रामपुर के पड़ोसी आंवला शहर का इतिहास हमारे क्षेत्र के निर्माण में कैसे था निर्णायक?

मध्यकाल 1450 ईस्वी से 1780 ईस्वी तक
20-01-2024 10:27 AM
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रामपुर के पड़ोसी आंवला शहर का इतिहास हमारे क्षेत्र के निर्माण में कैसे था निर्णायक?

आंवला एक छोटा शहर है, जो बरेली जिले की एक तहसील भी है। यह शहर, हमारे रामपुर शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर दक्षिण में स्थित है। आंवला का इतिहास अत्यंत प्राचीन एवं गौरवशाली है। प्राचीन काल में यह स्थान पांचाल राज्य का हिस्सा था, और अहिचित्रा इसकी राजधानी थी। करीबन 3 वर्षों तक, पूर्व पांचाल और अहिचित्रा इनकी संस्कृति और राजनीति के लिए बहुत प्रसिद्ध थे। साथ ही, कटेहरिया के राजाओं ने भी, आंवला पर लगभग पांच सौ वर्षों तक शासन किया। इसके पश्चात, रूहेलों ने आंवला को जीतकर, इसे अपनी राजधानी बनाया। कई बार अंग्रेजों के आक्रमण से भी, हालांकि आंवला नष्ट हुआ था। आंवला में आज भी अहिचित्र नामक एक स्थान है, जिसे, पांचाल प्रदेश के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐतिहासिक स्थान है, जिसमें महाभारत और द्रुपद के समय के बारे बहुत सी सच्ची ऐतिहासिक कहानियां छिपी हुई हैं। कुछ ऐतिहासिक कहानियों के साथ, आंवला भारतीय किसान उर्वरक सहकारी या इफको (IFFCO) और हिंदुस्तान ऑयल्स (Hindustan Oils) जैसे कई अलग-अलग प्रसिद्ध संगठनों से भी घिरा हुआ है। कम से कम 14वीं शताब्दी तक आंवला कटेहरिया राजपूतों का गढ़ था। अकबर के समयकाल तक यह एक परगना भी थी। आइन-ए-अकबरी में ‘बदायूं सरकार में, एक परगना’ के रूप में इसका उल्लेख किया गया है। एक परगना के रुप में, आंवला शाही खजाने के लिए 6,90,620 बांधों का राजस्व, और मुगल सेना के लिए 400 पैदल सेना और 50 घुड़सवार सेना का निर्माण करता था।
आंवला का परगना 20वीं सदी तक लगभग पूरी तरह से अपरिवर्तित रहा। हालांकि, 1835 में अजौन परगना से 14 गांवों को शामिल करके इसका विस्तार किया गया, जिसमें अजौन भी शामिल था। जबकि, आंवला का सबसे महत्वपूर्ण काल 1700 के दशक के दौरान था। 1730 में, एक रोहिल्ला नेता अली मुहम्मद खान ने स्थानीय कटेहरिया शासक, दूजा सिंह की हत्या कर दी थी। इसके बाद अली मुहम्मद खान ने आंवला पर कब्ज़ा कर लिया और इसे अपनी राजधानी बना दिया। आंवला अतः काफ़ी समय तक रोहिल्ला संघ की राजधानी रहा। स्थानीय परंपरा के अनुसार, शहर में लगभग 1,700 मस्जिदें थीं। हालांकि, रोहिल्लाओं द्वारा अपनी राजधानी बरेली में स्थानांतरित करने के बाद, आंवला का महत्व तुरंत ही खो गया, और इसके कई स्मारक खंडहर बन गए। फिर, वर्ष 1813 में इसे एक तहसील की सीट बना दिया गया, और यह फिर से एक महत्वपूर्ण शहर बन गया। तब इसमें समृद्ध वाणिज्य और अनाज का बड़ा निर्यात होता था।
20वीं शताब्दी के आसपास, आंवला को चार अलग-अलग विभागों में, विभाजित किया गया। ये विभाग कब्रिस्तानों एवं पुरानी खंडहर मस्जिदों द्वारा विभाजित थे। शहर के दूसरे विभाग को ‘पक्का कटरा’ कहा जाता था, क्योंकि, इसके चारों ओर ऊंची ईंट की दीवार थी। पक्का कटरा घनी आबादी वाला विभाग था और शहर का मुख्य व्यापारिक केंद्र था। इस विभाग के दक्षिण की ओर एक बड़ी दीवार वाला घेरा था, जिसमें अली मुहम्मद खान की कब्र थी। इस कब्र की देखभाल उनके वंशज तथा रामपुर राज्य के नवाब द्वारा की जाती थी। दूसरी ओर, बरेली की स्थापना सन 1537 में एक राजपूत, जगत सिंह कटेहरिया ने की थी। उन्होंने अपने दो बेटों बंसलदेव और बरलदेव के नाम पर इस शहर का नाम ‘बरेली’ रखा था। जबकि, आधुनिक बरेली शहर की नींव 1657 में मुगल गवर्नर मुक्रंद राय ने रखी थी। जबकि, सन 1658 में, बरेली बदायूं प्रांत का मुख्यालय बन गया।
इसी बीच में, एक अफगान नेता मुहम्मद खान (1737–1749) ने बरेली शहर पर कब्जा कर लिया, और इसे अपनी राजधानी बनाया। बाद में, 1707 और 1720 के बीच रोहिल्लाओं को एकजुट करके ‘रोहिलखंड राज्य’ का निर्माण किया गया। और, बरेली इसकी राजधानी बन गया। मुहम्मद खान सत्ता में आया और उसके द्वारा जब्त की गई जमीनों पर, उसका कब्जा पक्का हो गया। अतः, सम्राट ने उन्हें 1737 में नवाब की उपाधि से सम्मानित किया, और वर्ष 1740 में उन्हें रोहिलखंड के राज्यपाल के रूप में मान्यता दी गई। अपनी मृत्यु से पहले, अली मुहम्मद ने अपने चाचा– रहमत खान से रोहिलखंड का “हाफ़िज़” अर्थात संरक्षक बनने का अनुरोध किया। साथ ही, उन्होंने पहले से ही अपने बेटों के बीच अपने क्षेत्र के विभाजन की योजना बनाई थी। उन्होंने रहमत खान को कुरान पर शपथ भी दिलाई कि, वे उसकी इच्छा को पूरा करेंगे और उनके बच्चों के हितों की रक्षा करेंगे। 1748 में मुहम्मद अली खान की मृत्यु के बाद, उनके चाचा हाफ़िज़ रहमत खान को नवाब अली मुहम्मद खान के बेटों के लिए, रोहिलखंड का विभाजन करना पड़ा।
वह विभाजन निम्नलिखित तरीके से हुआ था।
१.बदायूं – नवाब अब्दुल्ला खान;
२.मुरादाबाद – नवाब सादुल्लाह खान;
३.बरेली – नवाब मुहम्मद यार खान; और
४.रामपुर से मोहम्मदपुर टांडा – नवाब फैजुल्लाह खान।
इस प्रकार हमारे रामपुर क्षेत्र का विभाजन हुआ था।

संदर्भ
http://tinyurl.com/mu2ytzad
http://tinyurl.com/y4vbjca8
http://tinyurl.com/bdfsphtc

चित्र संदर्भ
1. आंवला के मकबरे को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. आंवला में भारतीय किसान उर्वरक सहकारी या इफको को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. रोहिल्ला नेता अली मुहम्मद खान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. आंवला शहर के प्रवेश गेट संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. आंवला शहर को दर्शाते बोर्ड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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