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प्रभु श्री राम को समर्पित, पाकिस्तान में स्थित, ऐतिहासिक और पावन मंदिर

जौनपुर

 04-07-2024 09:27 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

भारत में आपको निजामुद्दीन दरगाह, दिल्ली की जामा मस्जिद और हैदराबाद की मक्का मस्जिद जैसे इस्लामिक इतिहास से जुड़े कई धार्मिक स्थल देखने को मिल जाएंगे। ठीक उसी प्रकार ऐतिहासिक रूप से भारत का हिस्सा होने के कारण, हमारे पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान में भी सनातन धर्म से जुड़े कई ऐसे धार्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनका सनातन के इतिहास में गहरा आध्यात्मिक महत्व रहा है। हालांकि दुर्भाग्य से वहां के कई हिंदू धार्मिक स्थलों को वहां की आवाम के द्वारा या सरकार की शय में ध्वस्त कर दिया गया। लेकिन इसके बावजूद पाकिस्तान में आज भी हिंदू धर्म से जुड़े कुछ मंदिर शेष हैं, लेकिन क्या आज आप या पाकिस्तानी हिंदू वहां भगवान के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं?
चलिए जानते हैं: प्राचीन किवदंतियों के अनुसार, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी 'लाहौर' शहर का नाम हिंदू देवता प्रभु श्री राम के पुत्र ‘लव’ के नाम पर रखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि इस शहर की स्थापना लव के द्वारा ही की गई थी। लाहौर के किले के भीतर लव को समर्पित एक मंदिर भी है। हालाँकि आज यह मंदिर वीरान पड़ चुका है। प्रसिद्ध खगोलशास्त्री और भूगोलवेत्ता टॉलेमी (Ptolemy) ने अपनी पुस्तक "जियोग्राफिया (Geographia)" में लैबोकला (Labokla) नामक शहर का उल्लेख किया है। यह शहर सिंधु नदी को झेलम, चिनाब और रावी सहित अन्य नदियों से जोड़ने वाले मार्ग पर स्थित था। माना जाता है कि इसी तरह, रावी नदी, जो लाहौर के उत्तरी भाग से होकर बहती है, का नाम भी हिंदू देवी दुर्गा के नाम पर रखा था।
चलिए अब पाकिस्तान के कुछ दूसरे सबसे आकर्षक एवं ऐतिहासिक हिंदू मंदिरों के बारे में जानते हैं। ये मंदिर न केवल धार्मिक नज़रिए से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सनातन के सदियों पुराने इतिहास, संस्कृति और कहानियों का खजाना भी हैं: 1. पाकिस्तान में पंचमुखी हनुमान मंदिर: पंचमुखी हनुमान मंदिर पाकिस्तान के कराची में स्थित एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है। सिंध सांस्कृतिक विरासत (संरक्षण) अधिनियम 1994 (Sindh Cultural Heritage (Preservation) Act 1994) के तहत राष्ट्रीय विरासत स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त इस मंदिर का इतिहास लगभग 1,500 साल पुराना माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि अपने वनवास के दौरान, प्रभु श्री राम उस स्थान पर पधारे थे, जहाँ अब मंदिर है। इस स्थान पर सदियों पहले हनुमान जी की एक छवि खोजी गई थी, जिसके बाद इस मंदिर का निर्माण किया गया। हिंदुओं का मानना ​​है कि हनुमान जी की इस प्रतिमा का निर्माण इंसानों द्वारा नहीं किया गया, बल्कि यह स्वतः प्रकट हुई थी।
2019 में भी यहाँ पर हनुमान जी की आठ से नौ छवियों सहित और भी कलाकृतियाँ मिलीं, जिनका इतिहास कम से कम 300 साल पुराना माना जाता है। मूल रूप से यह मंदिर 2,609 वर्ग फुट भूमि पर फैला हुआ था, लेकिन दुर्भाग्य से इस पवित्र भूमि का लगभग आधा हिस्सा अवैध रूप से हथिया लिया गया था। हालांकि 2006 में, कराची की सिटी डिस्ट्रिक्ट सरकार (Karachi City District Government) ने आदेश दिया कि हथियाई गई ज़मीन मंदिर को वापस कर दी जाए। किंतु इस आदेश के बावजूद, अवैध कब्जेदार ज़मीन पर बने रहे। 2012 में, स्थानीय हिंदुओं और मुत्तहिदा कौमी मूवमेंट (Muttahida Qaumi Movement) के समर्थन से, मंदिर के जीर्णोद्धार के प्रयास शुरू हुए। 2. पाकिस्तान में राम मंदिर: राम मंदिर, जिसे राम कुंड मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, पाकिस्तान के इस्लामाबाद के सैदपुर गाँव में स्थित है। यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है। मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार यहां पर प्रभु राम, अपने 14 साल के वनवास के दौरान रहे भी थे। इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में मान सिंह प्रथम ने करवाया था। सदियों पहले हिंदू धर्म के अनुयाई राम मंदिर में पूजा करने के लिए लंबी दूरी तय करके यहां पहुंचते थे, और यहाँ आकर तीर्थयात्रियों के लिए समर्पित एक विश्राम गृह, (धर्मशाला) में ठहरते थे।
1893 के रावलपिंडी गजेटियर (Rawalpindi Gazetteer) के अनुसार यहाँ पर "राम कुंड" नामक तालाब के पास एक वार्षिक मेला आयोजित किया जाता था। माना जाता है कि भगवान राम और उनके परिवार ने एक बार यहाँ से पानी भी पिया था। हालाँकि, 1947 में भारत के विभाजन के बाद से इस मंदिर में पूजा अर्चना होनी बंद हो गई। 1960 तक, मंदिर की मूल इमारत को स्थानीय निवासियों के लिए लड़कियों के स्कूल के रूप में पुनर्निर्मित कर गया था। 2006 में, कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी (Capital Development Authority) द्वारा मंदिर को एक पर्यटक स्थल के रूप में बदल दिया, और यहां की सभी मूर्तियों को मूल स्थान से हटा दिया गया। 3. वाल्मीकि मंदिर: पाकिस्तान के लाहौर में 1,200 साल पुराना एक वाल्मीकि मंदिर भी है, जिसे लंबी कानूनी लड़ाई के बाद हिंदू समुदाय को वापस कर दिया गया है। यह मंदिर, लाहौर में एकमात्र कार्यात्मक हिंदू मंदिर है। यहां पहले केवल वाल्मीकि जाति के सदस्यों को आने की अनुमति थी। इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (Evacuee Trust Property Board), जो पाकिस्तान में अल्पसंख्यक पूजा स्थलों की देखरेख करता है, ने एक ईसाई परिवार से इसे वापस लेने के बाद औपचारिक रूप से मंदिर को जनता के लिए खोल दिया।
मंदिर पहले क्षतिग्रस्त हो गया था और कई वर्षों से उपयोग में नहीं था। इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड आने वाले दिनों में मास्टर प्लान के अनुसार इसे बहाल करने की योजना बना रहा है। इस मंदिर के जीर्णोद्धार से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलने और देश भर में अन्य मंदिरों और धार्मिक स्थलों के पुनर्वास में मदद मिलने की भी उम्मीद है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/34227u65
https://tinyurl.com/27hwpk9e
https://tinyurl.com/2uncz4vh
https://tinyurl.com/2wt2342x
https://tinyurl.com/54uy9bps

चित्र संदर्भ
1. पाकिस्तान में 2000 वर्ष पुराने शारदा देवी मंदिर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. लाहौर किले के शीश महल में कांगड़ा शैली में चित्रित सिख युग के हिंदू देवी-देवताओं राधा और कृष्ण के भित्तिचित्र को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. पंचमुखी हनुमान मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikipedia)
4. पाकिस्तान में राम कुंड मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. पाकिस्तान के वाल्मीकि मंदिर में महर्षि वाल्मीकि की प्रतिमा को दर्शाता चित्रण (youtube)



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