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जौनपुर की सड़कों में, जेसीबी के अलावा, क्यूँ नज़र नहीं आतीं, भारतीय निर्माण मशीनें?

जौनपुर

 20-08-2024 09:22 AM
वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
तेज़ी के साथ विकसित होते भारत में हमारा जौनपुर शहर भी बराबरी के साथ कदमताल कर रहा है। करे भी क्यों न। किसी भी क्षेत्र के विकास में निर्माण कार्य एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। शायद इसीलिए हमारे शहर की सड़कों पर घूमती हुई या खुदाई करती हुई, जेसीबी मशीनें (JCB Machines) आमतौर पर दिखाई दे जाती हैं। आज भारत में शायद ही कोई कंपनी हो जो निर्माण उपकरणों के मामले में जेसीबी (JCB) को टक्कर दे सके। इसलिए, आज हम, जेसीबी और इसके निर्माण उपकरणों के बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करेंगे। साथ ही, हम विभिन्न उद्योगों में जेसीबी के निर्माण उपकरणों के महत्व का भी पता लगाएँगे। इसके अलावा, हम यह भी जानेंगे कि भारत में, जेसीबी जैसे निर्माण उपकरण, कोई अन्य कंपनी क्यों नहीं बना सकती?
जेसीबी के बारे में सभी ने सुना है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस कंपनी को अपना यह नाम कैसे मिला? इसकी शुरुआत, जोज़ेफ़ सिरिल बैमफ़ोर्ड (Joseph Cyril Bamford) नाम के एक प्रतिभाशाली व्यक्ति के साथ हुई। जी हाँ, श्री बैमफ़ोर्ड ने अपनी कंपनी की शुरुआत अपने नाम के पहले अक्षर के साथ की। निर्माण उपकरण बनाने की अपनी यात्रा उन्होंने, 1945 में, द्वितीय विश्व युद्ध के अंत के बाद शुरू की। श्री बैमफ़ोर्ड ने कंपनी की शुरुआत, एक छोटे से गैरेज (Garage) के साथ की। उनका पहला उत्पाद एक टिपिंग ट्रेलर (Tipping Trailer) था। इसे उन्होंने, £1 के वेल्डिंग सेट (Welding Set) का उपयोग करके बनाया और स्थानीय बाज़ार में £45 में बेचा था। 1953 में, जेसीबी ने खुदाई करने वाली मशीनें बनाना शुरू किया। उस वर्ष, दुनिया का पहला बैकहो लोडर (Backhoe Loader) लॉन्च किया गया था। आज बहुत से लोग इस मशीन को सिर्फ़ जेसीबी के नाम से जानते हैं। आज, जेसीबी, 300 से ज़्यादा अलग-अलग मशीनें बनाती है। ये कंपनी, इन मशीनों को 150 से ज़्यादा देशों में बेचती है। आज आप, दुनिया में भले ही कहीं चले जाएँ, वहां आपको जेसीबी मशीन ज़रूर देखने को मिल जाएगी। जेसीबी कई तरह के कामों और उद्योगों के लिए मशीनें बनाती है। इनमें से कुछ मुख्य अनुप्रयोग इस प्रकार हैं:
- निर्माण स्थल: बैकहो लोडर, टेलिस्कोपिक हैंडलर (Telehandler), मिनी एक्सकेवेटर (Mini Excavator) और साइट डंपर (Site Dumper)
- खदान: बड़े ट्रैक वाले एक्सकेवेटर (Tracked Excavator) और व्हील लोडर (Wheel Loader)
- सड़क निर्माण: वील एक्सकेवेटर (Wheel Excavator) और स्किड स्टीयर लोडर (Skid Steer Loader)
- औद्योगिक गोदाम: फोर्कलिफ्ट (Forklift)
- खेती: ट्रैक्टर (Tractor)
जेसीबी का विश्व मुख्यालय, रोसेस्टर, स्टैफ़ोर्डशायर (Rocester, Staffordshire) में स्थित है। आज, दुनिया भर में, 22 कारखाने ऐसे हैं जो विभिन्न प्रकार की जेसीबी मशीनें, इंजन और अटैचमेंट बनाते हैं। अकेले भारत में 5 कारखाने हैं। नतीजतन, देश भर के शहरों और कस्बों में जेसीबी मशीनें देखना बहुत आम बात हो गई है।
चलिए अब निर्माण उद्योग में प्रयुक्त जेसीबी उत्पादों के बारे में विस्तार से जानते हैं:
1. बैकहो लोडर (Backhoe Loader)
- बैकहो लोडर, जेसीबी के मुख्य उत्पादों में से एक हैं।
- इनका उपयोग, खुदाई, लोडिंग, उठाने और ले जाने के कार्यों के लिए किया जाता है।
- जेसीबी ने पहला बैकहो 1953 में बनाया था।
- कंपनी इस श्रेणी में वैश्विक बाज़ार में अग्रणी बनी हुई है।
2. उत्खननकर्ता (Excavator)
- उत्खननकर्ताओं का उपयोग भारी खुदाई कार्यों के लिए किया जाता है।
- इन उत्खननकर्ताओं का संचालन भार, 1 से 80 टन तक होता है।
- इसके कुछ लोकप्रिय मॉडलों में JS130, JZ140 और JCB220 शामिल हैं।
3. टेलिस्कोपिक हैंडलर (Telehandler)
- टेलिस्कोपिक हैंडलर का उपयोग, सामग्री को ऊँचाई पर उठाने और ले जाने के लिए किया जाता है।
- जेसीबी, टेलीहैंडलर की एक श्रृंखला प्रदान करता है, जिसमें 5 मॉडल शामिल हैं।
- इन मॉडलों की लिफ़्ट ऊँचाई (Lift Height) 15 से 20 मीटर तक होती है।
- वे 6 टन तक वज़न वाली सामग्री उठा सकते हैं।
4. वील लोडर (Wheel Loader)
- वील लोडर को मिट्टी और बजरी जैसी सामग्री को फावड़े से हटाने, उठाने और ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- जेसीबी, व्हील वील लोडर के 11 मॉडल प्रदान करता है।
- इन मॉडलों का संचालन भार, 2.5 से 14 टन तक होता है।
5. आर्टिकुलेटेड डंप ट्रक (Articulated Dump Truck)
- आर्टिकुलेटेड डंप ट्रक, आर्टिकुलेटेड चेसिस (Articulated Chassis) वाले ऑफ़-हाइवे ट्रक (Off-Highway Truck) होते हैं।
- इन्हें अपनी उच्च गतिशीलता के लिए जाना जाता है।
- जेसीबी के कुछ लोकप्रिय वील लोडर मॉडल TM300, TM320 और TM420 ट्रक हैं।
हालांकि, आपने ध्यान दिया होगा कि भारत में निर्माण उपकरणों के उद्योग में जेसीबी का एकाधिकार (Monopoly) है, जिसका एक बड़ा कारण यह भी है कि भारत में निर्माण उपकरण निर्माताओं को कई समस्याओं से जूझना पड़ता है।
इनमें शामिल है:
1. प्रक्रियात्मक मंज़ूरी (Procedural Approvals): भारत में निर्माण उद्योग शुरू करने के लिए मंज़ूरी प्रक्रिया में कई एजेंसियाँ शामिल होती हैं। इसलिए, यह प्रक्रिया बहुत धीमी हो जाती है। इसमें शामिल एजेंसियों के बीच ज़मीनी समन्वय की कमी है। बुनियादी मंज़ूरी में ही बहुत समय लग जाता है और मंज़ूरी मिलना भी काफी मुश्किल है। हालांकि, इस मामले में नीतिगत बदलाव प्रस्तावित ज़रूर किये गए हैं। इन बदलावों को लागू करने पर विचार किया जा रहा है। इसका लक्ष्य ज़मीनी स्तर पर मंज़ूरी प्रक्रिया को गति देना है।
2. वित्तीय मामले (Financial Matters): निर्माण उपकरण के निर्माण में निजी क्षेत्र की रुचि कम नज़र आ रही है। जिसका कारण यह है कि इस क्षेत्र में लागत वसूली कम है। कार्यशील पूंजी चक्र (Working Capital Cycle) लंबे हैं। केंद्रीय परिव्यय (Central Allocation) कम और फैला हुआ है। इस उद्योग को शुरू करने के लिए बड़े निवेश की आवश्यकता होती है। लाभदायक होने के बावजूद, इस क्षेत्र में लाभ लंबे समय में अर्जित होता है।
3. भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition): भारत में कॉरपोरेट के लिए भूमि अधिग्रहण के कानून अधिक सुसंगत नहीं हैं। अधिग्रहण की प्रक्रिया में काफी समय लगता है। कॉरपोरेट घरानों को अतिरिक्त ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। उन्हें उनकी ज़मीनों के लिए उचित मुआवज़ा भी देना पड़ता है। औद्योगिक उद्देश्यों के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कानून और प्रक्रियाएँ अपने आप में एक सिरदर्द हैं।
4. शासन संबंधी मुद्दे (Governance Issues): स्थानीय, राज्य और केंद्रीय निकायों के बीच समन्वय की कमी है। इससे आवश्यक अनुमोदन और दस्तावेज़ीकरण प्रक्रिया में बड़ी देरी होती है। स्थानीय शहरी निकायों को इतने बड़े पैमाने पर कार्यवाही को अधिकृत करने के लिए पर्याप्त अधिकार नहीं हैं। विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की पूरी प्रक्रिया में, एकीकरण की कमी से संभावित निवेश और रोज़गार के अवसरों का नुकसान होता है।
5. मान्यता मानदंडों की कमी (Lack of Recognition Standards): उत्पादों और ऑपरेटरों की गुणवत्ता को बनाए रखने और मानक निर्धारित करने के लिए आवश्यक मानदंड ही नहीं हैं। ऑपरेटरों के औपचारिक प्रशिक्षण की सख्त ज़रुरत है। इसके लिए मान्यता प्राप्त प्रमाणन की आवश्यकता पड़ती है।
6. किराये की खराब पहुंच समस्या (Poor Access to Rentals): निर्माण उपकरणों के उद्योग में, उपकरण,
किराये पर लेना अधिक लाभदायक साबित होता है। व्यवसाय और सेवा के रूप में किराये के उपकरण, एक नई अवधारणा है। इसे शुरू करने के लिए एक बड़े निवेश की आवश्यकता होती है। कुल मिलाकर इस क्षेत्र में होने वाला लाभ, अभी भी निवेश के साथ तालमेल नहीं रख पा रहे हैं ।
हालांकि, ऊपर दी गई ख़ामियों का फ़ायदा उठाकर, कई चीनी कंपनियां, भारतीय निर्माण उपकरण बाज़ार में सेंध लगा रही हैं। उदाहरण के तौर पर सैनी (SANY), ज़ूमलियन (Zoomlion), डोंग्यू (Dongyue) और ज़ुझोउ (ZhuZhou) जैसे चीनी ब्रांड पहले ही भारत में निर्माण उपकरण बाज़ार के लगभग 20% हिस्से पर कब्ज़ा कर चुके हैं। इन चीनी ब्रांडों द्वारा दिए जाने वाले ऋण भी लुभावने हैं।
हालांकि इस क्षेत्र में कार्यरत भारतीय कंपनियाँ प्रतिस्पर्धा के खिलाफ़ अपनी स्थिति मज़बूत बनाए रखने में सक्षम हैं। लेकिन, स्टील और कमोडिटी की उच्च कीमतों के इस दौर में टिके रहना बहुत कठिन हो जाता है। चीन से मिलने वाली प्रतिस्पर्धा अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। हालांकि, निर्माण उपकरण उद्योग के पास खुश होने के एक अवसर ज़रूर है। दरसल, भारत में सड़क निर्माण की गति अब औसतन 10,000 किलोमीटर प्रतिवर्ष हो गई है। जिस कारण, भारत में निर्माण उपकरणों की मांग की आपूर्ति करने हेतु कुछ बड़े कदम उठाए जा सकते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2a3sevsz
https://tinyurl.com/25f5ovso
https://tinyurl.com/28sudnm8
https://tinyurl.com/253p323r

चित्र संदर्भ
1. जेसीबी मशीन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. जेसीबी कंपनी के लोगो को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. मैदान में खड़ी विशाल जेसीबी मशीन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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