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हमारे शहर रामपुर के प्राचीन शासकों का, इस क्षेत्र की वास्तुकला पर विशिष्ट प्रभाव रहा है। यहां की सुंदर इमारतें और स्मारक, मुगल वास्तुकला शैली की उपस्थिति का संकेत देते हैं। हमारे क्षेत्र में स्थित, कुछ इमारतें बहुत पुरानी हैं, और समय के साथ इनका बार-बार पुनर्निर्माण किया गया है। रामपुर में नवाबों द्वारा बनवाए गए कई प्रवेश-निकास द्वार हैं। ये द्वार,रामपुर शहर के प्रमुख प्रवेश-निकास मार्ग भी हैं। शाहबाद गेट, नवाब गेट, बिलासपुर गेट आदि,इसके कुछ उदाहरण हैं।
जामा मस्जिद रामपुर में पाए जाने वाले, वास्तुकला के कुछ ऐसे ही बेहतरीन नमूनों में से एक है। यह कुछ हद तक दिल्ली की जामा मस्जिद से मिलती जुलती है, और इसका आंतरिक भाग भी काफ़ी सुंदर है। इसे नवाब फैजुल्लाह खान ने बनवाया था।इसमें तीन बड़े गुंबद और चार ऊंची मीनारें हैं,जिनके सोने के कलश, इसे प्राप्त शाही स्पर्श का दावा करते हैं। इसमें एक मुख्य ऊंचा प्रवेश द्वार भी है, जिसमें एक अंतर्निर्मित घंटाघर है, जहां ब्रिटेन(Britain) से आयातित घड़ी लगी हुई है ।
यहां आपके मन में प्रश्न उठ सकता है कि, सामान्य मस्जिद एवं जामा मस्जिद में, क्या फर्क होता है? इबादत के लिएं कोई भी समर्पित स्थान, मस्जिद होती है। हालांकि, शुक्रवार(जिसे अरबी भाषा में, ‘जुम्मा’ कहा जाता है) पर विशेष नमाज़ अदा की जाती है।जुम्मे की नमाज़ सभी मस्जिदों में नहीं होती। अतः वह मस्जिद जहां जुम्मे की नमाज पढ़ी जाती है, जामा मस्जिद होती है।जबकि, किसी सामान्य मस्जिद में शुक्रवार की नमाज़ हो भी सकती है या नहीं भी, क्योंकि, शुक्रवार की नमाज़ आयोजित करने के लिए, कुछ मानदंडों को पूरा करना आवश्यक होता है।
रामपुर की जामा मस्जिद का निर्माण, औपनिवेशिक काल के दौरान कराया गया था, जिसमें समय देखने हेतु, अंग्रेज़ी घड़ी लगायी गयी थी। परंतु, अंग्रेज़ी घड़ी के प्रचलन से पूर्व भी, हमारे देश भारत की अनेक मस्जिदों में समयानुसार सभी नमाज़ अदा की जाती थीं। इन मस्जिदों में समय देखने हेतु, सौर घड़ी का प्रयोग किया जाता था। सौर घड़ी का अविष्कार ईस्लाम धर्म से, कई वर्ष पूर्व ही हुआ था। हमारे देश में, दिल्ली की जामा मस्जिद और फतेहपुरी मस्जिद सहित कई अन्य मस्जिदों में भी, सौर घडि़यां लगायी गयी हैं। दिल्ली की जामा मस्जिद में, इस घड़ी को अंतिम मुगल राजा– बहादुर शाह ज़फ़र के छोटे भाई, सलीम मिर्ज़ा द्वारा लगवाया गया था।
मुस्लिम समुदाय में, लोगों को दैनिक प्रार्थना के माध्यम से ‘सलात’ की याद दिलाई जाती है, जिसे ‘अज़ान’ के रूप में जाना जाता है। अज़ान मस्जिदों से मुअज़्ज़िन द्वारा दिया जाता है, जो मस्जिद द्वारा, प्रार्थना करने के लिए नामित होता है। नमाज़ के दौरान मुअज़्ज़िन तकबीर और कलिमा पढ़ता है।
परंपरागत रूप से, ये आह्वान मस्जिद की मीनार से, बिना ध्वनि विस्तार के किए जाते थे। हालांकि, आज कई आधुनिक मस्जिदें लाउडस्पीकर का उपयोग करती हैं,ताकि, श्रद्धालु इस आव्हान को अधिक स्पष्ट रूप से सुन सकें। जबकि, प्रार्थना का समय सूर्य की स्थिति से निर्धारित होता है।निम्नलिखित, नमाज़ अदा करने के कुछ पारंपरिक समयकाल हैं:
फज्र : यह प्रार्थना दिन की शुरुआत में, ईश्वर को याद करते हुए, की जाती है। इसे सूर्योदय से पहले किया जाता है।
धुहर : दिन का काम शुरू होने के बाद, व्यक्ति दोपहर के तुरंत बाद, फिर से अल्लाह को याद करने और उनका मार्गदर्शन लेने हेतु,धुहर का सहारा लेता है।
असर : देर दोपहर में, लोग अल्लाह और अपने जीवन के महान अर्थ को याद करने हेतु, कुछ मिनट निकालते हैं।
मगरिब : सूरज ढलने के तुरंत बाद, जैसे ही दिन ढलने लगता है, मुस्लिम बंधु मगरिब के माध्यम से, फिर से अल्लाह को याद करते हैं।
ईशा : रात को सोने से पहले, मुसलमान फिर से ईश्वर की उपस्थिति को याद करने, मार्गदर्शन, दया और क्षमा के लिए समय निकालते हैं।
परंपरागत रूप से, ये प्रार्थनाएं एक छोटे प्रार्थना गलीचे पर खड़े होकर की जाती है, हालांकि इसका उपयोग करना आवश्यक नहीं है। ये प्रार्थनाएं हमेशा अरबी में पढ़ी जाती हैं, जबकि, अल्लाह की महिमा करने और रक्हा नामक भक्ति का प्रचार करने के उद्देश्य से, अनुष्ठानिक इशारों और आंदोलनों की एक श्रृंखला का प्रदर्शन किया जाता है। रक्हा को दिन के समय के आधार पर दो से चार बार दोहराया जाता है।
यदि उपासक सामुदायिक रूप से प्रार्थना कर रहे हैं, तो वे एक दूसरे के लिए शांति के संक्षिप्त संदेश के साथ प्रार्थना समाप्त करेंगे। मुसलमान लोग प्रार्थना करते समय, पहले दाहिनी ओर मुड़ते हैं, फिर बाईं ओर मुड़ते हैं, और अभिवादन करते हुए, कहते हैं– “आप पर शांति और अल्लाह की दया और आशीर्वाद हो।”
संदर्भ
http://tinyurl.com/2p8x5aha
http://tinyurl.com/p8rc7w46
http://tinyurl.com/2623erx3
http://tinyurl.com/dn2hnps
http://tinyurl.com/2p8x5aha
चित्र संदर्भ
1. रामपुर की जामा मस्जिद को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
2. जामा मस्जिद के भीतरी प्रांगण को संदर्भित करता एक चित्रण ((प्रारंग चित्र संग्रह))
3. जामा मस्जिद के गुम्बद को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. जामा मस्जिद में छोटे बच्चों को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
5. जामा मस्जिद के पीछे लोहिया पार्क को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
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