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सनातन धर्म के विद्वानों और अनुयायियों के बीच में आमतौर पर यह आशंका बनी रहती है कि रामायण की रचना वेदों से प्रेरित होकर की गई थी, या फिर महर्षि वाल्मीकि द्वारा रामायण को स्वतंत्र रूप से रचा गया था। आज हम विश्वसनीय स्रोतों की सहायता से इसी जटिल प्रश्न का स्पष्टीकरण खोजने का प्रयास करेंगे।
वास्तव में रामायण एक ऐसा महाकाव्य है, जिसे भारत की वैदिक और उत्तर-वैदिक संस्कृति के बीच सेतु की तरह माना जा सकता है। रामायण की अवधारणा, वेदों के विचार, व्यवहार और दर्शन से बहुत अधिक समानताएं साझा करती है। देखा जाए तो रामायण में वैदिक तत्त्व को ही वर्णनात्मक ढंग से कथा के रूप में चित्रित किया गया है। इसलिए, रामायण में वेदों का भाष्य मिलता है। वेद शब्द रामायण में कई बार आता है। संदर्भ के आधार पर इस शब्द का अर्थ या तो वेद या उपवेद प्रतीत होता है।
रामायण में श्रुति, विद्या, निगम, शास्त्र आदि, वैकल्पिक रूप से प्रयुक्त शब्द वेद के ही पर्यायवाची माने जाते हैं। रामायण की उत्पत्ति के बारे में यह भी मान्यता है कि इसका अवतरण स्वर्ग से हुआ है। वेद मूल रूप से धर्म का स्रोत माने जाते हैं, जो कि आचरण और कर्तव्य की संहिता है, जिसका सभी हिंदुओं को पालन करने की सलाह दी जाती है। रामायण के नायक श्री राम को साक्षात् धर्म का अवतार माना जाता है। उन्होंने अपने आचरण और व्यवहार के माध्यम से वेदों में निहित संहिताबद्ध सिद्धांतों का ही प्रदर्शन किया। रामायण वेदों को दो भागों (ब्रह्मवेद और क्षत्रवेद) में विभाजित करता है। यह विभाजन संभवतः संबंधित वेदों की आंतरिक प्रकृति और चरित्र के कारण हो सकता है। कहा जाता है कि वैदिक द्रष्टा विश्वामित्र भी वेद के इन प्रभागों (ब्रह्म वेद विदं श्रेष्ठ, क्षत्रवेद विदं अपि) से भली भांति परिचित थे।
रामायण के रचयिता स्वयं महर्षि वाल्मीकि भी अपनी लेखन शैली के माध्यम से यह संकेत देते हैं कि वेद रहस्योद्घाटन (अपौरुषेय) है, यानी इनकी रचना किसी इंसान ने नहीं की है। इसलिए, वेद के लिए मानव लेखकत्व की कल्पना नहीं की जा सकती। इस प्रकार, वाल्मीकि उस सदियों पुरानी राय का समर्थन करते प्रतीत होते हैं कि “वेद अपौरुषेय है।” हालांकि वेद की उत्पत्ति हमेशा विवादास्पद रही है। रामायण का उद्देश्य प्राचीन भारतीय ज्ञान की व्याख्या के साथ प्रभु श्री राम की महिमा को चित्रित करना था।
रामायण में आगे कहा गया है कि यज्ञ, जीवन और दर्शन आदि के संबंध में वेद में निर्धारित विभिन्न आदेशों का श्रद्धा के साथ पालन किया जाना चाहिए, और उन पर सवाल नहीं उठाया जाना चाहिए। श्री राम ने वैदिक संस्कृति के अनुसार कठोर अनुशासन का जीवन जीया। रामायण एक ऐसी कृति है जो वेद और वेद-धर्म की व्याख्या करने के साथ-साथ उस समय प्रचलित विभिन्न प्रथाओं को भी जोड़ती है। महर्षि वाल्मिकी स्वयं वेद के महान द्रष्टा माने जाते हैं। इसके अलावा, वाल्मिकी ने खुद को काव्य रचना में असाधारण कौशल और योग्यता वाले कवि के रूप में भी प्रदर्शित किया। रामायण में कई वैदिक देवताओं का भी वर्णन मिलता है, हालांकि उनके स्वभाव, चरित्र और जिम्मेदारियों में कुछ बदलाव जरूर देखे गए हैं। वेदों के प्रत्येक वर्णन को रामायण में उच्च सम्मान दिया गया है।
इसलिए रामायण को वेदों का सार माना जाता है। वेदों को चार भागों (ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद) में विभाजित किया जाता है। इनमें से प्रत्येक भाग भगवान राम और उनके भाइयों के एक अलग पहलू से जुड़ा हुआ है। क्या आप जानते हैं कि भगवान राम “ऋग्वेद” के प्रतीक, लक्ष्मण “यजुर्वेद” के प्रतीक, भरत “सामवेद” के प्रतीक हैं, और “शत्रुघ्न” अथर्वण वेद के प्रतीक माने जाते हैं।
कहा जाता है कि चारों वेद, दशरथ के चार पुत्र बन गए और उन्हीं के महल में खेला करते थे। ऋग्वेद और यजुर्वेद में यज्ञ और हवन से संबंधित मंत्र दिए गए हैं। इसीलिए ऋषि विश्वामित्र अपने यज्ञ की रक्षा के लिए राम और लक्ष्मण को अपने साथ ले गए। जब राम वनवास में थे, भरत ने अयोध्या छोड़ दी और नंदीग्राम नामक गाँव में रहे, और पूरे 14 वर्षों तक राम का दिव्य नाम गाते रहे। यही कारण है कि भरत को सामवेद का अवतार बताया जाता है। शत्रुघ्न ने बुरी आत्माओं और राक्षसों के आक्रमण से यज्ञ और हवन जैसे पवित्र अनुष्ठानों के स्थानों की रक्षा की। इस आधार पर यह कहा जा सकता है कि रामायण, वेदों से अलग नहीं है, बल्कि उनका ही अभिन्न अंग है। रामायण ने वैदिक जीवन और उसकी शिक्षा का मूल्य प्रदान करने की परंपरा को कायम रखा और वेद धर्म का समर्थन करने के साथ-साथ इसकी व्याख्या भी की। रामायण में वैदिक संस्कारों के अलावा, पूजा के अन्य रूपों जैसे, संध्या पूजा, जप आदि का भी उल्लेख किया गया है। संक्षेप में, यह कहा जा सकता है कि वेदों को रामायण का भरपूर समर्थन प्राप्त था।
संदर्भ
http://tinyurl.com/mwffh84a
http://tinyurl.com/yuyhnfpt
http://tinyurl.com/mr44cuvc
चित्र संदर्भ
1. वेदों और रामायण को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. वाल्मीकि रामायण और रामचरितमानस को संदर्भित करता एक चित्रण (amazon)
3. ऋग्वेद के एक पृष्ठ संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. वेदों का पठन करते हिंदुओं को संदर्भित करता एक चित्रण (picryl)
5. जंगल में भगवान श्री राम के परिवार संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. चार वेदों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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