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मदिरा एक मीठे ज़हर की तरह होती है, जो शुरू-शुरू में जीभ और दिमाग दोनों को लुभाती है, लेकिन लंबे समय में यह जीवन को बर्बाद करने में भी कोई भी कसर नहीं छोड़ती। यह इंसान के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को कितने गंभीर नुक़सान पहुँचा सकती है, आप इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। इन नुकसानों के बारे में अधिक जानने से पहले हम भारत में शराब यानी मदिरा से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करते हैं।
भारत में मादक पेय पदार्थों को आम तौर पर तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाता है:
1. आयातित शराब।
2. स्थानीय रूप से उत्पादित विदेशी शैली की शराब।
3. पारंपरिक भारतीय शराब, जिसे अक्सर 'देसी दारू' या देशी शराब कहा जाता है।
हालाँकि आमतौर स्वदेशी शराब को “घटिया” यानी निम्न स्तर की शराब माना जाता है, लेकिन वास्तव में इसे कुशल कारीगरों द्वारा तैयार किया जाता है। किंतु, पुराने लाइसेंसिंग कानून,इस मदिरा का उत्पादन करने वाले कारीगरों के लिए इन्हें बेचना मुश्किल बना देते हैं।
भारत की कुछ नामी देसी शराब की सूची निम्नवत् दी गई है।
1. फेनी: फेनी, तटीय राज्य गोवा में तैयार की जाने वाली एक रंगहीन मदिरा होती है, जिसमें 42% से 45% अल्कोहल सामग्री को डाला जाता है।
यह भी दो श्रेणियों में विभाजित है:
काजू फेनी: यह मदिरा रसदार काजू फल से आसुत होती है। इसे सीधे-सीधे पिया जाता है, या नींबू कार्बोनेटेड पेय (lemon carbonated drinks) जैसे मसालेदार घोल के साथ पिया जाता है।
नारियल फेनी: नारियल के पेड़ों के रस से प्राप्त, यह संस्करण स्वाद और सुगंध में हल्का होता है।
फेनी , भौगोलिक सूचकांक टैग (geographical index tag) से संरक्षित है, यानी इसका उत्पादन और बिक्री केवल गोवा में की जा सकती है। हालाँकि इसका निर्यात विदेशों में भी किया जाता है।
2. महुआ: महुआ एक प्रकार का उष्णकटिबंधीय वृक्ष होता है, जो भारत के मध्य और पूर्वी मैदानी इलाकों में उगता है। यह पेड़ आदिवासी जनजातीय समुदायों के जीवन और संस्कृति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इस पेड़ में मीठे फूल खिलते हैं, जिन्हें धूप में सुखाया जाता है और फिर खमीर युक्त चावल केक के साथ किण्वित किया जाता है। इन किण्वित फूलों को गुड़ के साथ मिलाया जाता है और फिर दो बार आसुत किया जाता है। और इस प्रकार निर्मित होती है, महुआ शराब। महुआ भारत की सबसे प्रसिद्ध देशी शराब में से एक मानी जाती है। इसकी गंध, शक्ति और स्वाद अलग-अलग हो सकते हैं। हालाँकि, यह नियमित उपभोक्ताओं के लिए आसानी से उपलब्ध नहीं है।
3. केसर कस्तूरी: मारवाड़ घराने की प्रसिद्ध केसर कस्तूरी भारत की सबसे लोकप्रिय मदिराओं में से एक है, जिसमें पारंपरिक रूप से केसर और हिरण की कस्तूरी के साथ-साथ सूखे फल, जड़ी-बूटियाँ, मेवे, मसाले और दूध और घी के साथ मिश्रित मसाले को डाला जाता है।
हालाँकि शराब पीने वाले लोग इसका सेवन करने के कई कारण बता सकते हैं, लेकिन आपको इसके सेवन से होने वाले नुक़सानों से भी अवश्य परिचित होना चाहिए। वास्तव में शराब का न केवल इसे पीने वाले व्यक्ति को प्रभावित करती है, बल्कि इसके आदि हो चुके व्यक्ति के आस-पास रहने वाले लोगों को भी परेशानी में डाल सकती है।
शराब को मुख्य रूप से सड़क दुर्घटनाओं, हिंसक घटनाओं और कई संबंधित अपराधों का प्राथमिक कारण माना जाता है। अधिक मात्रा में शराब पीने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर पड़ सकता है। साथ ही इसका सेवन करने से आपकी उत्पादकता और आर्थिक विकास भी प्रभावित होता है। शराब पीने का आदि व्यक्ति कर्ज लेने में भी नहीं हिचकता है। अधिक शराब पीने से दूसरों पर निर्भरता, अपमानजनक व्यवहार और व्यक्तिगत संबंधों में भी दरार आ सकती है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत में 57 मिलियन से ज्यादा लोग शराब की लत से जूझ रहे हैं। देश में मानसिक स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी के कारण यह समस्या और भी गंभीर हो गई है।
हालाँकि एक बार लत लग जाने पर शराब छोड़ना भी बहुत कठिन हो सकता है। अकेले भारत में 57 मिलियन से अधिक लोग शराब की लत से जूझ रहे हैं। इससे भी अधिक गंभीर बात यह है कि हमारे देश में पर्याप्त मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी नहीं हैं। लेकिन उक्त सभी समस्याओं से बचने के लिए सरकार द्वारा अगर अचानक शराब पर प्रतिबंध लगा दिया गया, तो इससे भी काफी दिक्कतें हो सकती हैं।
जो लोग शराब पर निर्भर होते हैं वे अक्सर इसे प्राप्त करने और इसका सेवन करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। यदि शराब पर अचानक प्रतिबंध लगा दिया गया, तो इससे आपराधिक गतिविधियों में अचानक से तीव्र वृद्धि देखी जा सकती है। इसका एक उदाहरण अमेरिका में तब देखा गया जब शराब बंदी के बाद वहाँ पर अपराध, हत्याएं और चोरियां बढ़ गईं।
किसी भी वस्तु पर प्रतिबंध लगाने से उसकी काला बाज़ारी भी बहुत अधिक बढ़ जाती है। इसका उदाहरण हमें 1960 से शराबबंदी वाले राज्य गुजरात में देखने को मिलता है। गुजरात के सूरत में प्रतिदिन लगभग 50,000 लीटर शराब की खपत होती है। गुजरात की लगभग 70% ग्रामीण आबादी या तो शराब का सेवन करती है या खुद शराब बनाती है।
हालाँकि इन सभी चुनौतियों के विपरीत सकारात्मक पहलू में, शराब देश की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भारत में राज्य सरकारें शराब की बिक्री से बड़े पैमाने पर राजस्व अर्जित करती हैं। शराब की बिक्री से हमारी अर्थव्यवस्था में 1.75 ट्रिलियन का अतिरिक्त राजस्व जुड़ता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि जीएसटी और मूल्य वर्धित कर (value added Tax) के बाद सबसे अधिक राजस्व शराब की बिक्री से ही जुड़ता है। इसके अलावा शराब का व्यापार, नौकरियां निर्मित करने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में भी योगदान देता है। संक्षेप में समझें तो शराब की लत वाक़ई में कई गंभीर चुनौतियां खड़ी कर सकती है, लेकिन इसपर अचानक प्रतिबंध लगा देने के जटिल परिणाम हो सकते हैं। इसलिए आज विनियमन और शराब की लत से जुड़ी समस्याओं के समाधान के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/2tkck7y5
https://tinyurl.com/ydt266nm
https://tinyurl.com/2auuka74
चित्र संदर्भ
1. शराब प्रतिबंध को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. फेनी की बोतल को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. महुआ के फूलों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. केसर कस्तूरी को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
5. होली पर मदहोश शराबी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
6. शराब प्रतिबंध को संदर्भित करता एक चित्रण (needpix)