Post Viewership from Post Date to 16-Jun-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2184 102 2286

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

क्या मधुमक्खियों से प्राकृतिक शहद लेना, उनके साथ अन्याय करना है?

जौनपुर

 16-05-2024 09:28 AM
तितलियाँ व कीड़े

शहद एक ऐसा खाद्य होता है, जिसे भारत के अधिकांश घरों में साल के किसी भी मौसम में चखा जा सकता है। यह न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि हमारी सेहत के लिए भी लाभदायक साबित होता है। यही वजह है कि लोग अक्सर चीनी की जगह शहद का इस्तेमाल करते हैं। हालाँकि, बाजार में एक नए प्रकार का शहद भी लोकप्रिय हो रहा है, जिसे कृत्रिम शहद कहा जाता है। आइए समझें कि यह क्या है, और यह नियमित या कच्चे शहद से कैसे भिन्न है? इसके अतिरिक्त, हम चर्चा करेंगे कि क्या मधुमक्खी पालन हानिकारक है और यह दुनिया भर में खाद्य उत्पादन और खेती के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? सबसे पहले आइये जानें कि प्राकृतिक और नकली शहद के बीच अंतर को कैसे पता किया जाए?
इसे सूँघें: प्राकृतिक शहद में हल्की, फूलों जैसी गंध होती है। यदि आप इसे गर्म या ठंडा करते हैं, तो यह गंध बदल सकती है। नकली शहद से ज्यादा गंध नहीं आ सकती है। इसके बजाय उसमें से दुर्गंध आ सकती है। गंध से नकली शहद का पता लगाना सीखने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन यह शहद की पहचान करने का एक कारगर तरीका हो सकता है।
जांचें कि यह कितना गाढ़ा है: शहद को इसके गाढ़ेपन के लिए जाना जाता है। गाढ़ेपन को देखकर आप यह बता सकते हैं कि, शहद प्राकृतिक है या नहीं। प्राकृतिक शहद बहुत गाढ़ा होता है और यदि आप इसके जार को हिलाएंगे तो यह धीरे-धीरे हिलेगा। वहीँ नकली शहद पतला होता है और जब आप जार को हिलाएंगे तो तेजी से हिलेगा।
चिपचिपाहट: भले ही शहद चिपचिपा प्रतीत होता है, लेकिन जब आप इसे छूते हैं तो प्राकृतिक शहद बहुत चिपचिपा नहीं होता है। नकली शहद अधिक चिपचिपा होता है क्योंकि इसमें अन्य मीठी चीजें भी मिलाई जाती हैं। ब्रेड टेस्ट करें: शहद प्राकृतिक है या नहीं, यह देखने के लिए आप ब्रेड का उपयोग कर सकते हैं। ब्रेड के एक टुकड़े पर शहद लगाएं। यदि यह प्राकृतिक है, तो शहद थोड़ी देर बाद सख्त हो जाएगा। लेकिन यदि यह नकली है, तो शहद ब्रेड को गीला कर देगा। यह आसान परीक्षण आपको बताएगा कि आप स्वस्थ शहद खा रहे हैं, या सिर्फ कुछ मीठा खा रहे हैं।
मधुमक्खियां शहद का प्राथमिक स्रोत होती हैं। लेकिन आमतौर पर दुनियाभर में मधुमक्खी पालन को लेकर यह सवाल अक्सर उठाया जाता है, कि क्या मधुमक्खियों के छत्ते से शहद निकालना एक क्रूर और अमानवीय प्रथा है, और क्या यह हमारे उपभोग के लिए नैतिक है। क्या मधुमक्खी पालन क्रूर है?
मनुष्यों द्वारा जानवरों के साथ दुर्व्यवहार, उपेक्षा या उन्हें किसी भी प्रकार की पीड़ा पहुचाने को क्रूरता की श्रेणी में गिना जाता है। लेकिन जब मधुमक्खी पालन की बात आती है, तो साफ़ पता चलता है कि यह क्रूरता की परिभाषा में फिट नहीं बैठता है। वास्तव में शहद उत्पादन और मधुमक्खी पालन से मधुमक्खियों को कोई नुकसान नहीं होता है। हालाँकि मधुमक्खी की कुछ प्रजातियाँ घट रही हैं, लेकिन घरेलू तौर पर पल रही मधुमक्खी की आबादी काफी हद तक स्वस्थ है। एक अच्छा मधुमक्खी पालक जानता है कि, मधुमक्खियों को कब अपनी प्राकृतिक प्रवृत्ति के अनुसार कार्य करने देना है। मधुमक्खियां हजारों जंगली फूलों और फसलों पर घूमने के लिए स्वतंत्र होती हैं। शहद उत्पादन के दौरान मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों के साथ सम्मान पूर्वक व्यवहार करते हैं, और उन्हें नुकसान पहुंचाने से बचते हैं। अपनी मधुमक्खी की कालोनियों को स्वस्थ और समृद्ध बनाए रखने के लिए, मधुमक्खी पालक कड़ी मेहनत करते हैं। वे मधुमक्खियों की बीमारियों और परजीवियों से लड़ने में भी मदद करते हैं। अच्छे मधुमक्खी पालकों को पता होता है कि कब आगे बढ़ना है और कब मधुमक्खियों को अपना काम करने देना है। मधुमक्खियां स्वतंत्र रूप से इधर-उधर उड़ सकती हैं और हर रात अपने आरामदायक छत्ते में वापस आ सकती हैं। शहद निकालते समय, मधुमक्खी पालक इस बात का ध्यान रखते हैं कि मधुमक्खियों के जीवन में खलल न पड़े। शहद का अच्छा और भरपूर उत्पादन करने के लिए मधुमक्खियों को स्वस्थ रखना महत्वपूर्ण होता है। यदि मधुमक्खी पालकों ने मधुमक्खियों के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, तो उनका खुद का व्यवसाय विफल हो जाएगा। यहां तक कि थोड़ा सा तनाव भी मधुमक्खियों की उत्पादकता को कम कर सकता है। मधुमक्खियां सबसे अधिक शहद तब बनाती हैं, जब वे सुरक्षित और शांत स्थान पर होती हैं। इसीलिए मधुमक्खी पालक शहद एकत्र करते समय सावधानी बरतते हैं, और वे इसे केवल छत्ते के एक विशिष्ट भाग से ही लेते हैं। छत्ते का मुख्य भाग, जहाँ मधुमक्खियां अपना अतिरिक्त शहद रखती हैं, को अछूता छोड़ दिया जाता है। मधुमक्खियों से प्राप्त उत्पाद, जैसे रॉयल जेली (royal jelly), मोम और शहद आदि इस तरह से एकत्र किए जाते हैं कि मधुमक्खी कॉलोनी को कोई नुकसान न पहुंचे। मधुमक्खियों का शहद खाना इसलिए भी उचित होता है, क्योंकि इससे मधुमक्खियों को कोई खतरा नहीं होता या उन्हें कोई नुकसान नहीं होता। मधुमक्खियों को असली खतरा उन पौधों पर छिड़कें गए कीटनाशकों से होता है, जिनसे वे पराग उठाती हैं। ये रसायन जंगली मधुमक्खियों के लिए एक बड़ी समस्या हैं। लेकिन जिन मधुमक्खियों की देखभाल पेशेवर मधुमक्खी पालकों द्वारा की जाती है, उनके लुप्त होने का खतरा नहीं या बहुत कम होता है। मधुमक्खी पालक मधुमक्खियों की संख्या को बहुत कम होने से बचाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। मधुमक्खी पालन को दुनिया भर में खाद्य आपूर्ति और कृषि प्रणालियों में सुधार के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। सभी जीवित जीवों को बढ़ने और ठीक से काम करने के लिए भोजन की आवश्यकता होती है। यहीं पर मधुमक्खियां विभिन्न फसलों को परागित करके, भोजन निर्माण की प्रक्रिया में बहुत मदद करती हैं। परागण से फल, सब्जियाँ और मेवे उगाने में मदद मिलती है। मधुमक्खी पालक प्राकृतिक परागण के माध्यम से मानव निर्मित कीटनाशकों की आवश्यकता को कम करके खेती को अधिक टिकाऊ बनाने में मदद करते हैं। इसके बदले में मधुमक्खी पालकों को छत्ता उत्पादों, परागण सेवाओं और मधुमक्खी से संबंधित उत्पादों तथा सेवाओं की बिक्री के माध्यम से पैसा कमाने का अवसर भी प्राप्त होता है। मधुमक्खियाँ फूलों के पौधों के प्रजनन में मदद करके और पारिस्थितिकी तंत्र को स्थिर रखकर पर्यावरण को संतुलित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। एक मधुमक्खी कॉलोनी में 10,000 से लेकर 60,000 मधुमक्खियाँ भी हो सकती हैं। लेकिन उनमें से सभी मधुमक्खियाँ पराग या फूल का रस इकट्ठा नहीं करती। रानी मधुमक्खी और मादा मधुमक्खियाँ हजारों अंडे देती हैं। सभी शिशु मधुमक्खियों को एक विशेष प्रोटीन युक्त भोजन दिया जाता है, जिसे रॉयल जेली या मधुमक्खी का दूध कहा जाता है, जो युवा श्रमिक मधुमक्खियों द्वारा बनाया जाता है। उन्हें यह भोजन कितने समय तक खिलाया जाता है, इससे तय होता है कि वे श्रमिक बनेंगे या रानी। ड्रोन मधुमक्खियाँ नर होती हैं और उनका एकमात्र काम रानी द्वारा दिए गए अंडों को निषेचित करना होता है। अच्छी मधुमक्खी पालन प्रथाओं के माध्यम से मधुमक्खी आबादी का समर्थन करके, हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि हमारी भावी पीढ़ियों के लिए भोजन की उपलब्धता बनी रहे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/5ez9pxvk
https://tinyurl.com/yx2vaen8
https://tinyurl.com/5n7bchvb

चित्र संदर्भ
1. एक भारतीय मधुपालक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. प्लेट में रखे गये प्राकृतिक शहद को संदर्भित करता एक चित्रण (PixaHive)
3. ब्रेड टेस्ट को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
4. भारतीय मधुमक्खी पालको को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. फूल पर बैठी मधुमक्खी को संदर्भित करता एक चित्रण (Pexels)
6. शहद के छत्ते को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
7. शहद खाते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
8. मधुमक्खी पालक को संदर्भित करता एक चित्रण (Freerange Stock)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • जौनपुर शहर की नींव, गोमती और शारदा जैसी नदियों पर टिकी हुई है!
    नदियाँ

     18-09-2024 09:14 AM


  • रंग वर्णकों से मिलता है फूलों को अपने विकास एवं अस्तित्व के लिए, विशिष्ट रंग
    कोशिका के आधार पर

     17-09-2024 09:11 AM


  • क्या हैं हमारे पड़ोसी लाल ग्रह, मंगल पर, जीवन की संभावनाएँ और इससे जुड़ी चुनौतियाँ ?
    मरुस्थल

     16-09-2024 09:30 AM


  • आइए, जानें महासागरों के बारे में कुछ रोचक बातें
    समुद्र

     15-09-2024 09:22 AM


  • इस हिंदी दिवस पर, जानें हिंदी पर आधारित पहली प्रोग्रामिंग भाषा, कलाम के बारे में
    संचार एवं संचार यन्त्र

     14-09-2024 09:17 AM


  • जौनपुर में बिकने वाले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करता है बी आई एस
    सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)

     13-09-2024 09:05 AM


  • जानें कैसे, अम्लीय वर्षा, ताज महल की सुंदरता को कम कर रही है
    जलवायु व ऋतु

     12-09-2024 09:10 AM


  • सुगंध नोट्स, इनके उपपरिवारों और सुगंध चक्र के बारे में जानकर, सही परफ़्यूम का चयन करें
    गंध- ख़ुशबू व इत्र

     11-09-2024 09:12 AM


  • मध्यकाल में, जौनपुर ज़िले में स्थित, ज़फ़राबाद के कागज़ ने हासिल की अपार प्रसिद्धि
    मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक

     10-09-2024 09:27 AM


  • पृथ्वी पर सबसे दुर्लभ खनिजों में से एक है ब्लू जॉन
    खनिज

     09-09-2024 09:34 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id