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अधिकांशतः लोग अपने भविष्य के विषय में जानने के लिए बहुत उत्सुक रहते हैं। इसके लिए लोग अक्सर किसी ज्योतिषी के पास जाते हैं। ज्योतिषी हाथों की रेखाओं को देखकर और पढ़कर व्यक्तियों के वर्तमान से लेकर भूत और भविष्य तक सब कुछ बताने का प्रयास करते हैं। इतना ही नहीं कई बार तो व्यक्तियों के चेहरे को पढ़कर भी उसका विश्लेषण भी किया जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क्या इंसान का मस्तिष्क भी पढ़ा जा सकता है? तो आइए आज हम इसके बारे में जानते हैं और यह भी समझते हैं कि चेहरे और मस्तिष्क के विकास का आपस में क्या संबंध है? इसके साथ ही यह भी समझते हैं कि इस क्षेत्र में विज्ञान और कृत्रिम बुद्धिमत्ता की क्या भूमिका है?
वास्तव में मनुष्य दूसरों के मस्तिष्क को नहीं पढ़ सकता है, लेकिन व्यक्ति की भावनाओं एवं क्रियाकलापों के आधार पर एक मानसिक मॉडल बना सकता है ताकि लोगों के विचारों और भावनाओं को प्रभावी ढंग से समझा जा सके। इसे सहानुभूतिपूर्ण सटीकता के रूप में भी जाना जाता है, और इसमें किसी अन्य व्यक्ति के शब्दों, भावनाओं और शारीरिक भाषा द्वारा प्रसारित संकेतों को "पढ़ना" शामिल है। अक्सर, मनुष्य अपने ही मन और प्रेरणाओं को समझने में असमर्थ होता है, अजनबियों या रिश्तेदारों, दोस्तों या साझेदारों के मन की तो बात ही छोड़ दें। विज्ञान कथा कहानियों में, आपने अक्सर किसी जादूगर को दूसरे व्यक्तियों का मस्तिष्क पढ़ते हुए देखा होगा। लेकिन वास्तविक दुनिया में, सामने वाले व्यक्ति के मस्तिष्क में क्या चल रहा है, सटीक रूप से यह जानना बेहद मुश्किल है। हालांकि दूसरे क्या सोचते हैं और महसूस करते हैं इसकी स्पष्ट समझ रखने से हमें संघर्ष और गलत संचार से बचने और व्यक्तिगत संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलती है। कभी कभी मस्तिष्क को पढ़ने का अभिप्राय सहानुभूति तत्व से भी ले लिया जाता है। अर्थात स्वयं को किसी और के स्थान पर रखकर दूसरे व्यक्ति के विचारों, भावनाओं और कार्यों को समझना बहुत आसान हो सकता है। जब हम दूसरे लोगों के मस्तिष्क को पढ़ने की कोशिश करते हैं, तो हम उनके चेहरों की ओर देखते हैं। शोध से पता चलता है कि जहां खुश लोगों के चेहरे V आकार के होते हैं, भौहें और मुंह ऊपर की ओर होते हैं, वहीं क्रोधित लोगों के चेहरे अधिक X आकार के होते हैं, भौहें और मुंह नीचे की ओर होते हैं। दूसरों और स्वयं की इस प्रवृत्ति के प्रति सचेत रहने से संचार और समझ में सुधार हो सकता है।
दूसरी तरफ़ बेल्जियम (Belgium) के एक विश्वविद्यालय ‘स्टैनफोर्ड मेडिसिन और केयू ल्यूवेन’ (Stanford Medicine and KU Leuven) के शोधकर्ताओं के एक नए अध्ययन के अनुसार, व्यक्ति के चेहरे और मस्तिष्क का आकार आनुवंशिक रूप से निकटता से जुड़ा होता है। अतः व्यक्ति के चेहरे को देखकर, उसके मस्तिष्क में क्या चल रहा है, इसके बारे में कुछ अंदाजा लगाया जा सकता है। विकासात्मक जीवविज्ञान की प्रोफेसर जोआना वायसोका (Joanna Wysocka) के अनुसार, मानव कपाल में ऐसे लगभग 76 आनुवांशिक क्षेत्र पाए गए हैं जो, मानव चेहरे और मस्तिष्क के आकार दोनों को प्रभावित करते हैं। यह दर्शाता है कि विकास के दौरान ये दोनों संरचनाएं एक-दूसरे को कितनी बारीकी से प्रभावित करती हैं। हालाँकि, शोध के दौरान ऐसा कुछ भी नहीं मिला है जिससे किसी व्यक्ति के चेहरे को देखकर व्यवहार, संज्ञानात्मक कार्य या विखंडित मनस्कता (schizophrenia) जैसे मानसिक विकारों की भविष्यवाणी करना संभव हो। इसका कारण यह है कि ये क्षेत्र उन क्षेत्रों के समान नहीं हैं जो मस्तिष्क की संरचना के उन तरीकों को निर्धारित करते हैं जो संज्ञानात्मक कार्य को प्रभावित करते हैं। यह एक महत्वपूर्ण अंतर है। इससे कुछ हद तक इस धारणा का खंडन होता है कि किसी व्यक्ति की बुद्धिमत्ता उनके चेहरे की विशेषताओं में परिलक्षित होती है - एक ऐसी धारणा जिसका उपयोग नस्लीय और जातीय भेदभाव को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
क्या आप जानते हैं कि अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता की सहायता से मस्तिष्क को पढ़ने में मदद मिल सकती है। मानव मस्तिष्क को समझने के लिए शोधकर्ताओं ने "डीप लर्निंग" (deep learning) एल्गोरिदम विकसित किया है, जो मोटे तौर पर मानव मस्तिष्क पर आधारित है। इसके लिए, उन्होंने एक मॉडल बनाया है कि मस्तिष्क किस प्रकार जानकारी को एनकोड (encode) करता है। इसके लिए तीन महिलाओं पर एक शोध किया गया जिनको एक साथ कई घंटों तक कई लघु चलचित्र दिखाए गए। और एक MRI मशीन से उनके दृश्य कॉर्टेक्स (visual cortex) और मस्तिष्क के अन्य क्षेत्रों की गतिविधियों को मापा गया। चलचित्र देखते समय एल्गोरिदम की अनुमानित गतिविधि को मस्तिष्क के कई क्षेत्रों में वास्तविक गतिविधि से संबंधित पाया गया। इससे वैज्ञानिकों को यह कल्पना करने में भी मदद मिली कि कॉर्टेक्स के प्रत्येक क्षेत्र में कौन सी विशेषताएं संसाधित हो रही थीं। इससे तंत्रिका संकेतों को डिकोड किया गया। एक प्रतिभागी की मस्तिष्क गतिविधि के आधार पर, लगभग 50% सटीकता के साथ भविष्यवाणी की गई कि वह क्या देख रही थी। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि उनके काम से मानसिक कल्पना का पुनर्निर्माण हो सकता है।
संदर्भ
https://shorturl.at/mwEQY
https://shorturl.at/frJQS
https://shorturl.at/hsIJW
चित्र संदर्भ
1. विविध मानव चेहरों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. मानव मष्तिष्क को संदर्भित करता एक चित्रण (GilStories)
3. एक भरतीय के चेहरे को संदर्भित करता एक चित्रण (Look and Learn)
4. चहरे के विविध भावों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. मष्तिष्क के दो पक्षों को संदर्भित करता एक चित्रण (Medium)
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