

जानें भारतीय वन सेवा, आई ऍफ़ एस का इतिहास, परीक्षा प्रक्रिया, और अधिकारियों के कर्तव्य

जौनपुर

 24-08-2024 09:21 AM
जंगल
जौनपुर शहर से हज़ारों छात्र, हर साल, भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) की परीक्षा देते हैं। यह परीक्षा, संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) द्वारा आयोजित की जाती है। भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) को भारत में प्रमुख वन सेवा के रूप में मान्यता प्राप्त है। इसका गठन 1966 में, अखिल भारतीय सेवा अधिनियम 1951 (All India Services Act 1951) के तहत किया गया था। देश के राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ़ अभयारण्यों, वन्यजीव अभयारण्यों सहित अन्य संरक्षित क्षेत्रों का प्रबंधन, इस सेवा के सदस्यों द्वारा किया जाता है। आज के इस लेख में, हम भारतीय वन सेवा पर विस्तार से चर्चा करेंगे। इसके अलावा, आज भारतीय वन सेवा की उत्पत्ति तथा एक वन सेवा अधिकारी के कर्तव्यों को भी समझेंगे । अंत में, हम यह जानेंगे कि, हम कैसे, एक भारतीय वन सेवा अधिकारी बन सकते हैं।
भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service), तीन प्रमुख अखिल भारतीय सेवाओं में से एक है। अन्य दो सेवाएँ भारतीय प्रशासनिक सेवा (Indian Administrative Service) और भारतीय पुलिस सेवा (Indian Police Service) हैं। स्वतंत्र भारत में , आई ऍफ़ एस का निर्माण, 1951 के अख़िल भारतीय सेवा अधिनियम (All India Services Act) के तहत, 1966 में किया गया था। हालांकि , मूल रूप से , आई ऍफ़ एस को अंग्रेज़ों द्वारा लागू किया गया था | 1865 से 1935 तक, ब्रिटिश राज के दौरान मौजूद एक सुव्यवस्थित भारतीय वन सेवा का पुनरुद्धार करके किया गया था।
आई ऍफ़ एस अधिकारियों का औपचारिक प्रशिक्षण, 1867 में शुरू हुआ। फ़्रांस (France) और जर्मनी (Germany) में प्रशिक्षण लेने के लिए, पाँच उम्मीदवारों का चयन किया गया। यह प्रशिक्षण 1885 तक जारी रहा | हालांकि इसमें फ़्रांस और रूस (Russia) के बीच युद्ध के कारण एक छोटा ब्रेक लिया गया था। 1885 से 1905 तक, लंदन के कूपर हिल (Cooper's Hill) में आई ऍफ़ एस प्रोबेशनर्स (IFS Probationers) का प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। इस अवधि के दौरान, कुल 173 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। 1895 और 1927 के बीच, ऑक्सफ़ोर्ड (Oxford), कैम्ब्रिज (Cambridge) और एडिनबर्ग विश्वविद्यालयों (University of Edinburgh) में प्रशिक्षण आयोजित किया गया था।
1920 में, भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक फ़ैसला लिया। इस फ़ैसले के बाद यह तय हुआ कि आई ऍफ़ एस प्रोबेशनर्स (IFS Probationers) को एक ही सेंटर पर ट्रेनिंग दी जाएगी। इस फ़ैसले के बाद, देहरादून में फ़ॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (Forest Research Institute) की स्थापना की गई। भारत में ट्रेनिंग, 1926 में शुरू हुई और 1932 तक चलती रही। हालांकि, अफ़सरों की माँग में कमी के कारण उस समय ट्रेनिंग बंद करनी पड़ी। 1938 में, भारतीय वन महाविद्यालय (Indian Forest College (IFC)) की स्थापना की गई। विभिन्न राज्यों से वरिष्ठ वन सेवा अधिकारियों की भर्ती की गई और उन्हें IFC में प्रशिक्षित किया गया। इस अवधि के दौरान, भारतीय वन अधिनियम 1927 (Indian Forest Act 1927) के तहत, आरक्षण के माध्यम से वन के बड़े हिस्से को राज्य के नियंत्रण में लाया गया।
1935 में, वन प्रबंधन, प्रांतीय सरकार को हस्तांतरित कर दिया गया। आज भी, वन विभाग, संबंधित राज्य सरकारों के अधीन देश के वनों का प्रबंधन करते हैं। 1977 में, वानिकी विषय को समवर्ती सूची (Concurrent List) में स्थानांतरित कर दिया गया। तब से, केंद्र सरकार ने वन प्रबंधन में, विशेष रूप से नीतिगत स्तर पर, महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
एक वन अधिकारी को महत्वपूर्ण ज़िम्मेदारियाँ सौपी जाती हैं। वन संसाधनों का संरक्षण उनका प्राथमिक कर्तव्य होता है। उन्हें जंगलों में हो रही अवैध गतिविधियों को रोकना पड़ता है जो वन वृक्षों, पौधों, जानवरों और पक्षियों को नुक़सान पहुँचा सकती हैं।
भारतीय वन अधिकारी के प्रमुख कर्तव्य निम्नलिखित हैं:
➤ वन वनस्पतियों, जीवों, स्थलाकृति और मिट्टी का नियमित सर्वेक्षण करना।
➤ अवैध रूप से काटी गई लकड़ी या अवैध शिकार किए गए जानवरों के अंगों को ज़ब्त करना।
➤ शिकारियों, अतिचारियों, उपद्रवियों और अतिक्रमणकारियों को रोकने के लिए सतर्कता बरतना।
➤ घायल जानवरों और पक्षियों को स्थानांतरित करना या उन्हें चिकित्सा सहायता प्रदान करना।
➤ जंगल की आग से बचाव और उसका शमन करना।
➤ भेड़, बकरियों और मवेशियों द्वारा वन भूमि के चरे जाने को रोकना।
➤ वन क्षेत्र का विस्तार करने के लिए वृक्षारोपण की पहल करना।
➤ वन संसाधनों के कानूनी और वाणिज्यिक दोहन की निगरानी करना।
➤ वन राजस्व एकत्र करना और निष्पादित वन कार्यों के लिए भुगतान करना।
➤ वन विभाग और वन मंत्रालय के लिए कागज़ी कार्रवाई और रिपोर्ट तैयार करना।
भारतीय वन सेवा अधिकारी कैसे बनें? भारतीय वन सेवा के लिए, ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया, सिविल सेवा परीक्षा (Civil Services Examination) के ही समान होती है। उम्मीदवारों को अपेक्षित पात्रता मानदंड पूरा करना पड़ता है।
भारतीय वन सेवा परीक्षा के लिए पात्रता मानदंड:
➤ राष्ट्रीयता: उम्मीदवारों को भारत , नेपाल या भूटान का नागरिक या 1 जनवरी, 1962 से पहले भारत में आए तिब्बती शरणार्थी होना चाहिए। भारत में स्थायी रूप से बसने के इरादे से पाकिस्तान, म्यांमार, श्रीलंका, कुछ पूर्वी अफ़्रीकी देशों और वियतनाम से आए भारतीय मूल के व्यक्ति भी इसके पात्र हैं।
➤ आयु सीमा: न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 32 वर्ष होनी चाहिए।
➤ न्यूनतम शैक्षिक आवश्यकता: भारतीय वन सेवा में प्रवेश के लिए, स्नातक की डिग्री होना आवश्यक है। यह डिग्री, भारत में केंद्रीय या राज्य विधानमंडल द्वारा मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या यूजीसी (University Grants Commission) द्वारा डीम्ड (Deemed University) के रूप में घोषित विश्वविद्यालय से प्राप्त की जानी चाहिए।
डिग्री में निम्न में से कम से कम एक विषय अवश्य शामिल होना चाहिए:
➤ पशुपालन और पशु चिकित्सा विज्ञान
➤ वनस्पति विज्ञान
➤ रसायन विज्ञान
➤ भूविज्ञान
➤ गणित
➤ भौतिकी
➤ सांख्यिकी
➤ प्राणी विज्ञान
➤ कृषि, वानिकी या इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री
सामान्य (General) श्रेणी के उम्मीदवार, 6 बार तक परीक्षा दे सकते हैं। ओबीसी (OBC) उम्मीदवार 9 बार तक प्रयास कर सकते हैं। सामान्य, ईडब्ल्यूएस (EWS) और ओबीसी श्रेणियों के पीडब्ल्यूबीडी (Persons with Benchmark Disabilities) उम्मीदवार भी 9 बार प्रयास कर सकते हैं। समान श्रेणियों के पीडब्ल्यूबीडी (Persons with Benchmark Disabilities) सहित एससी (SC) /एसटी (ST) उम्मीदवारों के लिए प्रयासों की कोई सीमा नहीं है।
भारतीय वन सेवा परीक्षा में तीन चरण होते हैं:
1. चरण 1 - सिविल सेवा (प्रारंभिक) परीक्षा: यह एक वस्तुनिष्ठ प्रकार की परीक्षा है। इसके तहत, भारतीय वन सेवा (मुख्य) परीक्षा के लिए उम्मीदवारों का चयन किया जाता है। प्रारंभिक परीक्षा, क्वालिफ़ाइंग होती है और इसमें दो वस्तुनिष्ठ प्रकार के पेपर होते हैं, जिनमें से प्रत्येक 200 अंकों का होता है। सामान्य अध्ययन पेपर- II (CSAT) के लिए न्यूनतम 33% अंक प्राप्त करना आवश्यक है।
2. चरण 2 - भारतीय वन सेवा (मुख्य) परीक्षा: इसमें भारतीय वन सेवा के उम्मीदवारों के चयन के लिए, 6 लिखित पेपर और एक साक्षात्कार लिया जाता है।
3. चरण 3: चरण 3 में व्यक्तित्व परीक्षण या साक्षात्कार होता है। यह चरण, UPSC भारतीय वन सेवा (आई ऍफ़ एस) मुख्य परीक्षा के बाद होता है। साक्षात्कार प्रक्रिया व्यापक होती है। इसमें विषय विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक, नौकरशाह, शिक्षाविद और बोर्ड अध्यक्ष जैसे लोगों को मिलाकर एक पैनल बनाया जाता है। उम्मीदवारों का मूल्यांकन, विभिन्न विशेषताओं के आधार पर किया जाता है। इनमें सामान्य जागरूकता, संचार कौशल, बौद्धिक ज्ञान, निर्णय संतुलन, चातुर्य और नेतृत्व क्षमता शामिल हैं। आई ऍफ़ इस मुख्य परीक्षा और व्यक्तित्व परीक्षण दोनों में प्राप्त अंकों को जोड़ा जाता है। इन अंकों का उपयोग भारतीय वन सेवा परीक्षा के अंतिम परिणाम को तैयार करने के लिए किया जाता है। साक्षात्कार चरण के बाद, सफ़ल उम्मीदवारों की अंतिम मेरिट सूची प्रकाशित की जाती है। आई ऍफ़ इस अधिकारी बनने में सफ़ल होने के लिए उम्मीदवारों को प्रत्येक चरण के लिए पूरी तरह से तैयारी करनी चाहिए।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2cn9ogd3
https://tinyurl.com/26rru2ua
https://tinyurl.com/2asvz89s
https://tinyurl.com/26j76nlz
https://tinyurl.com/24hnynq6

चित्र संदर्भ
1. भारतीय वन सेवा कर्मियों को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. भारतीय वन सेवा लेखन को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
3. भारतीय वन क्षेत्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. दो वन अधिकारीयों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM


  • क्या ऊन का वेस्ट बेकार है या इसमें छिपा है कुछ खास ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     13-11-2024 09:17 AM


  • डिस्क अस्थिरता सिद्धांत करता है, बृहस्पति जैसे विशाल ग्रहों के निर्माण का खुलासा
    शुरुआतः 4 अरब ईसापूर्व से 0.2 करोड ईसापूर्व तक

     12-11-2024 09:25 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id