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जौनपुर जनपद से कुछ 6 कि.मी. दूर जमैथा नाम का गाँव है। गोमती के किनारे बसा ये गाँव खरबूजे के उत्पाद के लिए काफी प्रसिद्ध है। यहाँ पर गोमती के तट पर अखड़ो माता मंदिर है। जौनपुर के नाम को लेकर काफी विवाद हैं जिसमें से एक ये भी है कि जौनपुर का नाम जमदग्नि नाम के ऋषि से जुड़ा है तथा इसका असल नाम जमदग्निपुरा था। जौनपुर में स्थित जमैथा में ऋषि परशुराम का जन्म हुआ था। जमदग्नि और रेणुका की सबसे छोटी संतान परशुराम अर्ध-क्षत्रिय और अर्ध-ब्राह्मण थे। उनकी माता रेणुका क्षत्रिय थी। कहते हैं की जमदग्नि का आश्रम इसी जमैथा में था। कथा के अनुसार एक दिन माता रेणुका जल लेने नदी पर गयी थीं तभी एक गन्धर्व को उन्होंने आकाश में उड़ते देखा, जब वे घर आयीं तब जमदग्नि जो उनके गुस्से के लिए प्रसिद्ध थे उन्हें माता रेणुका के इस आचरण की वजह से गुस्सा आया और उन्होंने अपनी हर संतान से उनकी माता का सर धड़ से अलग करने के लिए कहा। यह सुन बाकि कोई भी संतान ने इस आदेश का पालन नहीं किया लेकिन परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए अपनी माता का सर कलम कर दिया।
माता रेणुका डर से जब भाग रहीं थी तब वे मातंगों की बस्ती में आ पहुंची जहाँ पर एक मातंग स्त्री उन्हें बचाने के लिए आगे आई लेकिन परशुराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुए दोनों स्त्रियों के सर काट दिए। परशुराम से खुश जमदग्नि ने उन्हें वर मांगने के लिए कहा तब परशुराम ने उन्हें अपनी माता को पुनर्जीवित करने के लिए कहा, जमदग्नि ने तथास्तु कहा। जब परशुराम ने अपनी माता का सर देह पर लगाकर उन्हें जीवित किया तब देखा कि वह तो मातंग स्त्री का शरीर था और उनकी माता के शव पर उस स्त्री का सर था, इन्हें आज हम रेणुका और मातंगी देवी के नाम से जानते हैं।
मान्यता है कि वरदान में परशुराम ने अपनी माता के लिए अखंड जीवन माँगा जिसके बाद जमैथा की भूमि पर रेणुका माता जीवित हो उठीं। जमैथा का अखड़ो माता मंदिर रेणुका देवी का ही मंदिर है जिसका नाम ‘अखंड देवी’ नाम से वक़्त के साथ बदलते हुए अखड़ो माता हो गया है। जमैथा में आज भी पूरी श्रद्धा से अखड़ो माता की पूजा होती है।
प्रस्तुत चित्र हिमाचल स्थित रेणुका झील का है जिसका नाम रेणुका माता के नाम पर रखा गया था।
1. गज़ेटियर ऑफ़ इंडिया, उत्तर प्रदेश, जौनपुर 1986
2. https://www.jagran.com/uttar-pradesh/jaunpur-10798857.html
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