यहाँ पर स्थित बुर्जों को व अन्य इमारतों को देखकर इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है। यह "द किंग ऑफ द किंग्स जौनपुर" के रूप में जाना जाता है। यहाँ पर शर्की परिवार के बहुत महत्वपूर्ण व्यक्तियों को दफन किया जाता था- दफन व्यक्तियों में शाहजादा नासीर खान, मलिक बहरूज़, सुल्तान फिरोज शाह के छोटे बेटे और जौनपुर के पहले राज्यपाल और जफ्रबाद शामिल हैं। यहां पर शर्की सुल्तानों की कब्रें हमें मिलती हैं शर्की सुल्तानों में मलिक सरवार, सुल्तान मुबारक शाह शर्की , सुल्तान इब्राहिम शर्की और कई अन्य। ये कब्रें बड़े ईंटों से सजाए गए भव्य गुंबदों से ढंके हुए थे, पूरी वास्तुकला का अवशेष आसानी से देखा जा सकता है, सिकंदर लोधी द्वारा सभी संरचनाओं को गिरा दिया गया था। उन्होंने छोटे और बड़े पैमाने पर लगभग सभी स्मारकों को नष्ट कर दिया था। यह स्मारक जामी मस्जिद के पास है और जौनपुर रेलवे स्टेशन से सिर्फ 2 किलोमीटर दूर है। यहाँ पर दफन एक कब्र अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसमे एक हांथी दफ़न है कहा जाता है की यह हांथी जामा मस्जिद में लगे सारे पत्थरों को ढोने का कार्य किया था जिस कारण इसका कब्र यहाँ पर मौजूद है और उसे सम्मानित किया गया था।
1.द शर्की सल्तनत ऑफ़ जौनपुर, मियां मुहम्मद सईद
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