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हरे-भरे जंगलों की कटाई, अनियमित औद्योगीकरण और शहरीकरण के कारण, आज हमारी बहुमूल्य वन्य जीव संपदा लगभग विलुप्त होने के कगार पर है। ऐसे में वन्यजीवों के संरक्षण के लिए स्थापित किये गए राष्ट्रीय उद्यान, वन्यजीव अभयारण्य और बाघ अभयारण्य कई बेजुबान और असहाय जानवरों के लिए जीवनदाई आश्रय के रूप में काम करते हैं। वन्य जीवों के लिए ऐसे ही सुरक्षित आश्रयों में से एक प्रमुख अभयारण्य जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान (Jim Corbett National Park), हमारे रामपुर के पास भी स्थित है, जिसे वर्तमान भारत के सबसे बड़े वन्यजीव वनों में से एक माना जाता है। आज हम इसी अभ्यारण्य के साथ-साथ हमारे रामपुर शहर से सटे, दो अन्य प्रसिद्ध वन्यजीव अभ्यारण्यों, दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (Dudhwa National Park) और पीलीभीत टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve) पर एक नज़र डालेंगे, जिन्हें वन्यजीवों का गढ़ माना जाता है। हालांकि इनके बारे में जानने से पहले हम वन्यजीव अभयारण्य (wildlife sanctuary), राष्ट्रीय उद्यान (National Park) और टाइगर रिजर्व यानी बाघ अभयारण्य के बीच मूलभूत अंतरों के बारे जानते हैं।
1. राष्ट्रीय उद्यान: राष्ट्रीय उद्यान एक ऐसा क्षेत्र होता है, जिसे राज्य सरकार द्वारा वन्य जीवों की विविधता को बढ़ावा देने और उन्हें सुरक्षित रखने के उद्देश्य से स्थापित किया जाता है। राष्ट्रीय उद्यान किसी अभयारण्य के भीतर या उसके बाहर स्थित हो सकता है। भारतीय पर्यावरण और वन मंत्रालय एक "राष्ट्रीय उद्यान" को एक ऐसे क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है, जिसे वन्यजीवों या वहां के पर्यावरण की रक्षा, प्रचार या विकास के उद्देश्य से गठित किया गया हो।”
राष्ट्रीय उद्यान के भीतर जानवरों की चराई, निवास और जलाऊ लकड़ी तथा अन्य वन उत्पादों को इकट्ठा करने जैसी मानवीय गतिविधियाँ सख्त वर्जित होती हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि राष्ट्रीय उद्यान जानवरों की किसी विशिष्ट प्रजाति को समर्पित लिए नहीं होते, बल्कि, इनका उद्देश्य वन जीवन की विविधता को बढ़ावा देना और उसकी सुरक्षा करना होता है। उत्तराखंड में हेली राष्ट्रीय उद्यान (Heli National Park) को भारत में स्थापित पहला राष्ट्रीय उद्यान माना जाता है, जिसे 1936 में स्थापित किया गया था। आज हम सभी इसे जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क (Jim Corbett National Park) के नाम से जानते हैं। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क रामपुर के निकट स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है, जो कि एक ऐसे क्षेत्र में बसा है, जहां एक समय में घना जंगल हुआ करता था। यह क्षेत्र हिमालय के तराई क्षेत्र में आता है तथा गंगा के मैदान से भी सटा हुआ है, जिस कारण यह क्षेत्र वन्य संपदा के लिहाज से भी अत्यंत उर्वरक माना जाता है। यहाँ की पुरातात्विक खुदाइयों से पता चलता है कि रामपुर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में मानव की गतिविधियाँ करीब 2000 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुई थी। 2000 ईसा पूर्व के पहले विश्व की आबादी 2 करोड़ 70 लाख थी तथा वर्तमान काल में अकेले रामपुर की आबादी ही 31 लाख से अधिक है, जो यह प्रदर्शित करती है कि उस काल में इस क्षेत्र की आबादी अत्यंत कम थी जिस कारण यहाँ पर जंगल भी बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था। जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान हिमालय के तराई क्षेत्र से लेकर शिवालिक पर्वतमाला तक कुल 520.8 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। इस अभ्यारण्य को अपने यहां वन्य जीवों की प्रचुरता के लिए जाना जाता है। यहाँ पर रीछ(bear), हाथी, बाघ, तेंदुआ, हिरण आदि बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। इस वन का फैलाव क्षेत्र ज्यादा होने के कारण यहाँ के जैव-जगत में हम बड़ी विविधिता देख पाते हैं। यह न केवल भारत बल्कि एशिया का पहला राष्ट्रीय वन उद्यान या वन अभ्यारण्य था। इस वन में किसी भी प्रकार का शिकार वर्जित था तथा उस समय इसका क्षेत्र 323.75 वर्ग किलोमीटर ही था। 1954-55 में इस वन का नाम बदल कर रामगंगा राष्ट्रीय उद्यान रख दिया गया था पर फिर 1955-56 में इसका नाम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान रख दिया गया, और यही नाम आज भी बना हुआ है।
2. वन्यजीव अभयारण्य: वन्यजीव अभयारण्य किसी विशिष्ट पशु और पक्षी प्रजातियों की रक्षा के लिए शासी निकायों या निजी संगठनों द्वारा प्रबंधित एक प्राकृतिक आवास होता है। जैसा कि इनके नाम से ही स्पष्ट है: “वन्यजीव अभयारण्य वन्यजीव आबादी और उनके संबंधित आवासों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने का काम करते हैं।” ये अभयारण्य पक्षियों, जानवरों, कीड़ों और सरीसृपों की भी रक्षा करते हैं।
राष्ट्रीय उद्यान में कड़ी सुरक्षा और निगरानी की जाती है, और यहाँ पर प्रवेश के लिए आधिकारिक प्राधिकरण की आवश्यकता होती है। इसके विपरीत, एक वन्यजीव अभयारण्य में कुछ प्रतिबंध जरूर होते हैं, लेकिन यह आम जनता के लिए खुला होता है। साथ ही इसमें आधिकारिक प्राधिकरण की आवश्यकता भी नहीं होती है, और इसकी सीमाएँ भी तय नहीं होती हैं।
3. टाइगर रिज़र्व: टाइगर रिजर्व (Tiger Reserves), कानूनी रूप से निर्दिष्ट क्षेत्र होते हैं, जो खासतौर पर बाघों के संरक्षण के लिए समर्पित होते हैं। बाघ, इन संरक्षित क्षेत्रों के सुरक्षित वातावरण में रह सकते हैं। दिलचस्प बात यह है कि बाघ अभयारण्य, राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य हो सकते हैं, लेकिन सभी राष्ट्रीय उद्यान या वन्यजीव अभयारण्य, बाघ अभयारण्य नहीं होते हैं। उदाहरण के लिए, सरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve), एक राष्ट्रीय उद्यान है। इसे पहले एक राष्ट्रीय उद्यान के रूप में स्थापित किया गया था और फिर बाघ संरक्षण के लिए समर्पित किया गया था। हालाँकि, ताडोबा अंधारी (Tadoba Andhari) जैसे कुछ बाघ अभयारण्य, केवल बाघ संरक्षण और सुरक्षा के लिए बनाए गए हैं। वर्तमान भारत में 52 बाघ अभयारण्य हैं, जिनका प्रबंधन और देखभाल प्रोजेक्ट टाइगर (Project Tiger) के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (National Tiger Conservation Authority) द्वारा किया जाता है। आपको जानकर हर्ष होगा कि इन अभ्यारण्यों ने पूरी दुनिया में बाघों की 70% आबादी को आश्रय प्रदान किया है। बाघ अभयारण्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण हमारे रामपुर के निकट दुधवा राष्ट्रीय उद्यान (Dudhwa National Park) या दुधवा टाइगर रिजर्व (Dudhwa Tiger Reserve) के रूप में मौजूद है। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान भारत के उत्तर प्रदेश के लखीमपुर और खीरी जिलों में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है।
दुधवा लगभग 811 वर्ग किमी के दलदल, घास के मैदानों और घने जंगलों में फैला हुआ है, जो स्तनधारियों (mammals ) की 38 से अधिक प्रजातियों, सरीसृपों (reptiles) की 16 प्रजातियों और पक्षियों की कई प्रजातियों को संरक्षण प्रदान करता है। यहां पाए जाने वाले कुछ जानवरों में बाघ, गैंडा, दलदली हिरण, हाथी, सांभर, हॉग हिरण, चीतल, काकर, जंगली सुअर, रीसस बंदर, लंगूर, स्लॉथ भालू (Sloth Bear), नीला बैल, साही, ऊदबिलाव, कछुए, अजगर, मॉनिटर छिपकली (Monitor Lizard), मगर और घड़ियाल, आदि शामिल हैं। दुधवा रिजर्व में भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले लगभग 1300 पक्षियों में से 450 से अधिक प्रजातियां देखी जा सकती हैं। इनमें हॉर्नबिल (Hornbill), रेड जंगल फाउल (Red Jungle Fowl), पी फाउल (Peafowl), बंगाल फ्लोरिकन (Bengal Florican), फिशिंग ईगल (Fishing Eagle), बंगाल फ्लोरिकन (Bengal Florican), सर्पेंट ईगल (Serpent Eagle), ऑस्प्रे (Osprey), पैराडाइज फ्लाईकैचर (Paradise Flycatcher), कठफोड़वा, इंडियन पिट्टा (Indian Pitta), ओरिओल्स (Orioles) और एमराल्ड कबूतर (Emerald Dove) आदि शामिल हैं। सर्दियों के दौरान, यहां के विशाल और विविध जल निकाय, बड़ी विविधता और संख्या में प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करते हैं, जिससे यह रिज़र्व पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग बन जाता है।
हमारे रामपुर के ही समीप स्थित “पीलीभीत टाइगर रिजर्व (Pilibhit Tiger Reserve)” भी बाघ अभयारण्य का एक और बेहतरीन उदाहरण माना जाता है। यह उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में स्थित एक संरक्षित क्षेत्र है। यह भारत-नेपाल सीमा के साथ ऊपरी गंगा के मैदान में तराई आर्क लैंडस्केप (Terai Arc Landscape) का हिस्सा है। इस निवास स्थान की विशेषता साल के जंगल, ऊंचे घास के मैदान और नदियों से समय-समय पर आने वाली बाढ़ से बना दलदल है। पीलीभीत उत्तर प्रदेश के प्रचुर वन संपदा वाले जिलों में से एक है, जिसमें 800 किमी 2 (310 वर्ग मील) से अधिक वन क्षेत्र हैं, जो जिले के कुल क्षेत्रफल का लगभग 23% है। पीलीभीत के जंगल कम से कम 65 बाघों और हिरणों की पांच प्रजातियों सहित कई अन्य प्रजाति के जानवरों एवं पशु पक्षियों को आश्रय प्रदान करते हैं। निर्धारित समय में बाघों की आबादी दोगुनी करने के लिए टाइगर रिजर्व को पहला अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार “TX2” प्राप्त हुआ। इस आवास में जीव-जंतुओं की समृद्ध विविधता पाई जाती है, यहां पर देश में पाई जाने वाली 7 में से 5 हिरण प्रजातियाँ देखी जा सकती हैं। इसके अलावा, यहां पर कुछ गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी देखी जा सकती हैं, जिनमे बंगाल फ्लोरिकन (Bengal Florican) और स्तनधारियों की 13 प्रजातियां, पक्षियों की 9 प्रजातियां, और सरीसृप/उभयचरों की 11 प्रजातियाँ भी शामिल हैं, जो लुप्तप्राय हैं और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची I (Schedule I) में सूचीबद्ध हैं। यहां पर पाई जाने वाली प्रमुख जीव प्रजातियाँ क्रमशः बंगाल टाइगर (Bengal Tiger), तेंदुआ,दलदल हिरण, चित्तीदार हिरण, हॉग हिरण (Hog Deer), ब्लैकबक (Blackbuck), सांभर हिरण, स्लॉथ भालू (Sloth Bear), छोटी नाक वाला फल चमगादड़, रीसस मकाक (Rhesus Macaque), साही, सुनहरा सियार, भारतीय लोमड़ी और लकड़बग्घा आदि हैं। यहां पर लगभग 450 पक्षी प्रजातियाँ भी देखी जा सकती हैं, जिनमे डार्टर (Darter), लेसर व्हिसलिंग डक (Lesser Whistling Duck), कॉम्बड डक (Comb Duck), ग्रे पार्ट्रिज (Grey Partridge), ब्लैक पार्ट्रिज स्वैम्प पार्ट्रिज (Black Partridge Swamp Partridge), मोर, रेड जंगल फाउल (Red Jungle Fowl), कार्मोरेंट (Cormorant), एग्रेट्स (Egrets), बगुले (Heron), हॉर्नबिल (Hornbill) की तीन प्रजातियां, ईगल (Eagle) की छह प्रजातियों सहित सारस क्रेन (Sarus Crane) और कई पक्षी प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
संदर्भ
http://tinyurl.com/45skpytc
http://tinyurl.com/mrxt5eh5
http://tinyurl.com/32yhwsut
http://tinyurl.com/5fcamvp4
चित्र संदर्भ
1. जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, जानवरों एवं हिरणों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia, Utah State University)
2. कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढिकाला घास के मैदान में रामगंगा जलाशय के किनारे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क में एक सांभर हिरण और पर्यटकों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. औट्रमघाट वन्यजीव अभयारण्य को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. टाइगर रिजर्व को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. दुधवा टाइगर रिजर्व को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
7. पीलीभीत टाइगर रिजर्व को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
8. पीलीभीत टाइगर रिजर्व में एक मादा नीलगाय को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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