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लकड़ी को जलाने पर बनने वाले चारकोल को क्यों माना जाता है, एक वैद्यकीय वरदान?

जौनपुर

 11-03-2024 09:21 AM
जंगल

लोग हजारों वर्षों से अनेक प्रयोजनों के लिए, लकड़ी का उपयोग करते आ रहे हैं। लकड़ी के उपयोग के कुछ ज्ञात निर्माण कार्य तो, दस हजार वर्ष पुराने हैं। लेकिन, लकड़ी से बनी एक विशेष चीज चारकोल(Charcoal) या कोयला होती है, जो हमारे शरीर के लिए फायदेमंद मानी जाती है। तो आइए, आज हम लकड़ी के कोयले के बारे में जानते है, और समझते हैं कि, यह कैसे बनता है और इसका उपयोग क्या है। इसके साथ ही, चारकोल और कोयले में अंतर भी समझते हैं। गर्मी प्रदान करने के अलावा अन्य प्रयोजनों के लिए, लकड़ी के कोयले का पहला उपयोग, लगभग 30,000 ईसा पूर्व में हुआ था। तब गुफाओं में रहने वाले लोगों ने गुफाओं की दीवारों पर चित्र बनाने के लिए, रंगद्रव्य के रूप में इसका उपयोग किया था। फिर, 4000 ईसा पूर्व के आसपास एक बड़ी खोज हुई। तब दुर्घटनावश, एक अयस्क का एक टुकड़ा कोयले की आग में गिर गया, इससे धातु रिसने लगा। जब प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले तांबे, जस्ता और टिन ऑक्साइड(Tin oxide) के अयस्कों को चारकोल के साथ गर्म किया जाता है, तो चारकोल में मौजूद कार्बन ऑक्सीजन को प्रतिस्थापित कर लेता है, और शुद्ध धातु पीछे रह जाता है। तांबे को टिन के साथ मिश्रित करने से कांस्य बनता है। कांस्य युग के बाद लौह युग आया, जिसमें लोहे के ऑक्साइड से, चारकोल के साथ लोहे को गलाना शामिल था। वही तकनीक आज भी प्रयोग में है। लेकिन, केवल धातुओं को गलाने के माध्यम से ही कोयले के इतिहास पर प्रभाव नहीं पड़ा है। 9वीं शताब्दी में किसी समय एक चीनी कीमियागर ने पाया था कि, चारकोल को साल्टपीटर (Saltpeter) पोटेशियम नाइट्रेट (Potassium nitrate) और सल्फर(Sulphur) के साथ मिलाने से एक ऐसा मिश्रण तैयार होता है, जो आसानी से जलता है। लगभग 1500 ईसा पूर्व, मिस्र(Egypt) के पपीरी(Papyri) ने, घावों से दुर्गंध को खत्म करने के लिए चारकोल के उपयोग को दर्ज किया था, जो चारकोल के चिकित्सा अनुप्रयोग का पहला उल्लेख था। फिर बाद में, चीनी शोधन उद्योग के तेजी से विकास के कारण, इससे अशुद्धियों को बेहतर सोखने में कारगर गुणों वाले, चारकोल की खोज हुई। और परिणामस्वरूप, “सक्रिय(Active)” चारकोल का विकास हुआ, जिसे आज हम “सक्रिय कार्बन(Activated carbon)” कहते है। दरअसल, कार्बन के लकड़ी जैसे प्राकृतिक स्रोतों को अत्यधिक गर्म करने से, सक्रिय चारकोल बनता है। आइए, अब इसके फायदे जानते हैं।
1. सक्रिय चारकोल का पाउडर हमारे शरीर से, विषाक्त पदार्थों को पेट में बांधकर एवं सोखकर, हमारे रक्त में अवशोषित होने से रोकता है। और चूंकि, हमारा शरीर कोयले को अवशोषित करने में असमर्थ है, इसलिए कोयले से जुड़े विषाक्त पदार्थ शरीर से मल के माध्यम से निकल जाते हैं। सक्रिय चारकोल अपचित विषाक्त पदार्थों और दवाओं को फ़िल्टर करके गुर्दों के कार्य में सहायता करने में भी सक्षम हो सकता है।
2. हमारी आंत में फंसे तरल पदार्थ और गैसें सक्रिय चारकोल में मौजूद, लाखों छोटे छिद्रों से आसानी से गुजर सकते हैं, और इससे वे बेअसर हो जाते हैं।
3. लंबे समय से लोग सक्रिय चारकोल का उपयोग प्राकृतिक जल फिल्टर (Filter) या निस्पंदन के रूप में करते आ रहे हैं। जैसा कि, यह हमारी आंतों और पेट में काम करता है, सक्रिय चारकोल पानी में पाए जाने वाले विषाक्त पदार्थों, दवाओं, वायरस (Virus), बैक्टीरिया (Bacteria), कवक और रसायनों को भी अवशोषित कर सकता है।
4. अधिक मात्रा और विषाक्तता में जठरांत्र अवशोषक के रूप में, इसके उपयोग को देखते हुए, यह निष्कर्ष निकलता है कि, कुछ लोग दस्त के इलाज के रूप में भी सक्रिय चारकोल का प्रस्ताव कर सकते हैं।
5. हमारे दांतों से गंदगी साफ करते हुए, उन्हें अधिक सफेद बनाने वाले दर्जनों उत्पादों में, सक्रिय चारकोल होता है।
6.शोधकर्ताओं ने बताया है कि, सक्रिय चारकोल हमारी त्वचा से गंदगी, धूल, रसायन, विषाक्त पदार्थ और बैक्टीरिया जैसे सूक्ष्म कणों को खींचने में मदद कर सकता है, जिससे उन्हें त्वचा से निकालना आसान हो जाता है। दुनिया भर में, कई अलग-अलग पारंपरिक चिकित्सा चिकित्सक, त्वचा संक्रमण जैसी कोमल ऊतकों की स्थितियों के इलाज के लिए, नारियल के छिलके से बने सक्रिय चारकोल पाउडर का उपयोग करते हैं। इसके अलावा,
7.सक्रिय चारकोल घावों से हानिकारक रोगाणुओं को अवशोषित करके जीवाणुरोधी प्रभाव भी डाल सकता है। हमनें कोयले एवं चारकोल के बारे में बात तो कर ली, पर क्या आप इन दोनों के बीच के मुख्य अंतर को जानते हैं? दरअसल, कोयला और चारकोल दोनों जले हुए कार्बनिक पदार्थों के उपोत्पाद हैं। लेकिन, उनकी संरचना, गुणवत्ता और उपयोग में थोड़ी भिन्नता है। कोयला एक जीवाश्म ईंधन है, जो तीव्र गर्मी और दबाव के माध्यम से लाखों वर्षों में बनता है, जबकि, चारकोल कार्बन का एक शुद्ध रूप है, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में लकड़ी जलाने से बनता है। चारकोल अधिक हल्का होता है, इसमें कार्बन की मात्रा अधिक होती है। दूसरी ओर, कोयला भारी होता है। जबकि, चारकोल वाकई में ही, एक वरदान है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/2amh3jt9
http://tinyurl.com/5yym5eny
http://tinyurl.com/3td9emk2

चित्र संदर्भ
1. जलते हुए कोयले को संदर्भित करता एक चित्रण (wallpaperflare)
2. माइक्रोस्कोप के नीचे चारकोल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जलते हुए चारकोल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. ठन्डे कोयले को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. नारियल के खोल से बने ग्रिल चारकोल को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



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