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भारत के किसी भी गाँव या शहर जहां से होकर कोई भीनदी बहती हो, वहाँ पर आपको होनहार तैराकों की कोई न कोई टोली देखने को मिल ही जाएगी। तैराकी को भारत में मनोरंजन और खेल के रूप में खूब पसंद किया जाता है। भारत से निकले कुछ चुनिंदा तैराकों ने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान हासिल की है। हालाँकि, यदि हम ग्राउंड ज़ीरो पर जाकर देखें तो एक खेल के रूप में तैराकी को अन्य खेलों की तुलना में बहुत कम पहचाना जाता है। आइए तैराकी से जुड़े इस अहम मुद्दे को गहराई से समझने का प्रयास करते हैं।
भले ही भारत के कई गांवों में आपको उत्कृष्ट और युवा तैराक देखने को मिल जायेंगे, जो अपनी स्थानीय नदियों और झीलों में बहुत अच्छा तैर लेते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि 1.41 अरब की आबादी वाले हमारे देश भारत में, केवल 11 लोगों ने ही ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में तैराकी में प्रतिभाग किया था ।
दरअसल सुविधाओं और जानकारी की कमी के कारण, देश के कई युवा तैराकों को चमकने का मौका नहीं मिलता है। एक ओर विकसित देशों में जहां आपको घर-घर में स्विमिंग पूल (swimming pool) देखने को मिल जायेंगे, वहीं भारत में ज्यादातर स्विमिंग पूल बड़े शहरों में ही पाए जाते हैं।
भारत में तैराकी से सम्बंधित एक और बड़ा मुद्दा यह भी है कि भारत में खेलों को आमतौर पर एक व्यवहार्य करियर विकल्प के रूप में नहीं देखा जाता है। यह समझ उन अभिभावकों में और भी कम नज़र आती है, जिनके पास अपने बच्चों की प्रतिभा का समर्थन करने के लिए संसाधनों की कमी है।
कई बच्चे भी प्रतिभावान होने के बावजूद आर्थिक चिंताओं के कारण खेल को करियर के रूप में चुनने से झिझकते हैं। हालाँकि, यह दृष्टिकोण धीरे-धीरे बदल रहा है, और कई अभिभावक अपने बच्चों को खेल को करियर के रूप में अपनाने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं।
ऐतिहासिक रूप से, भारतीयों ने तैराकी जैसे खेलों के बजाय तीरंदाजी, भारोत्तोलन और शूटिंग जैसे खेलों में अधिक उत्कृष्टता हासिल की है। तैराकी में रुचि जगाने के लिए हमें कम उम्र से ही बच्चों को तैराकी से परिचित कराना होगा। युवा प्रतिभाओं को निखारने में मदद करने के लिए अधिक तैराकी केंद्र खोले जा सकते हैं।
अन्य खेलों की तुलना में भारत में तैराकी और गोताखोरी कौशल की उपेक्षा के लिए कई कारक जिम्मेदार हो सकते हैं:
1. पारंपरिक खेल: भारत में क्रिकेट, हॉकी और कबड्डी जैसे खेलों का एक समृद्ध इतिहास रहा है , जिन्हें पारंपरिक रूप से तैराकी और गोताखोरी की तुलना में अधिक ध्यान और धन प्राप्त हुआ है । - इन खेलों की मजबूत सांस्कृतिक जड़ें और स्थापित प्रशंसक आधार हैं, जिससे इन खेलों को अधिक निवेश और समर्थन मिलता है।
2. सुविधाओं का अभाव: तैराकी और गोताखोरी के लिए पूल और डाइविंग बोर्ड जैसी विशेष सुविधाओं की आवश्यकता होती है। लेकिन भारत में तैराकी के लिए दी जाने वाली सुविधाएँ अन्य खेलों के लिए दी जाने वाली सुविधाओं की तरह आम नहीं हैं। साथ ही इन सुविधाओं का निर्माण और रखरखाव महंगा साबित हो सकता है।
3. प्रतिभागियों की कमी: क्रिकेट या फ़ुटबॉल जैसे खेल कम उपकरणों के साथ कहीं भी खेले जा सकते हैं, इसलिए अधिक लोग इन्हें खेलते हैं। लेकिन देश के अधिकांश लोगों के पास स्विमिंग पूल और बेहतर कोचिंग सुविधाओं तक सीमित पहुंच है जो इन खेलों के विकास में बाधा बन सकती है और भागीदारी को सीमित कर सकती है
4. कोई बड़ी उपलब्धि या सफलता की कहानी नहीं: यदि भारत से अधिक प्रसिद्ध तैराक या गोताखोर निकले होते, तो भारत में तैराकी भी एक लोकप्रिय खेल हो सकता था। आमतौर पर सफलता की कहानी अक्सर किसी खेल में अधिक रुचि और निवेश दोनों को बढ़ा देती है।
5. सरकार से पर्याप्त समर्थन नहीं: सरकार धन, भवन निर्माण सुविधाएं और प्रतिभा पहचान कार्यक्रमों के माध्यम से खेलों को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है।
भारत में तैराकी और गोताखोरी को और अधिक लोकप्रिय बनाने के लिए, हमें जागरूकता बढ़ाने, अधिक सुविधाएं बनाने, बेहतर कोचिंग प्रदान करने और भागीदारी तथा छोटे-बड़े पैमाने पर सफल लोगों की कहानी को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। हमें खेलों की व्यापक श्रृंखला और शारीरिक शिक्षा के प्रति अधिक संतुलित दृष्टिकोण को बढ़ावा देने की भी आवश्यकता है।
हालाँकि तैराकी में भारत का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा है, लेकिन कुछ युवा प्रतिभाएं हैं, जो ओलंपिक के लिए कड़ी तैयारी कर रही हैं। उदाहरण के तौर पर तैराकी में प्रतिभावान युवा मिहिर अम्ब्रे ने गुवाहाटी में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 में कई पदक जीते। इसके अलावा बेंगलुरु के 19 साल के श्रीहरि नटराज भी तैराकी की दुनिया में परचम लहरा रहे हैं। उनके पास बैकस्ट्रोक (backstroke) में सभी तीन राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैं और वर्तमान में वह भारत के सबसे होनहार तैराक माने जाते हैं।
हालाँकि, विश्व पटल पर भारत अभी भी तैराकी में नौसिखिया ही है। आज तक कोई भी भारतीय कभी भी 'ए (A)' योग्यता मानक हासिल नहीं कर पाया है, जिसके बाद ओलंपिक में प्रतिभाग किया जा सकता है। एशियाई खेलों में भारत का एकमात्र स्वर्ण पदक 1951 में नई दिल्ली में उद्घाटन संस्करण में 100 मीटर फ़्रीस्टाइल (freestyle) में सचिन नाग ने जीता था।
हालाँकि, भारतीय तैराकी में प्रगति के संकेत मिल रहे हैं। ओलंपिक के लिए कड़ी मेहनत कर रहे कुछ युवा सितारों में शामिल हैं:
- श्रीहरि नटराज, जिनके पास बैकस्ट्रोक में तीनों राष्ट्रीय रिकॉर्ड हैं और वे टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) के लिए 'ए' योग्यता मानक हासिल करने के करीब हैं।
- साजन प्रकाश, 2019 में एशियन एज ग्रुप चैंपियनशिप (Asian Age Group Championships) में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय तैराक और 200 मीटर बटरफ्लाई (butterfly) में राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक हैं।
- माना पटेल, 50 मीटर, 100 मीटर और 200 मीटर बैकस्ट्रोक में राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक हैं, जिन्होंने सार्वभौमिकता कोटा के माध्यम से टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया है।
- मिहिर अम्ब्रे, जिन्होंने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 में कई पदक जीते और 100 मीटर फ्रीस्टाइल में राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ने का लक्ष्य रख रहे हैं।
ये सभी तैराक आशा की किरण के रूप में हमें बता रहे हैं कि, देश के युवा अपनी चुनौतियों पर विजय पाकर तैराकी के क्षेत्र में भी भारत का परचम लहरा सकते हैं और दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और जुनून के साथ तैराकी में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। यदि सरकार और जनता मिलकर काम करें, तो अधिक तैराकी सुविधाएं बनाई जा सकती हैं और अच्छे प्रशिक्षकों को नियुक्त किया जा सकता है। भले ही शुरू में हमें विदेशों से कोच लाने की आवश्यकता हो सकती है, लेकिन अंततः हमारे पास अपने स्वयं के प्रशिक्षित कोच होंगे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/5n7266we
https://tinyurl.com/5n9xn2s3
https://tinyurl.com/32cn7wkf
चित्र संदर्भ
1. तैरने हेतु कूदने को तैयार एक भारतीय युवा को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. नदी में कूदते भारतीय बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (PickPik)
3. नदी में खेलते बच्चो को संदर्भित करता एक चित्रण (Freerange Stock)
4. स्विमिंग पूल के निकट एकत्रित बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. एक युवा तैराक को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
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