जौनपुर शहर कई मायनों में अद्भुत शहर है, स्थान-स्थान पर कुछ ना कुछ विभिन्न दिखाई देता है यहाँ पर। शाही पुल के बारे में कौन नहीं जानता। यह पुल प्राचीन विश्व के बने कई अद्भुत पुलों की श्रेणी में शुमार है। इसकी कलाकारी, इसको बनाने की तकनीक आदि, शाही पुल पर टहलते हुए इसके मध्य में एक विशालकाय मूर्ती दिखाई देती है जिसमें एक हाथी पर एक शेर बैठा हुआ है। अब मन में दो प्रश्न उठते हैं पहला- यह मूर्ती लायी कहाँ से गयी थी और दूसरी यह मूर्ती किस साम्राज्य की हो सकती है।
प्राचीन ग्रंथों के अनुसार यह मूर्ती करीब 10वीं शताब्दी की है तथा इसे कन्नौज के राजा जयचंद ने बनवाया था जो कि गहडवाल वंश के थे, तथा 15वीं-16वीं शताब्दी में इसे जौनपुर के सुल्तान द्वारा जौनपुर लाया गया था। दूसरे मत के अनुसार यह मूर्ती वर्तमान के शाही किले के स्थान पर जो प्राचीन मंदिर था वहां से इसे लिया गया था। इन दोनों कथनों में सत्यता जो भी हो परन्तु यह अवश्य ज्ञात हो जाता है कि यह मूर्ती किसी विशालकाय मंदिर के सामने लगायी गयी थी। यह मूर्ती इस पुल पर बहुत देर के बाद लगायी गयी थी। एक 19वीं शताब्दी के कथन के अनुसार यह मूर्ती शाही किले के खण्डहर से प्राप्त हुयी थी जहाँ से कप्तान मैक फेर्सन द्वारा शाही पुल की मरम्मत के दौरान लगाया गया था।
वर्तमान काल में यह मूर्ती उसी स्थान पर खड़ी है जहाँ पर कप्तान मैक ने इसको लगवाया था। यह मूर्ती पुरातत्त्व विभाग की संरक्षित धरोहरों की सूची में आती है।
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