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रामपुर के कई घरों, कार्यालयों और दुकानों में एक्वेरियम (Aquarium) या मछलीघर होते हैं, जो उन स्थानों में आकर्षण और शांति जोड़ते हैं। इन टैंकों में गोल्डफ़िश (Goldfish), बार्ब (Barb), क्लाउनफ़िश (Clownfish), आदि मछलियां होती हैं, जो वास्तव में सजावटी मछली (Ornamental Fish) प्रजातियां हैं। इन्हें विशेष रूप से, उनकी सुंदरता के लिए पाला जाता है। सजावटी मछली पालन (Ornamental Fish Farming) , मछलीघरों और तालाबों के लिए सजावटी मछली प्रजातियों का प्रजनन कराना और पालन है। इसमें वाणिज्यिक व्यापार और पालतू पशु उद्योगों के लिए मछलियों का चयनात्मक प्रजनन, जल गुणवत्ता प्रबंधन और विपणन शामिल है। भारत का सजावटी मछली बाज़ार, 2025 से 2032 के दौरान, 10.12% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर पर बढ़ने का अनुमान है। यह 2024 में 160.12 मिलियन डॉलर से बढ़कर, 2032 में 346.24 मिलियन डॉलर तक बढ़ रहा है। तो आज, चलिए भारत में सजावटी मछली पालन के महत्व को समझें। इसके बाद, हम अपने देश में इस मछली पालन खेती की वर्तमान स्थिति का पता लगाएंगे। इसके अलावा, हम भारत में उच्चतम सजावटी मछली उत्पादक राज्यों पर चर्चा करेंगे। हम अपने देश में उत्पादित, विभिन्न सजावटी मछली प्रजातियों की भी जांच करेंगे। फिर हम, इस व्यवसाय की मुनाफ़ा क्षमता की खोज करेंगे। अंत में, हम भारत में सजावटी इस उद्योगके लिए मौजूद सब्सिडी और क्रेडिट सुविधाओं पर कुछ प्रकाश डालेंगे।
भारत में सजावटी मछली पालन खेती का महत्व:
सजावटी मत्स्य पालन, मीठे और समुद्री पानी की रंगीन मछलियों के प्रजनन और पालन से संबंधित है। हालांकि सजावटी मत्स्य पालन, सीधे भोजन और पोषण सुरक्षा में योगदान नहीं देता है, लेकिन यह ग्रामीण और उप-शहरी आबादी के लिए आजीविका और आय का स्त्रोत प्रदान करता है। विशेष रूप से महिलाओं और बेरोज़गार युवाओं को अंशकालिक गतिविधियों के रूप में, यह उद्योग महत्वपूर्ण आजीविका स्त्रोत प्रदान करता है। भारत में ये उद्योग छोटा, लेकिन जीवंत है, जिसमें काफ़ी वृद्धि की संभावना है। कम उत्पादन लागत और कम समय के भीतर उच्च उत्पादन, तथा स्वदेशी और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में बढ़ती मांग, इस उद्योग के प्रमुख लाभ हैं। हमारे देश के विभिन्न हिस्सों में सजावटी मछलियों की 400 समुद्री प्रजातियां और 375 मीठे पानी वाली प्रजातियां उपलब्ध हैं।
भारत में सजावटी मछली पालन की वर्तमान स्थिति:
भारत की सजावटी मछली पालन खेती, कुल सजावटी मछली व्यापार में लगभग 1% योगदान दे रही हैं। इन मछलियों का 54 टन की मात्रा पर निर्यात किया जाता है, 2020-21 में जिसका मूल्य 13.08 करोड़ रुपए था। ये आंकड़े मात्रा के संदर्भ में 66.55% और मूल्य के संदर्भ में, 20.59% की वृद्धि दर्ज करते हैं।
कौन से भारतीय राज्य, सजावटी मछली पालन में शामिल हैं ?
केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल, भारत में सजावटी मछली पालन का मुख्य रूप से अभ्यास करते हैं। सजावटी प्रजातियों को, स्वदेशी और विदेशी प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है। उत्तर-पूर्वी राज्यों, पश्चिम बंगाल, केरल और तमिलनाडु में संभावित तौर पर इन प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। भारत का 90% निर्यात कोलकाता से होता है, और उसके बाद क्रमशः मुंबई (8%) और चेन्नई (2%) का स्थान आता है।
भारत में उत्पादित विभिन्न सजावटी मछली प्रजातियां:
उत्तर-पूर्व और दक्षिणी राज्यों में प्रमुख सजावटी मछली प्रजातियां – लोच (Loach), ईल, बार्ब, कैटफ़िश (Catfish) और गोबी (Goby) हैं।
खारे पानी की सजावटी मछली प्रजातियां – मोनोडैक्टाइलस अर्जेंटस (Monodactylus argentus), मोनोडैक्टाइलस सेबा (M. sebae) और स्कैटोफ़ैगस आर्गस (Scatophagus argus), भारतीय खारे जल में आम हैं और उन्हें एकत्र किया जा सकता है। पर्ल-स्पॉट, नारंगी क्रोमिड और भारतीय ग्लासफ़िश एम्बेसिस एस पी. जैसी मछलियों का भी कम खारे पानी में सफ़लतापूर्वक पालन किया गया है। Pearl-spot (Etroplus suratensis) Orange Chromid (E. maculatus) and Indian Glassfish Ambassis sp.
संभावित समुद्री सजावटी मछली प्रजातियां – क्लाउन फ़िश (Clownfish), डैमसेल फ़िश (Damselfish), मूरिश आइडल (Moorish Idol), लायन फ़िश (Lionfish), पैरट फ़िश (Parrotfish), बॉक्स फ़िश (Boxfish) या ट्रंक फ़िश (Trunkfish), मरीन एंजेल्स (Marine Angels), बटरफ्लाई फ़िश (Butterflyfish), क्लीनर व्रास (Cleaner wrasse), कार्डिनल फ़िश, (Cardinalfish) यूनिकॉन फ़िश (Unicornfish), रैबिट फ़िश (Rabbitfish), स्क्विरल फ़िश (Squirrelfish), स्कॉर्पियन फ़िश (Scorpionfish), ब्लेनीस (Blennies), सैंड–स्मेल्ट (Sand smelt) और सीहॉर्स (Seahorse), आदि हैं। भारतीय सजावटी मछली व्यापार, ज़्यादातर, मीठे पानी की मछलियों (90%) से संबंधित है, जिसमें से 98% का पालन किया जाता हैं, और 2% को प्राकृतिक आवासों से पकड़ा जाता है। शेष 10% समुद्री मछलियां हैं, जिनमें से 98% प्रजातियों को प्राकृतिक आवासों से पकड़ा जाता है, और 2% प्रजातियों का पालन किया जाता है। गोल्डफ़िश सबसे अधिक पसंदीदा सजावटी मछली है, और इसलिए इनका पालन भारतीय सजावटी मछली क्षेत्र में व्यापक है।
भारत में सजावटी मत्स्य पालन खेती में मुनाफ़े की क्षमता:
किसान अपनी क्षमता के अनुसार, छोटे से बड़े अलग-अलग पैमाने पर सजावटी मछलियों का उत्पादन शुरू कर सकते हैं। यदि कोई किसान एक छोटी इकाई स्थापित करना चाहता है, तो उसे शेड, मछली फ़ीड और अन्य आवश्यक वस्तुओं पर 50,000–70,000 रुपए खर्च करना होगा। वह इससे 3,000-5,000 रुपए कमा सकता हैं। लगभग 1.25 लाख रुपए के निवेश से, 8,000–9,000 रुपए मासिक आय हो सकती है। यदि कोई 25 लाख रुपए निवेश के साथ, बड़े पैमाने पर ये व्यापार करता है, तो उसकी मासिक आय, 1.25–1.5 लाख रुपए हो सकती है।
सजावटी मत्स्य पालन खेती के लिए भारत में मौजूद सब्सिडी और क्रेडिट सुविधाएं:
हमारी सरकार रंगीन मछली पालन खेती को प्रोत्साहित करने के लिए सब्सिडी दे रही है। महिलाओं के लिए, 60% सब्सिडी और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana (PMMSY)) के तहत, पुरुषों के लिए 40% सब्सिडी उपलब्ध है।
संदर्भ
मुख्य चित्र में मीठे पानी की एक्वेरियम मछली का स्रोत : wikimedia
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