Post Viewership from Post Date to 25-Mar-2024
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2121 227 2348

***Scroll down to the bottom of the page for above post viewership metric definitions

भारत के कुछ सबसे पुराने और लोकप्रिय सर्कस आज कहाँ खो गए हैं?

जौनपुर

 23-02-2024 09:25 AM
द्रिश्य 2- अभिनय कला

आधुनिक समय में तकनीक के आगमन के बाद “सर्कस (Circus)” की चमक-धमक फीकी पड़ गई है, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था। एक समय ऐसा भी था, जब सर्कस, इंसानों के मनोरंजन का सबसे प्रमुख साधन हुआ करते थे। भारत में विशेषतौर पर सर्कस, अपने समय के सबसे शानदार कला रूपों में से एक माने जाते हैं। हालांकि क्या आप जानते हैं कि विदेशों में भारतीय सर्कस की छवि नकारात्मक बनी हुई है। विदेशी लोगों में यह धारणा बनी हुई है कि, कुछ सर्कस मालिक छोटे बच्चों का अपहरण कर लेते हैं या उन्हें खरीद लेते हैं और उनसे गुलामों की तरह काम कराते हैं। इस दौरान बच्चों को बहुत कठिन प्रशिक्षण लेना पड़ता है और मालिक के लाभ के लिए शो अर्थात मंचन करना पड़ता है। ऐसा सुनना वाकई में दुखद प्रतीत होता है। भारतीय सर्कस उद्योग को अक्सर पुराना और आधुनिक दुनिया के अनुकूल नहीं माना जाता है। यह धारणा आंशिक रूप से भारत के सर्कस उद्योग की गुप्त प्रकृति के कारण उपजी है, क्योंकि भारत के सर्कसों में कलाबाजों और जानवरों के प्रशिक्षण को पूरी तरह से गुप्त रखा जाता है। भारत में सर्कस की परंपरा 19वीं सदी के अंत से चली आ रही है। 1770 में "आधुनिक सर्कस का जनक" माने जाने वाले फिलिप एस्टले (Philip Astley) द्वारा स्थापित कला रूप की परिभाषा के अनुसार, पहला भारतीय सर्कस 1880 में महाराष्ट्र के घुड़सवारी मास्टर और गायन शिक्षक “विष्णुपंत छत्रे” द्वारा शुरू किया गया था। छत्रे को अपना खुद का सर्कस शुरू करने की प्रेरणा बॉम्बे (मुंबई) में रॉयल इटालियन सर्कस (Royal Italian Circus) का प्रदर्शन देखने के बाद मिली। हालांकि उस समय के इटालियन निर्देशक द्वारा यह कह दिया गया कि “भारत अपने खुद के सर्कस के लिए तैयार नहीं है।” लेकिन इसके बावजूद छत्रे ने इटालियन निर्देशक को गलत साबित करने की ठान ली। उन्होंने अपना खुद का “ग्रेट इंडियन सर्कस (Great Indian Circus)” स्थापित किया, जिसमें खुद को स्टार घुड़सवार (Star Horseman) और अपनी पत्नी को ट्रैपेज़ कलाकार (Trapeze Artist) और पशु प्रशिक्षक के रूप में शामिल किया। छत्रे के ग्रेट इंडियन सर्कस का पहला प्रदर्शन 20 मार्च, 1880 को आयोजित किया गया था। 1884 में, वह दक्षिण पूर्व एशिया के दौरे पर निकले और भारतीय सर्कस विद्या के अनुसार, अमेरिकी बाज़ार में सेंध लगाने का प्रयास किया। हालाँकि, वह बड़े अमेरिकी सर्कसों से प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ रहे और वापस भारत लौट आये। विष्णुपंत मोरेश्वर छत्रे की कंपनी, ग्रेट इंडियन सर्कस, भारत में अपनी तरह की पहली कंपनी थी। जब 1887 में ग्रेट इंडियन सर्कस ने थालास्सेरी, केरल का दौरा किया, तो छत्रे की मुलाकात कीलेरी कुन्हिकन्नन नामक एक मार्शल आर्ट प्रशिक्षक (Martial Arts Instructor) से हुई। इस यात्रा के दौरान, उन्होंने एक समझौता किया, जिसके तहत कुन्हिकन्नन को लोगों को सर्कस के लिए प्रशिक्षित करना था और छत्रे उन लोगों को काम पर रखेंगे। इस समझौते के कारण भारत में पहली सर्कस अकादमी का निर्माण हुआ। छत्रे के ग्रेट इंडियन सर्कस ने भारत के विभिन्न हिस्सों सहित अन्य देशों का भी दौरा किया। अंततः, उन्होंने अपनी सर्कस कंपनी का अपने चचेरे भाई की कंपनी के साथ विलय करके कार्लेकर ग्रैंड सर्कस (Karlkar Grand Circus) बनाया, जो 1935 तक चला। इस पहली सफलता के बाद भारत के सर्कस उद्योग ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
चलिए अब भारत के कुछ शीर्ष सर्कस के बारे में संक्षेप में जानते हैं:
1. ग्रेट बॉम्बे सर्कस (Great Bombay Circus): ग्रेट बॉम्बे सर्कस की शुरुआत 1920 में हुई थी। यह अपने बहादुर कलाबाजों, कुशल बाजीगरों और प्रभावशाली पशु चालित के लिए जाना जाता है।
2. जेमिनी सर्कस (Gemini Circus): ये सर्कस भी काफी मशहूर है। इसकी शुरुआत 1951 में हुई थी। इसमें हाथी, घोड़े और बाघ जैसे जानवर हैं, जो अद्भुत प्रदर्शन करते हैं। इसमें ऐसे लोग भी हैं जो करतब दिखाने, फ़्लिप करने और हवाई करतब करने में काफी अच्छे हैं।
3. रेम्बो सर्कस (Rambo Circus): यह सर्कस बहुत लोकप्रिय है। इसकी शुरुआत 1991 में हुई थी। इसमें ऐसे कलाकार हैं, जो शानदार फ्लिप, करतब दिखाते हैं और आग से भी खेलते हैं। इसमें ऐसे जानवर भी हैं जो अद्भुत कलाबाजियां करते हैं। इसमें अजीब जोकर भी हैं।
4. राज कमल सर्कस: यह सर्कस बहुत मशहूर है। इसकी शुरुआत 1975 में हुई थी। इसमें ऐसे लोग हैं जो फ़्लिप, करतब दिखाते हैं और हवा में उड़ते हैं। इसमें हाथी, बाघ और शेर जैसे जानवर भी हैं जो अद्भुत प्रदर्शन करते हैं।
5.जंबो सर्कस (Jumbo Circus): ये सर्कस भी काफी मशहूर है। इसकी शुरुआत 1989 में हुई थी। इसमें ऐसे लोग हैं जो फ्लिप, करतब और बाजीगरी करते हैं। इसमें घोड़े, ऊँट और हाथी जैसे जानवर भी हैं जो अद्भुत काम करते हैं। 6. ग्रेट रॉयल सर्कस (Great Royal Circus): यह सर्कस बहुत मशहूर है। इसकी शुरुआत 1976 में हुई थी। इसमें कई तरह के एक्ट प्रदर्शित किये जाते हैं। इसमें ऐसे लोग हैं जो हवा में उड़ते हैं, आग खाते हैं और करतब दिखाते हैं। इसमें भी शेर, बाघ और हाथी जैसे जानवर हैं, जो अद्भुत कलाबाजियां करते हैं।
7. एम्पायर सर्कस (Empire Circus): यह सर्कस बहुत पुराना है। इसकी शुरुआत 1880 में हुई थी। इसमें बेहतरीन कलाकार और अद्भुत पशु शो होते हैं। इसमें अजीब जोकर और उड़ने वाले कलाकार भी हैं।
8. ग्रेट गोल्डन सर्कस (Great Golden Circus): यह सर्कस बहुत मशहूर है। इसमें इथियोपिया, चीन और रूस जैसे विभिन्न देशों के कलाकार भी हैं। यह शेर, बाघ और हाथी शो के लिए प्रसिद्ध है।
9. ग्रेट रेमन सर्कस और अमर सर्कस (Great Ramon Circus And Amar Circus): यह सर्कस भारत के सबसे पहले सर्कसों में से एक है। इसकी शुरुआत 1920 में कल्लन गोपालन ने की थी, जो एक महान सर्कस कलाकार थे। उन्होंने कई अन्य सर्कस भी बनाए। उन्होंने 1960 के दशक में अमर सर्कस बनाया था। यह आज भी के. पी. हेमराज द्वारा चलाया जा रहा है।
ये सभी भारत के कुछ सबसे पुराने और बेहतरीन सर्कस हैं, जो लंबे समय से भारतीय लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। हालांकि आधुनिक भारत में सर्कस तेजी से लुप्त हो रहे हैं। आज से दो दशक पहले जहां भारत में 300 से अधिक सर्कस थे, वहीँ आज उनमें से केवल मुट्ठी भर ही बचे हैं। इन सर्कसों को चलाने वाले लोगों का मानना है कि जल्द ही सर्कस के आयोजन के लिए भी कोई जगह नहीं बचेगी।
ऐसा इसलिए हो रहा है, क्यों कि:

1. भारत में सर्कस कंपनियां अपने व्यवसाय के तौर-तरीकों को गुप्त रखती हैं। इससे नए और संभावित रूप से अधिक कुशल लोगों के लिए इसमें शामिल होना कठिन हो जाता है।
2. सर्कस कौशल के लिए छोटी उम्र से ही बहुत अधिक प्रशिक्षण की आवश्यकता होती है। पहले के समय में, 10 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को सर्कस कलाकार बनने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। लेकिन जब से सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बाल श्रम पर प्रतिबंध लगाया है, तब से सर्कस कलाकारों को ढूंढने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
3. सरकार ने 1997 में शो में जंगली जानवरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया, जो दर्शकों के लिए एक बड़ा आकर्षण था। यह एक और कारण है कि सर्कस अब कम लोकप्रिय हो गए हैं।
4. टीवी और ऑनलाइन मनोरंजन के उदय के साथ, सर्कस अब पहले की तरह रोमांचक नहीं रहे हैं। करतब दिखाने, कलाबाजी, जिम्नास्टिक (Gymnastics) और हवाई करतब जैसे कई कार्य जो खासतौर पर सर्कस में ही आयोजित हुआ करते थे, अब टीवी पर देखे जा सकते हैं।
5. भारतीय परिवार सर्कस को एक जोखिम भरा काम मानते हैं और अक्सर अपने बच्चों को इसे करियर के रूप में चुनने नहीं देते हैं।
6. सर्कस कलाकार आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं। उसके बाद, उन्हें अक्सर शारीरिक श्रम करना पड़ता है। नौकरी की सुरक्षा की यह कमी लोगों को सर्कस में शामिल होने से हतोत्साहित करती है।

संदर्भ
http://tinyurl.com/bdfaayee
http://tinyurl.com/yc2a6d46
http://tinyurl.com/447627v2
http://tinyurl.com/3hkpu76w

चित्र संदर्भ
1. जंबो सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr, needpix)
2. सर्कस में हाथियों की कलाबाज़ियों को संदर्भित करता एक चित्रण (Rawpixel)
3. विष्णुपंत छत्रे को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
4. सर्कस में कलाबाज़िया करती महिलाओं को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. ग्रेट बॉम्बे सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
6. जेमिनी सर्कस के पोस्टर को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
7. रेम्बो सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
8. राज कमल सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
9. जंबो सर्कस के पोस्टर को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
10. ग्रेट रॉयल सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
11.बिना दर्शकों वाले सर्कस को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)



***Definitions of the post viewership metrics on top of the page:
A. City Subscribers (FB + App) -This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post. Do note that any Prarang subscribers who visited this post from outside (Pin-Code range) the city OR did not login to their Facebook account during this time, are NOT included in this total.
B. Website (Google + Direct) -This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership —This is the Sum of all Subscribers(FB+App), Website(Google+Direct), Email and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion ( Day 31 or 32) of One Month from the day of posting. The numbers displayed are indicative of the cumulative count of each metric at the end of 5 DAYS or a FULL MONTH, from the day of Posting to respective hyper-local Prarang subscribers, in the city.

RECENT POST

  • विश्व में प्राचीन काल से है, श्री गणेश की छवियों, प्रतीकों व मूर्तियों की उपस्थिति
    विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

     07-09-2024 09:12 AM


  • बीटन, बोर्क वाइट, ब्रेसन व मैककरी जैसे विदेशी फ़ोटोग्राफ़रस् ने किया है भारत का चित्रण
    द्रिश्य 1 लेंस/तस्वीर उतारना

     06-09-2024 09:16 AM


  • स्मार्ट शहर,नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में किस प्रकार के सुधार करते हैं ?
    नगरीकरण- शहर व शक्ति

     05-09-2024 09:26 AM


  • लौकी शिल्पकला के माध्यम से बनाए जाते हैं लौकी के सुंदर आभूषण
    म्रिदभाण्ड से काँच व आभूषण

     04-09-2024 09:10 AM


  • प्राचीन काल से लेकर आधुनिक भारत तक कितनी बार बदली पुलिस की कार्यशैली?
    आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक

     03-09-2024 09:18 AM


  • हमारे बोलचाल की भाषा – हिंदी, अपनी देवनागरी लिपि के कारण बनती है, अनूठी
    ध्वनि 2- भाषायें

     02-09-2024 09:04 AM


  • आइए, जानें, एनिमे और कार्टून के बीच क्या है, मुख्य अंतर
    द्रिश्य 3 कला व सौन्दर्य

     01-09-2024 09:15 AM


  • आज जानें, नकदी फ़सलों की कृषि के लाभों एवं हानियों के बारे में
    भूमि प्रकार (खेतिहर व बंजर)

     31-08-2024 09:11 AM


  • इंसानों की तुलना में, 1,000 से 10,000 गुना बेहतर होती है कुकुरों की सूंघने की क्षमता
    व्यवहारिक

     30-08-2024 09:11 AM


  • भारत के कई धर्मों में वर्णन मिलता है इन जीवनदायी वृक्षों का
    पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें

     29-08-2024 09:32 AM






  • © - 2017 All content on this website, such as text, graphics, logos, button icons, software, images and its selection, arrangement, presentation & overall design, is the property of Indoeuropeans India Pvt. Ltd. and protected by international copyright laws.

    login_user_id