भारत में आधुनिक वज़न प्रणाली का इतिहास एवं उसका विकास

सिद्धान्त I-अवधारणा माप उपकरण (कागज/घड़ी)
27-01-2024 09:57 AM
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भारत में आधुनिक वज़न प्रणाली का इतिहास एवं उसका विकास

जब भी आप अपने दैनिक जीवन की कोई भी वस्तु खरीदते हैं तो उसको खरीदने से पहले उसका वज़न अथवा माप अवश्य जांचते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में आधुनिक वज़न प्रणाली कब और कैसे विकसित हुई? आइए भारत में आधुनिक वज़न प्रणाली के इतिहास एवं उसके विकास के विषय में जानते हैं।
वज़न और माप के लिए अब तक ज्ञात सबसे पुरानी मापन प्रणालियाँ तीसरी और चौथी शताब्दी ईसा पूर्व से संबंधित हैं। इसका अर्थ यह है कि सबसे प्राचीन सभ्यताओं, उदाहरण के लिए, मिस्र (Egypt), मेसोपोटामिया (Mesopotamia) और सिंधु घाटी (Indus Valley) में भी कृषि निर्माण और व्यापार के लिए मापन की आवश्यकता के अनुरूप प्रारंभिक मापन इकाइयाँ उपलब्ध थीं। यह अवश्य संभव है कि एक विशिष्ट मापन प्रणाली केवल किसी एक छोटे समुदाय या क्षेत्र तक ही सीमित थी और कोई एक ऐसी मापन प्रणाली उपलब्ध नहीं थी जो सर्वसम्मति से सब जगह स्वीकृत हो। अक्सर इस प्रकार की प्रणालियाँ केवल उस विशिष्ट क्षेत्र के लिए ही उपयोगी होती थीं और दूसरे क्षेत्र में उनका कोई उपयोग नहीं होता था। लेकिन विनिर्माण प्रौद्योगिकियों के विकास और वैश्विक स्तर पर बढ़ते व्यापार के साथ मानकीकृत वज़न और माप प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जाने लगी। जिसके कारण 18वीं शताब्दी की शुरुआत में, अधिक सटीक तरीकों से परिभाषित और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लागू मानकीकृत मूलभूत इकाइयों के साथ, वजन और माप की आधुनिक, सरलीकृत और समान प्रणाली विकसित की गई। अगर भारत की बात की जाए तो हमारे देश में मापन प्रणाली वैदिक काल से ही विद्यमान थी। हालांकि भारत में मौजूद आधुनिक ‘बाट प्रणाली’ 500-600 साल पहले मुगलों ने शुरू की थी । जबकि हमारे देश में बाटों या वज़न प्रणाली के मानकीकरण के शुरू होने से पहले रत्ती के बीजों का उपयोग किया जाता था। 'रत्ती' भारत में वजन मापने की सबसे पुरानी इकाइयों में से एक है। रत्ती वास्तव में एक पौधे का बीज है जिसका वजन लगभग मानक माना जाता था। हालांकि अब रत्ती प्रणाली का मानक 0.1215 ग्राम के बराबर निश्चित कर दिया गया है। भारत में मुगलों के आक्रमण से पहले वजन मापने के तरीके निश्चित नहीं थे। मुगलों ने भारत में रत्ती प्रणाली के स्थान पर बाट प्रणाली की शुरुआत की जो आज के किलोग्राम बाट के समान ही था। हालांकि प्रत्येक प्रांत में इसका अपना एक अलग संस्करण था। जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होने पर इसे 'सेर' कहा जाने लगा। मुगल सम्राट अकबर के काल में लंबाई मापने की इकाई के रूप में गज का प्रयोग किया जाता था। प्रत्येक गज 24 बराबर भागों में विभाजित होता था और प्रत्येक भाग को तस्सुज कहा जाता था।
ब्रिटिश शासनकाल के दौरान प्रारंभ में अंग्रेजों द्वारा गेहूं के दाने को वज़न के एक मानक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। अकबर के समान ही सोना तौलने के लिए अंग्रेजों द्वारा जौ के दाने का उपयोग किया गया। धीरे धीरे अंग्रेजों ने मुगलों के शासन काल से चले आ रहे बाट और माप में एकरूपता लाने का प्रयास किया। ब्रिटिश शासक भारत में भी ग्रेट ब्रिटेन (Great Britain) में मौजूद वज़न प्रणाली को शुरू करना चाहते थे, जिसके चलते उन्होंने ‘1833 का विनियमन VII’ पारित किया, जिसके अनुसार फर्रुखाबाद रुपये का मूल्य मद्रास (वर्तमान चेन्नई) और बॉम्बे (वर्तमान मुंबई) रुपये के अनुरूप 180 गेहूं के दानों के बराबर निर्धारित कर दिया गया। इस रुपये का वजन एक 'तोला' निर्धारित किया गया था जो उस समय एक प्रसिद्ध देशी मूल्य था और एक तोले को 180 गेहूं के दानों के बराबर निर्धारित किया गया था। हालांकि इस व्यवस्था में भारतीय शब्दावली का उपयोग किया गया था, किंतु यह पूरी तरह से ब्रिटिश व्यवस्था पर आधारित थी। इसके बाद 10 अक्टूबर 1913 को नियुक्त एक समिति ने फिर से भारतीय और ब्रिटिश प्रणालियों के संयोजन पर आधारित एक नई प्रणाली की सिफारिश की, जिसमें एक तोले को ब्रिटिश वज़न के 180 दानों के बराबर माना गया। इस प्रकार अंततः अंग्रेजों ने भारत में अपनी स्वयं की वज़न प्रणाली की शुरुआत की, जो पिछली प्रणालियाँ की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक मानकीकृत थी।
इस प्रणाली के तहत अंग्रेजों ने विभिन्न प्रकार के वज़न मानक शुरू किए, जिनमें से कुछ निम्न प्रकार हैं:
एक ट्रॉय औंस (troy ounce) = 480 जौ के दाने
1 ट्रॉय औंस = 120 कैरेट = 31.1034768 ग्राम
1 ट्रॉय पौंड = 12 ट्रॉय औंस
3.75 ट्रॉय औंस = 10 तोला
1 जौ के दाने का वजन = 64.79891 मिलीग्राम
1 गेहूं के दाने का वजन = 45.561732 मिलीग्राम
ऐसे ही एक महत्वपूर्ण वजन मानक पर किंग जॉर्ज पंचम (King George V) का प्रतीक अंकित था। इसी प्रणाली के तहत उन्होंने भारत में पॉन्ड (pound) की शुरुआत की। इस समय तक ब्रिटिश भारत की तीन प्रेसीडेंसियों (Presidencies of British India) ने पहले ही वजन और माप के मानकीकरण का काफी हद तक काम शुरू कर दिया था। मद्रास प्रेसीडेंसी में, एक मन का वज़न 25 पौंड (11.340 किलोग्राम) निर्धारित किया गया था, जिससे कैंडी का वज़न 500 पौंड (226.796 किलोग्राम) के बराबर हो गया। बॉम्बे प्रेसीडेंसी में, एक मन का वज़न 28 पौंड (12.701 किलोग्राम) तय किया गया, जिससे कैंडी का वज़न 560 पौंड, (254.012 किलोग्राम) के बराबर हो गया। बंगाल प्रेसीडेंसी में, जहां पारंपरिक रूप से कैंडी का उपयोग नहीं किया जाता था, एक मन का वजन 100 ट्रॉय पाउंड (37.324 किलोग्राम के बराबर) निश्चित किया गया। आपको बता दें कि उस समय कैंडी द्रव्यमान की एक पारंपरिक दक्षिण एशियाई इकाई थी जिसका वजन 20 मन के बराबर और लगभग 500 पाउंड (227 किलोग्राम) के बराबर था। दक्षिणी भारत में इसका सबसे अधिक उपयोग किया जाता था।br> इसी बीच 'भारत सरकार अधिनियम 1935' अस्तित्व में आया। 1939 में केंद्रीय विधायिका ने पूरे ब्रिटिश भारत पर वज़न अधिनियम (1939 का अधिनियम IX) के मानकों को पारित किया। जिसके द्वारा फिर से 180 दानों का एक मानक तोला, 80 तोले का 1 सेर, 40 सेर का एक मन, 7000 दानों का एक पौंड, एक पौंड के सोलहवें भाग के बराबर एक औंस निर्धारित किया गया।
1947 में भारत की आजादी के बाद वज़न प्रणाली भी अंग्रेजों से विरासत में मिली अन्य व्यवस्थाओं की भांति जारी रही। हालांकि1958 में, भारत की आजादी के 11 साल बाद, तत्कालीन भारत सरकार द्वारा एक मानकीकृत वज़न प्रणाली की शुरुआत की गई, जिसके तहत किलोग्राम पर आधारित आधुनिक वज़न प्रणाली अस्तित्व में आई। हालांकि आधुनिक युग में वज़न मापन इकाइयाँ और पैमाने अत्यधिक उच्च तकनीक से युक्त उपकरण बन गए हैं। जिनकी सहायता से केवल कुछ ही क्षणों में सटीक माप प्राप्त होता है। आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक पैमानों के द्वारा शरीर में वसा और द्रव के द्रव्यमान के अनुपात की गणना तक की जा सकती है। माप पैमाने की सतह पर एक बहुत छोटी विद्युत धारा उत्पन्न करके और शरीर के द्वारा इस विद्युत धारा के प्रतिरोध को मापकर यह गणना की जाती है। द्रव द्रव्यमान वसा द्रव्यमान की तुलना में बेहतर संवाहक होता है, इसलिए शरीर में दोनों का अनुपात निकालना संभव है।


संदर्भ 
https://shorturl.at/luwIW
https://shorturl.at/fkxPT
https://shorturl.at/cfjzS
https://shorturl.at/bnEFG
https://shorturl.at/altR3

चित्र संदर्भ 
1. सिंधु घाटी मानक इकाई को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
2. विविध वजन इकाइयों को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
3. हड़प्पाकालीन वजन इकाई को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रारंभिक सैक्सन वजन इकाई को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. तोला (सोने को तौलने के लिए पारंपरिक माप बाट) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. किलों में वजन इकाइयों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. वजन मापने वाली आधुनिक मशीन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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