Post Viewership from Post Date to 17-Sep-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2135 95 2230

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत, क्यों व कैसे था, दुनिया के सबसे अनूठे डायनासौर प्रजातियों का मेज़बान?

जौनपुर

 17-08-2024 09:34 AM
जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक
भले ही हमारा शहर जौनपुर, सीधे तौर पर डायनासौर से संबंधित नहीं है, लेकिन, भारत, एक समय, कई डायनासौर प्रजातियों का घर था। विश्व स्तर पर, 1400 से अधिक डायनासौर प्रजातियों की पहचान की गई है, जबकि भारत में, जीवाश्म विज्ञानियों ने 25 से अधिक डायनासौर प्रजातियों का पता लगाया है। लेकिन प्राचीन, पूर्वकालीन और विविध कालखंडों की गवाह बनी, पृथ्वी की परत के नीचे आज भी बहुत कुछ छिपा हुआ है। इसमें, विलुप्त हुई प्रजातियों की लाखों साल पुरानी कहानियां हैं। तो चलिए, आज जानते हैं कि, भारत में कौन से डायनासौर रहते थे। हम सबसे पुराने शाकाहारी डायनासौर पर भी प्रकाश डालेंगे, जिसका जीवाश्म, 2023 में, राजस्थान के थार रेगिस्तान में पाया गया था। हम यह भी जानेंगे कि, इसका नाम उस स्थान के नाम पर कैसे रखा गया। साथ ही, हम दुनिया की सबसे बड़ी डायनो हैचरी(Dino hatchery) के बारे में भी बात करेंगे, जो मध्य प्रदेश से लेकर गुजरात तक फैली है। इसके अलावा, हम भारत में कुछ लोकप्रिय डायनासौर संग्रहालयों और जीवाश्म पार्कों के बारे में भी जानेंगे।
भारत के जबलपुर में, वर्ष 1828 में, डायनासौर के, एशिया में पहले जीवाश्म(हड्डियां) पाए गए थे। इस होलोटाइप कशेरुक(Holotype vertebrae) को, ईस्ट इंडिया कंपनी के कैप्टन विलियम हेनरी स्लीमन(William Henry Sleeman) ने, ब्रिटिश आर्मी शिविर के पास, बारा शिमला हिल पर पाया था।
इसके बाद, भारत में डायनासौर के और भी अवशेष पाए गए, जिनमें से कई जीवश्म लेमेटा फ़ॉर्मेशन (Lameta Formation) में पाए गए है, जो मध्य भारत की नर्मदा घाटी का एक क्षेत्र है। यह क्षेत्र शुष्क है, और इस कारण, इसमें जीवाश्मों को संरक्षित करने के लिए उपयुक्त गुण मौजूद हैं। क्रेटेशियस काल(Cretaceous Period) के कई डायनासौर के कंकाल और अंडे यहां पाए गए हैं, जिनमें 1828 में, टी. इंडिकस(T. indicus) की खोज भी शामिल है। इसी साल की शुरुआत में, शोधकर्ताओं ने डायनासौर के 92 घोंसले के स्थलों का भी पता लगाया था, जिनमें टाइटैनोसौर(Titanosaurs) के 256 जीवाश्म अंडे थे।
वर्ष 1923 में, एक अन्य महत्वपूर्ण खोज, लेमेटासौरस(Lametasaurus) के अवशेषों से संबंधित है, जिसका नाम लेमेटा फ़ॉर्मेशन के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि, 66 दशलक्ष वर्षों पहले, मास्ट्रिचियन युग (Maastrichtian Age) में, एक मांसाहारी डायनासौर अस्तित्व में था। हमारे देश में, डायनासौरों के जीवाश्म रिकॉर्ड प्रभावशाली हैं, जिनमें क्रेटेशियस के अलावा मेसोज़ोइक युग – ट्राइसिक काल(Mesozoic era – the Triassic period) (251.9 दशलक्ष से 201.3 दशलक्ष वर्षों पहले) और जुरासिक काल(Jurassic period) (201– 145 दशलक्ष वर्षों पहले) वाले अवशेष शामिल हैं।
हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में ऊपरी नर्मदा घाटी के जबलपुर व गुजरात के बालासिनोर से लेकर, मध्य प्रदेश के धार जिले तक डायनासौर के घोंसले खोजे गए हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि, एक हज़ार किलोमीटर का यह विस्तार दुनिया की सबसे बड़ी डायनासोर हैचरी में से एक हो सकता है। इस बीच, इसी क्षेत्र में, जिन अन्य प्रजातियों की खोज की गई है। इनमें ब्रुहथकायोसौरस (Bruhathkayosaurus), इंडोसौरस (Indosaurus), इंडोसुचस (Indosuchus), लेविसुचस (Laevisuchus), जैनोसौरस (Jainosaurus), इसिसौरस (Isisaurus), राजासौरस नर्मडेन्सिस (Rajasaurus narmadensis) और जबलपुरिया (Jabbalpuria) शामिल हैं। साथ ही, कोटा संरचना में बारापासौरस (Barapasaurus) और डंडाकोसौरस (Dandakosaurus), जबकि, निचली मालेरी संरचना में अलवालकेरिया (Alwalkeria) और इसालो III फ़ॉर्मेशन (Isalo III Formation) में आर्कियोडोन्टोसौरस (Archaeodontosaurus) जीवाश्म शामिल है।
क्या आप जानते हैं कि, भारत में वास करने वाला सबसे पुराना शाकाहारी डायनासौर कौन सा था? आइए जानते हैं। मेसोज़ोइक युग के दौरान, थार मरुस्थल में डायनासौर और समुद्री जीव रहते थे। इस रेगिस्तान से नवीनतम खोज, 167 मिलियन वर्ष पहले की है। यह खोज डाइक्रायोसौरिड्स (Dicraeosaurids) नामक डायनासौर समूह की थी, जो लंबी गर्दन वाले थे, एवं वनस्पतियों को खाते थे। यह भारत में खोजे गए डायनासौर के समूह में से पहला और दुनिया के जीवाश्म रिकॉर्ड में अब तक पाया गया सबसे पुराना जीवाश्म है।
इस प्रजाति की खोज करने वाले विशेषज्ञों ने थार रेगिस्तान और इसके मूल देश का संदर्भ देते हुए, इसे थारोसॉरस इंडिकस (Tharosaurus indicus) नाम दिया। थारोसॉरस इंडिकस जैसे डाइक्रेओसॉरिड्स, डिप्लोडोकॉइड सॉरोपोड्स (Diplodocoid sauropods) नामक एक बड़े जीव समूह का हिस्सा हैं। इन डायनासौरों की विशेषता उनके लंबे शरीर और गर्दन हैं। वे मध्य जुरासिक से प्रारंभिक क्रेटेशियस काल तक, जीवाश्म स्थलों में सर्वव्यापी हैं।
इसी तरह, भारत में कुछ लोकप्रिय डायनासौर संग्रहालय निम्नलिखित हैं!
1.) आईएसआई भूवैज्ञानिक संग्रहालय, कोलकाता:
यहां आपको 47 फ़ीट लंबा सॉरोपॉड कंकाल मिलेगा। यह एशिया का पहला संग्रहालय था, जिसमें इस प्रकार का संग्रह था। इसके साथ ही, यहां के प्रदर्शन में अन्य बहुत सी प्राचीन चीज़ें मौजूद हैं।
2.) बी.एम. बिड़ला विज्ञान संग्रहालय, हैदराबाद:
यदि, आप यहां प्रदर्शित ‘कोटासौरस(Kotasaurus)’ के कंकाल को देखना चाहते हैं, तो आपको हैदराबाद में ‘डायनासौरियम’ जाना चाहिए। यह कंकाल 14 मीटर लंबा, और देखने में मनमोहक है। यहां डायनासौर के अंडे भी संग्रहित हैं।
3.) राष्ट्रीय प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, दिल्ली:
2016 में, आग में क्षतिग्रस्त होने से पहले, इस संग्रहालय में डायनासौर की हड्डियों और प्राचीन जानवरों के कई अन्य कंकाल अवशेष संग्रहित थे। हालांकि, आज यह पहले जैसी स्थिति में नहीं हैं, फिर भी आप यहां डायनासौर से संबंधित बहुत सी चीज़ें पा सकते हैं।
दूसरी ओर, भारत में लोकप्रिय डायनासौर जीवाश्म पार्क निम्नलिखित है:
1.) डायनासौर जीवाश्म पार्क, राययोली, गुजरात:

यह जीवाश्म पार्क, जहां हाल ही में राजासौरस (Rajasaurus) डायनासौर पाया गया था, बहुत सारे डायनासौर अंडों का भी मेज़बान है। यहां डायनासौर के अलावा, कुछ सांप भी पाए जाते थे, जो इन डायनासौरों के शिकार थे।
2.) वद्डम जीवाश्म पार्क, महाराष्ट्र:
वद्डम या सिरोंचा जीवाश्म पार्क में लगभग 70 डायनासौरों की हड्डियां पाई गईं थीं । पुरातत्वविद् अभी भी, यहां खोज कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश हड्डियां अन्य स्थल पर संरक्षित की गई हैं, फिर भी, यहां बहुत कुछ देखने लायक है।
3.) इंड्रोडा प्राकृतिक उद्यान, गांधीनगर, गुजरात:
इस उद्यान को अक्सर भारत का “जुरासिक पार्क” भी कहा जाता है। यहां 66 दशलक्ष वर्ष पुराने जीवाश्म अवशेष हैं, और बहुत सारे अंडों के जीवाश्म भी हैं, जो यहां प्रदर्शित हैं। दरअसल, यह एक मानव निर्मित जीवाश्म पार्क है, जिसमें संग्रहित सभी जीवाश्म और अंडे आस–पास के उत्खनन स्थलों से यहां लाए गए हैं।
4.) घुघवा जीवाश्म पार्क, मध्य प्रदेश:
कान्हा और बांधवगढ़ क्षेत्र के बीच स्थित, घुघवा जीवाश्म पार्क में बहुत सारे डायनासौर के अंडे संग्रहित हैं, जो यहां और आस-पास के इलाकों में पाए जाते थे।


संदर्भ

https://tinyurl.com/4d4rs49c
https://tinyurl.com/mrszk9ve
https://tinyurl.com/2yn3ec9j

चित्र संदर्भ

1. एक डायनासौर को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
2. डायनासौर के अवशेष को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
3. संग्रहालय में रखे गए डायनासौर के अवशेषों को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
4. डायनासौर के कंकाल को संदर्भित करता एक चित्रण (pixabay)
5. अर्जेन्टीनोसॉरस के पुतले को संदर्भित करता एक चित्रण।  (pixabay)


***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • बैरकपुर छावनी की ऐतिहासिक संपदा के भंडार का अध्ययन है ज़रूरी
    उपनिवेश व विश्वयुद्ध 1780 ईस्वी से 1947 ईस्वी तक

     23-11-2024 09:21 AM


  • आइए जानें, भारतीय शादियों में पगड़ी या सेहरा पहनने का रिवाज़, क्यों है इतना महत्वपूर्ण
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     22-11-2024 09:18 AM


  • नटूफ़ियन संस्कृति: मानव इतिहास के शुरुआती खानाबदोश
    सभ्यताः 10000 ईसापूर्व से 2000 ईसापूर्व

     21-11-2024 09:24 AM


  • मुनस्यारी: पहली बर्फ़बारी और बर्फ़ीले पहाड़ देखने के लिए सबसे बेहतर जगह
    पर्वत, चोटी व पठार

     20-11-2024 09:24 AM


  • क्या आप जानते हैं, लाल किले में दीवान-ए-आम और दीवान-ए-ख़ास के प्रतीकों का मतलब ?
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     19-11-2024 09:17 AM


  • भारत की ऊर्जा राजधानी – सोनभद्र, आर्थिक व सांस्कृतिक तौर पर है परिपूर्ण
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     18-11-2024 09:25 AM


  • आइए, अंतर्राष्ट्रीय छात्र दिवस पर देखें, मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के चलचित्र
    वास्तुकला 1 वाह्य भवन

     17-11-2024 09:25 AM


  • आइए जानें, कौन से जंगली जानवर, रखते हैं अपने बच्चों का सबसे ज़्यादा ख्याल
    व्यवहारिक

     16-11-2024 09:12 AM


  • आइए जानें, गुरु ग्रंथ साहिब में वर्णित रागों के माध्यम से, इस ग्रंथ की संरचना के बारे में
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     15-11-2024 09:19 AM


  • भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली में, क्या है आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और चिकित्सा पर्यटन का भविष्य
    विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा

     14-11-2024 09:15 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id