किसी भी व्यक्ति की महानता या वीरता को सदैव जीवित रखने के लिए उसके कारनामों की कहानियां सभी को बताई जाती हैं और वो कहानियां सदियों तक जिन्दा रहती हैं। ऐसी ही एक परंपरा है वीर स्तम्भ बनाने की, ये स्तम्भ किसी एक व्यक्ति की बहादुरी के शौर्य गीत गाते हैं। वीर स्तंभों की प्राप्ति यदि देखी जाये तो 3सरी शताब्दी ईसा पूर्व से प्राप्त होना शुरू हो जाती है। वीर स्तम्भ कई कहानियां प्रस्तुत करते हैं ये व्यक्ति के आर्थिक स्थिति, उसके सामाजिक स्तर, उसके पद आदि की कहानी प्रस्तुत करते हैं। वीर स्तम्भ विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग प्रकार के पाए जाते हैं। सबसे ज्यादा मात्रा में पाए जाने वाले वीर स्तम्भ मुख्य रूप से तीन-चार परतों पर बनाये जाते थे- प्रथम स्तर पर एक सूर्य और एक चन्द्र का चित्र बनाया गया रहता है जिसका तात्पर्य है “जब तक सूर्य और चाँद होंगे तबतक उसकी वीरता का नाम रहेगा” । इसके नीचे वाले स्तर पर उस वीर को अपने आराध्य देव की पूजा करते हुए दिखाई देता है तथा सबसे नीचे उस व्यक्ति के मृत्यु का अंकन किया गया रहता है। वीर स्तम्भ पर अभिलेखों की भी प्राप्ति होती है जिसपर उस वीर से सम्बंधित बाते उकेरी गयी रहती है। कई वीर स्तंभों पर काफी अलंकरण दिखाई देता है जो की वीर के आर्थिक स्थिति व पद पर प्रकाश डालता है। जौनपुर जो की 7-8 विं शताब्दी में एक मशहूर स्थान था तथा यहाँ पर प्रतिहारों का शासन था। प्रतिहारों के काल में बड़े पैमाने पर वीर स्तंभों का निर्माण किया गया था। चित्र सदर इमामबाडा के पास स्थित मंदिरों के पास से प्राप्त हुये एक स्तम्भ के खंडित भाग को दिखाया गया है। इस स्तम्भ के बीच भाग पर एक व्यक्ति को तलवार व ढाल लिए लड़ाई की मुद्रा में दिखाया गया है।
1.आर्ट ऑफ़ हीरो स्टोंस, महासती स्टोंस, लिंग मुद्रे, वामन मुद्रे एंड नंदी कल्लुस: अ सर्वे
2.हीरो स्टोंस ऑफ़ महाराष्ट्र, सदाशिव टेटविलकर
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