आज जौनपुर जानेगा, भारत की मछली उत्पादन क्षमता और उससे संबंधित कुछ महत्वपूर्ण आंकड़ों को

मछलियाँ व उभयचर
29-04-2025 09:18 AM
आज जौनपुर जानेगा, भारत की मछली उत्पादन क्षमता और उससे संबंधित कुछ  महत्वपूर्ण आंकड़ों को

हमारा शहर जौनपुर, गोमती नदी से निकटता के साथ, अंतर्देशीय मत्स्य पालन के लिए अप्रयुक्त क्षमता रखता है। यह कहते हुए हम आपको बता दें कि, भारत विश्व स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा मछली-उत्पादक देश है। देश में वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 175.45 लाख टन मछली उत्पादन हुआ है, जिसमें अंतर्देशीय और समुद्री मछली क्षेत्र शामिल हैं। भारत वैश्विक मछली उत्पादन में लगभग 8% योगदान देता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में, भारत ने 17,81,602 मेट्रिक टन समुद्री भोजन का निर्यात किया, जिसका मूल्य, 60,523.89 करोड़ रुपए है। इसलिए आज, हम भारत में मछली उत्पादन की वर्तमान स्थिति का पता लगाएंगे। उसके बाद, हम भारत के समुद्री भोजन निर्यात के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इसके अलावा, हम अपने देश के मत्स्य पालन क्षेत्र के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों पर भी चर्चा करेंगे। जबकि अंत में, हम देश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए, हालिया वर्षों में किए गए कुछ उपायों और पहलों के बारे में जानेंगे।

भारत में मछली उत्पादन की वर्तमान स्थिति:

1.भारत, दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है, और चीन (China) के बाद दूसरा सबसे बड़ा जलीय कृषि उत्पाद उत्पादक है।

2.चीन का मछली उत्पादन में प्रथम स्थान है, और फिर इंडोनेशिया (Indonesia) दूसरे स्थान पर है।

3.भारत ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में, 175.45 लाख टन का मछली उत्पादन किया है, जो वैश्विक उत्पादन का 8% है।

4.यह देश के सकल मूल्य वर्धित में लगभग 1.09% और कृषि सकल मूल्य वर्धित में 6.72% से अधिक का योगदान देता है। 

5.यह क्षेत्र, देश में 28 मिलियन से अधिक लोगों की आजीविका का भी समर्थन करता है।

वेल्लायिल में मछली पकड़ने का बंदरगाह | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत के समुद्री भोजन निर्यात की खोज:

2023-24 के दौरान सबसे अधिक निर्यात, जमे हुए झींगों का था, जिसका कुल वज़न 7,16,004 मेट्रिक टन था। संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) इसका सबसे बड़ा बाज़ार है, और 2,97,571 मेट्रिक टन झींगों का आयात करता है। इसके बाद क्रमशः चीन (1,48,483 मेट्रिक टन), यूरोपीय संघ (89,697 मेट्रिक टन), दक्षिण पूर्व एशिया (52,254 मेट्रिक टन), जापान (35,906 मेट्रिक टन) और मध्य पूर्व (28,571 मेट्रिक टन), का स्थान आता है।

जमी हुई मछलियां, दूसरी सबसे अधिक निर्यात की गई जलीय खाद्य वस्तु है, जिसका मूल्य 5,509.69 करोड़ रुपए है। मात्रा में ये 21.42% योगदान देती है। 2024 में मछलियों की निर्यात मात्रा में 3.54% और मूल्य में 0.12% वृद्धि हुई थी। छठे स्थान पर, कटलफ़िश का निर्यात किया गया था, जिसकी मात्रा 54,316 मेट्रिक टन एवं  मूल्य 2252.63 करोड़ रुपए था । 

भारत के लिए प्रमुख समुद्री भोजन निर्यात बाज़ार:

विदेशी बाज़ारों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, मूल्य के संदर्भ में भारतीय समुद्री भोजन का प्रमुख आयातक बना रहा, जिसमें 2,549.15 मिलियन डॉलर का आयात मूल्य शामिल है। चीन –  हॉंगकॉंग (Hongkong) और ताइवान (Taiwan) को छोड़कर – भारत के लिए दूसरा सबसे बड़ा समुद्री भोजन निर्यात गंतव्य था, जिसकी आयात मात्रा, 4,51,363 मेट्रिक टन थी एवं  मूल्य, 1,384.89 मिलियन अमेरिकी डॉलर  था ।

जापान (Japan) हमारे लिए तीसरा सबसे बड़ा आयातक है, जिसकी वज़न मात्रा में 6.06% की हिस्सेदारी और यूएस डॉलर मूल्य में 5.42% हिस्सेदारी है। जमे हुए झींगे जापान को निर्यात की गई प्रमुख समुद्री भोजन वस्तु बनी रही, जिसकी मात्रा में 33.26% और मूल्य में 65.94% हिस्सेदारी थी। दूसरी ओर, वियतनाम (Vietnam) हमारे लिए चौथा सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार था।

कोच्चि में केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियां: 

•वित्तीय पहुंच का अभाव: कई मछुआरे अपर्याप्त वित्तीय सहायता, सीमित उत्पादकता और आधुनिक मछली पकड़ने की प्रथाओं के कारण, उन्नत उपकरण प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करते हैं।

•जल प्रदूषण: नदियों, झीलों और तटीय क्षेत्रों जैसे जल निकायों में प्रदूषण, जलीय पारिस्थितिक तंत्र और मत्स्य पालन की स्थिरता को खतरे में डालता है।

•सिकुड़ते मछली फ़ार्मिंग क्षेत्र: शहरीकरण, औद्योगीकरण और जनसंख्या वृद्धि के कारण, मछली पालन खेती के लिए पहले इस्तेमाल किए जाने वाले धान के खेतों में आई कमी के कारण, जलीय कृषि के लिए जगह कम कर दी।

•मानसून अप्रत्याशितता: अप्रत्याशित मानसून पानी के स्तर में उतार-चढ़ाव का कारण बनकर, अंतर्देशीय मत्स्य पालन को प्रभावित करता है, जिससे कुछ मौसमों के दौरान मछलियों की खराब पैदावार होती है।

•बुनियादी ढांचे की कमी: खराब विपणन, भंडारण और परिवहन सुविधाएं, मछलियों के कुशल वितरण और बिक्री को रोकती हैं, तथा इस क्षेत्र की वृद्धि और लाभप्रदता को सीमित करती हैं।

•अपर्याप्त अनुसंधान और विस्तार सेवाएं: सीमित अनुसंधान और कमज़ोर विस्तार सेवाएं, मत्स्य उद्योग के भीतर नई प्रौद्योगिकियों और स्थायी प्रथाओं को अपनाने में बाधा डालती हैं।

मछली फार्म | चित्र स्रोत : Wikimedia 

भारत में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए की गई पहलें:

•प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana (PMMSY)): 

जलीय कृषि उत्पादकता को बढ़ाना, मत्स्य प्रबंधन में सुधार, एकीकृत  एक्वापार्कों (Aquaparks) की स्थापना, आदि इस योजना के महत्वपूर्ण लक्ष्य है। इसकी उप-योजना – ‘प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजाना’ का उद्देश्य, वित्तीय और तकनीकी हस्तक्षेपों के माध्यम से, कमज़ोरियों को संबोधित करना है।

•नील क्रांति योजना (Blue Revolution Scheme): 

इसमें समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन के विकास और प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण शामिल है।

•मत्स्य पालन और जलीय कृषि ढांचा विकास निधि (Fisheries and Aquaculture Infrastructure Development Fund): 

इस निधि से समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य पालन में, बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए धन प्रदान किया जाता है।

•राष्ट्रीय समुद्री मत्स्य नीति (National Marine Fisheries Policy, 2017): 

यह योजना भारत के समुद्री मत्स्य संसाधनों के संरक्षण और प्रबंधन में मार्गदर्शन करती है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/yc3ypybs

https://tinyurl.com/bdfrp6n7

https://tinyurl.com/5yuzu64r

https://tinyurl.com/3h4f4bzd

मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia 

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