जौनपुर अपने में एक अलग जहान है। गोमती नदी के तट पर बसा यह शहर अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ सांस्कृतिक धरोहर के लिए भी प्रसिद्ध है। शर्कीयों की राजधानी रह चुका जौनपुर मध्यकालीन योजनाबद्ध शहरों में से एक है। मान्यता है कि जौनपुर की स्थापना 14वीं शताब्दी में फिरोज़शाह ने अपने चचेरे भाई सुल्तान मुहम्मद की याद में की थी। सुल्तान मुहम्मद का असल नाम जौना खान था। इसी कारण इस शहर का नाम जौनपुर रखा गया। मलिक सरवर ने यहाँ पर शर्की सल्तनत की शुरुवात की।
इतिहास के साक्ष्य देते हुए आज जौनपुर में कई इमारतें खड़ी हैं जैसे मस्जिद, किला, मंदिर आदि। इस धरोहर को संरक्षित कर विरासत पर्यटन में जौनपुर को विकसित करने का प्रस्ताव रखा गया था जिससे यहाँ के लोगों को आमदनी का एक जरिया मिल जाता एवं सुविधाओं में इजाफा होता लेकिन आज इस प्रस्ताव का कोई ठिकाना नहीं है।
धरोहर को संरक्षित रखने का एक और जरिया विशेषज्ञ बताते हैं जो है इन विरासत स्थलों का आधिकारिक अनुकूली पुनः प्रयोग जिसमें इन इमारतों का उनकी विरासत को सहेजे रख कर उपयोग होता रहे। इस तरीके से विरासत सुरक्षित रहती है लेकिन इसमें उस इमारत में कोई भी बदलाव करने से पहले या मरम्मत करने से पहले विशेषज्ञों से मान्यता लेना अत्यंत आवश्यक है। भारत में लेकिन एक प्रथा है जिसमें धर्म स्थल सालों-साल इस्तेमाल में रहते हैं। कभी-कभी इन्हें तोड़ कर नया बनाया जाता है मगर कुछ धर्म स्थल इतने खूबसूरत और प्राचीन होते हैं कि उन्हें उसी रूप में रख कर पूजा जाता है।
जौनपुर में बहुतायता से सभी मंदिर और मस्जिद जो इस्तेमाल में हैं वो आज भी उसी ऐतिहासिक रूप में ही हैं। सुल्तान मुहम्मद शर्की की बेगम ने लाल दरवाज़ा मस्जिद बनवाई थी जहाँ पर उसने एक मदरसा भी बनवाया। यह मदरसा जिसे जामिया हुसैनिया कहा जाता है आज भी मौजूद और कार्यरत है।
अगर सरकार यहाँ की विरासत को संरक्षित कर इसका उपयोग विभिन्न रूप से करे तो जौनपुर की यह ढहती विरासत लोगों को रोजगार और सुविधाएँ भी प्रदान करे और चैन की सांस भी ले।
1. जौनपुर का गौरवशाली इतिहास- डॉ. सत्य नारायण दुबे ‘शरतेन्दु’
2. http://cpwd.gov.in/Publication/ConservationHertBuildings.pdf
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