सरस्वती पूजा के दिन पीले रंग का महत्व, साथ ही जानें चार बांस चौबीस गज का क़िस्सा

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
14-02-2024 08:18 AM
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सरस्वती पूजा के दिन पीले रंग का महत्व, साथ ही जानें चार बांस चौबीस गज का क़िस्सा

वसंत ऋतु आते ही प्रकृति का कण-कण खिल उठता है। मानव तो क्या पशु-पक्षी तक उल्लास से भर जाते हैं। हर दिन एक नयी उमंग के साथ सूर्योदय होता है और नयी चेतना प्रदान कर अस्‍त हो जाता है । वसंत ऋतु के आगमन में मनाया जाने वाला त्‍यौहार बसंत पंचमी भारत के जीवंत भारतीय त्योहारों में से एक है। यह त्योहार सर्दियों के समापन और वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। इस दिन मां सरस्‍वती की पूजा की जाती है, मां सरस्‍वती को ज्ञान, कला और संगीत की देवी माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस त्योहार में पीले रंग को इतना महत्‍व क्‍यों दिया जाता है, क्‍यों लोग इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं? आइए जानते हैं बसंत पंचमी पर पीले रंग को पहनने के महत्व को और इस दिन का सूर्य से क्‍या संबंध है यह भी समझें। पीला रंग हिंदू धर्म में एक शुभ रंग माना जाता है और वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा के दौरान इसका विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि मां सरस्वती का पसंदीदा रंग पीला है। इसलिए, उनके सम्मान में उनकी मूर्तियों को पारंपरिक पीले कपड़े, आभूषण और फूल पहनाए जाते हैं। यहां तक कि देवी सरस्वती को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद भी पीले रंग का होता है। पीला रंग ज्ञान, समझ और बुद्धिमत्ता का रंग है, ये सभी माता सरस्‍वती से जुड़े हुए हैं। यह भी माना जाता है कि यह वसंत के रंग का प्रतिनिधित्व करता है। इस दिन सूर्य उत्तरायण में होता है और इसकी पीली रोशनी प्रकृति में खुशियों की मध्‍यम किरणों को प्रसारित करती है, जो हमें जीवन में सूर्य की तरह चमकने का संदेश देती है। गेंदा, रात्रि चमेली, पीली लिली, डैफोडील्स (Daffodils), पीली जलकुंभी और फोर्सिथिया (forsythia) जैसे कई पीले फूल वसंत ऋतु के दौरान खिलते हैं। बसंत पंचमी में पीले रंग की लोकप्रियता का एक कारण यह भी है। इस दौरान पीले फूलों से लदालद सरसों खेतों में लहराती है, इस त्‍यौहार को पकी सरसों की फसल का आनंद लेने के लिए भी मनाया जाता है। ये पीले फूल मां सरस्वती को अर्पित किए जाते हैं।
पौराणिक महत्व: यह पर्व हमें अतीत की अनेक प्रेरक घटनाओं की भी याद दिलाता है। सर्वप्रथम तो यह हमें त्रेता युग से जोड़ता है। सीता हरण के बाद राम जी उनकी खोज में दक्षिण की ओर जाते हैं। इसमें जिन स्थानों पर वे गये, उनमें से एक दण्डकारण्य भी था। यहीं शबरी नामक भीलनी रहती थी। जब राम जी उसकी कुटिया में पधारे, तो वह सुध-बुध खो बैठी और चख-चखकर मीठे बेर राम जी को खिलाने लगी। प्रेम में पगे जूठे बेरों वाली इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने ढंग से प्रस्तुत किया। दंडकारण्य का क्षेत्र आज गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला हुआ है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां शबरी मां का आश्रम था। वसंत पंचमी के दिन ही रामचंद्र जी वहां आये थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शिला को पूजते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रध्दा है कि श्रीराम आकर यहीं बैठे थे। वहां शबरी माता का मंदिर भी है। वसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाता है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद ग़ोरी को 16 बार पराजित किया और उदारता दिखाते हुए हर बार जीवित छोड़ दिया, पर जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए, तो मोहम्मद ग़ोरी ने उन्हें नहीं छोड़ा। वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दीं। इसके बाद की घटना तो जगप्रसिद्ध ही है। मोहम्मद ग़ोरी ने मृत्युदंड देने से पूर्व उनके शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर ग़ोरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया। तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया।
चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमाण।
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान ॥

पृथ्वीराज चौहान ने इस बार भूल नहीं की। उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा, वह मोहम्मद ग़ोरी के सीने में जा धंसा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भौंककर आत्मबलिदान दे दिया। सन (1192 ई) में यह घटना भी वसंत पंचमी वाले दिन ही हुई थी। सिख समुदाय के बीच भी बसंत पंचमी का दिन विशेषतौर पर महत्वपूर्ण होता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिन्द सिंह जी का विवाह हुआ था।सिखों के लिए बसंत पंचमी के दिन का बहुत महत्व है। बसंत पंचमी के दिन इलाहाबाद के राजा ऐला द्वारा मंदिर की स्थापना की गयी थी और इस दिन को सूर्य-देव भगवान के जन्‍मदिवस के रूप में मनाया जाता है। बसंत पंचमी पर मूर्तियों को धोया जाता है और उन्‍हें पहनाए गए पुराने लाल वस्‍त्र को उतारकर नए वस्‍त्र पहनाए जाते हैं। भक्त गाते हैं, नृत्य करते हैं और संगीत वाद्ययंत्र बजाते हैं।

संदर्भ:
https://shortur.।at/bloY2
https://shortur.।at/jILMP
https://shortur.।at/mzE39

चित्र संदर्भ
1. बसंत पंचमी के पूजा आयोजन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. सरसों के खेत को संदर्भित करता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
3. शबरी को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
4. पृथ्वीराज चौहान को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)