जौनपुर जिले में कई इमामबाड़े उपस्थित हैं। उन्ही में से यहाँ पर उपस्थित सदर इमामबाड़ा अपनी ऐतिहासिकता व महत्ता के लिए मशहूर है। यही कारण है कि इस इमामबाड़े पर लखनऊ के मशहूर शायर नफीस ने इसके प्रमुख फाटक पर एक शेर लिखा है-
ऐ जाहे कर्बला पाख इमाम, या करो गिरया फ़र्ज़ ऍन यह है।
यह जो इसमें इमामबाड़ा है, जाय फरियादी शोरो शॉन यह है।।
बाद जिसका हुआ है नौ तामीर, मोमिनो के दिलों का चैन यह है।
है बजा कहिये गर डरे फ़िरदौस बाग़ ऐ जन्नत का जेब औ जीन यह है।।
साल ऐ तारिख कई नफीस हज़ी ख़ानए मातम ऐ हुसैन यह है।
यह इमामबाड़ा जौनपुर शहर के आखिरी पश्चिमोत्तर छोर पर जगदीशपुर गावं में स्थित है जो कि 4 अंगुल मस्जिद से कुछ ही दूरी पर स्थित है। इस इमामबाड़े का प्रमुख द्वार अत्यंत बड़े आकर का है जिसपर मुग़ल कला का प्रभाव दखाई देता है। इस इमामबाड़े की चाहरदीवारी में कई भवन और कब्रिस्तान स्थित हैं जिनमें आदम रसूल और रौजा हजरत अब्बास प्रमुख हैं। इस इमामबाड़े का निर्माण फ़तेह मुहम्मद अलियास फांगनी मीना, जो कि राजा शेख अली के पुरखे थे और मछलीशहर (मछलीशहर भी शर्की काल में एक विशिष्ट स्थान ग्रहण किये हुए था) के हकीम थे, ने करवाया था। इसका निर्माण दिल्ली के मुहम्मद शाह के समय काल में हुआ था। उस समय मंगली मियां इलाहबाद के नजीम के रिसालदार थे और जौनपुर उस समय इलाहाबाद के अंतर्गत आता था। कुछ मतों के अनुसार मंगली मियां ने इस इमामबाड़े का निर्माण करवाया था। इस इमामबाड़े के द्वार का पुनः निर्माण 1857 की क्रांति के बाद करवाया गया था।
1. जौनपुर का गौरवशाली इतिहास, डॉ. सत्य नारायण दुबे ‘शरतेन्दु’
2. http://www.hamarajaunpur.com/2015/11/blog-post_38.html
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