
जौनपुर शहर की नीव का श्रेय फिरोज शाह तुगलक को जाता है उसने ही सर्वप्रथम यहाँ पर गोमती नदी के किनारे जौनपुर के शाही किले का निर्माण करवाया था। तुगलक वंश के बाद जौनपुर पर शर्कियों के प्रभुसत्ता का आगमन हुआ, यह वह दौर था जब जौनपुर विश्व के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक बन कर सामने आया था। जौनपुर पर लोदियों का आक्रमण जौनपुर के लिए काले दिवस से कम नहीं है जब उन्होंने जौनपुर के सभी प्रमुख महलों मस्जिदों आदि को तोड़ दिया था। कालांतर में जौनपुर शहर को मुग़ल राजा अकबर ने बसाया था और इसका नाम मुगलों के काल में ही शिराज ए हिन्द पड़ा था। जौनपुर पर बाद में अंग्रेजों का शासन आ गया जिसके चलते यहाँ पर बड़े पैमाने पर व्यापार आदि होने लगा। 1857 की क्रांति में जौनपुर शहर का एक प्रमुख योगदान था जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। आजादी के बाद से जौनपुर शहर जिले का मुख्यालय बना और आज भी यहाँ से ही जौनपुर जिले भर की गतिविधियों को देखा व समझा जाता है।