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भोजन सिर्फ एक दैनिक आवश्यकता ही नहीं है, यह कला का एक पहलू भी है जो अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े लोगों की स्वाद रुचि को दर्शाता है। किसी भी स्थान से संबंधित भोजन से उस विशिष्ट स्थान की संस्कृति और परंपराओं के बारे में पता चलता है। प्रतिदिन के साधारण भोजन से लेकर जीवंत शानदार दावतों तक इस मामले में हमारा शहर जौनपुर भी कोई अपवाद नहीं है। जौनपुर के व्यंजनों में विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का सामंजस्य देखा जा सकता है। जहां एक ओर जौनपुर में स्वादिष्ट अवधी और मुगलई व्यंजन देखे जा सकते हैं, वहीं दूसरी ओर जौनपुर की बनारस से निकटता के कारण जौनपुर में बनारस के स्ट्रीट फूड और पाक शैली का प्रभाव भी परिलक्षित होता है। तो आइए आज के अपने इस लेख में जौनपुरी व्यंजनों का स्वाद चखते हैं।
जहां एक तरफ आप जौनपुर में विभिन्न कबाब - गलावटी कबाब, काकोरी कबाब, शामी कबाब और पसंद कबाब, नहारी, मुर्ग मुस्सलम, रेजाला, कुन्दन कलिया, शाही कोरमा कालिया, बादल जैम, नूर महल पुलाव, जरदा, शीरमाल और हलवा, खीर, जैसे सभी प्रकार के अवधी व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं तो वहीं दूसरी तरफ जौनपुर में आपको विभिन्न प्रकार के शुद्ध शाकाहारी व्यंजन भी प्रचुरता से देखने को मिल जाएंगे। लखनऊ में जहां कलिया और कोरमा प्रसिद्ध हैं और रामपुर की पहचान तार गोश्त से है, वहीं जौनपुर के व्यंजनों की विशिष्टता एक प्रकार का तीखापन है जो सुगंधित मसालों के मिश्रण और केवल दही के उपयोग से आता है। यहां ध्यान देने योग्य है कि जौनपुर के व्यंजनों में प्याज का उपयोग नहीं किया जाता है। लखनऊ, रामपुर और जौनपुर तीनों का ही संबंध शाही घरानों से रहा है और यहां के व्यंजन भी इन्हीं की देन हैं, लेकिन ऐतिहासिक दृष्टि से इन सब में जौनपुर का संबंध सबसे पुराना है जिसकी स्थापना वर्ष 1360 में फ़िरोज़ शाह ने की थी। शाकाहारी व्यंजनों में आलू-पूरी से लेकर स्वादिष्ट मिठाइयों और चाट का आनंद लिया जा सकता है। यह आश्चर्य की बात है कि जौनपुर में संपूर्ण भोजन परोसने वाला शायद ही कोई रेस्तरां हो, लेकिन स्ट्रीट फूड स्टॉल, गाड़ियां, छोटी-छोटी दुकानें और कैफे की संख्या असंख्य है। जौनपुर में ऐसे ही प्रसिद्ध कुछ स्ट्रीट फूड का नाम नीचे सूचीबद्ध किया गया है:
जौनपुर का प्रसिद्ध समोसा:
हमारा और आपका सबका पसंदीदा समोसा जौनपुर में बेहद खास एवं लोकप्रिय है। कहते हैं समोसा बनाना एक कला है और अगर इसमें कोई प्रतिस्पर्धा हो, तो जौनपुर का जीतना तय है। जौनपुर में हर दूसरे स्टॉल या स्नैक दुकान पर इसका आनंद लिया जा सकता है। चाय या कोल्ड ड्रिंक, पाव या बन, समोसा सबके साथ खाया जा सकता है, और यकीनन प्रत्येक के साथ इसका स्वाद अनोखा और दिल को खुश करने वाला होता है। सड़क विक्रेताओं से लेकर किराने की दुकानों तक, छोटे और बड़े रेस्तरां के मेनू तक, यह स्वादिष्ट व्यंजन अनिवार्य रूप से भारतीय व्यंजनों का पर्याय है, जो जौनपुर में भी अपवाद नहीं है।
लौंग लता:
बाहर से कुरकुरा और अंदर से मुलायम और रसीला यह व्यंजन “लौंग लता” स्वाद में मीठा होता है जिसे समोसे का बड़ा भाई या बहन कहा जा सकता है, क्योंकि ये दोनों देखने में एक जैसे होते हैं, लेकिन स्वाद में बिल्कुल अलग होते हैं। इसके लिए खोवे, नारियल, सूखे मेवों व इलायची पाउडर को मिलाकर भरावन तैयार की जाती है। तलने के बाद इसको चाशनी में डुबोया जाता है। मुंह में पानी लाने वाला यह व्यंजन हमारे जौनपुर की एक विशेषता है।
बनारसी मीठा पान:
यदि आप कभी जौनपुर-बनारस जाएं और वहां का प्रसिद्ध बनारसी पान न खाएं, तो यह बिल्कुल वही बात होगी कि आप मुंबई जाएं और वहां का प्रसिद्ध वडा पाव न खाएं! जौनपुर में पानवाले को अपनी मंद रोशनी वाली दुकान में सैकड़ों पान बनाते हुए देखना एक अद्भुत दृश्य है। पान के पत्ते के ऊपर गुलकंद, इलायची, सुपारी, मुखवा, नारियल, सजाने के लिए चेरी आदि को डालने का कार्य ये पान वाले इतनी तेजी से करते हैं, कि आप बस देखते ही रह जाएं। जब यह पान आपके मुंह में जाता है और घुलता है, तो इसका स्वाद बयान नहीं किया जा सकता।
इमरती:
जौनपुर में बनी इमरती विशेष होती है। कहा जाता है कि जौनपुर जैसी इमरती का स्वाद कहीं और नहीं मिलता। यहां के हर आम और खास अवसर का स्वाद बढ़ाने वाली बेनीराम-देवीप्रसाद के प्रतिष्ठान की इमरती का नाम आते ही इसके कद्रदानों के मुंह में पानी आ जाता है। 200 साल पुरानी बेनीराम की दुकान की इमरती तो इतनी प्रसिद्ध हैं कि इन्हें खरीदने के लिए आसपास के शहरों से भी लोग आते हैं। लकड़ी की धीमी आंच पर देसी चीनी (खांडसारी), देसी घी और उड़द की दाल के मिश्रण से विशेष विधि से बनाई गई यहां की इमरती देश की मशहूर हस्तियों ही नहीं बल्कि विदेशों में रहने वाले कई लोगों की पसंदीदा है। बेनीराम की इमरती की पुरानी दुकान शाही पुल पर स्थित है जबकि एक अन्य नई दुकान ओलंदगंज, जौनपुर में है। पुरानी दुकान के बारे में कहा जाता है कि इसकी शुरुआत अकबर के शासन के दौरान हुई थी।
लस्सी:
जौनपुर-वाराणसी में मिलने वाली लस्सी के बारे में दावे के साथ कहा जा सकता है कि ऐसी अविश्वसनीय रूप से गाढ़ी और स्वादिष्ट लस्सी आपको अमृतसर के अलावा दुनिया में कहीं भी नहीं मिलेगी। जौनपुर में इसे कुल्लड़ में परोसा जाता है और ताजी क्रीम (मलाई) या रबड़ी से सजाया जाता है। चिलचिलाती दोपहर में सड़क के किनारे लगे स्टालों में आपको यह बड़ी आसानी से मिल जाएगी, जो आपको गर्मी से राहत दिलाएगी।
जौनपुरी मूली:
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या मूली का भी कोई अलग स्वाद होता है? बेशक, यहां की मिट्टी में उगने वाली मूली जहां आकार में काफी अलग होती है, वहीं इसका स्वाद भी काफी अलग अर्थात बेहद खास होता है। जौनपुर, मूली की नेवार प्रजाति के लिए लोकप्रिय है, जो चार से छह फुट तक लंबी हो सकती है। इसका कारण यह है कि जौनपुर के कुछ गाँवों के पास गोमती नदी की धाराएँ हैं और सिंचाई के संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं। मूली जौनपुर की एक क्षेत्रीय फसल है और लगभग हर घर में उगाई जाती है। आप इसका आनंद अपने भोजन के साथ सलाद के रूप में या फिर नींबू और नमक के साथ स्नैक के रूप में ले सकते हैं।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2s6f4zzn
https://tinyurl.com/5n9amdya
https://tinyurl.com/ycynwe8z
चित्र संदर्भ
1. इमरती और लौंग लता को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube,wikimedia)
2. चिकन तंदूरी खाते बच्चे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. समोसों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. लौंग लता को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
5. बनारसी पान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. इमरती को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
7. लस्सी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
8. जौनपुरी मूली को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
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