मकई व् सोयाबीन की बढ़ती कीमतों के चलते,हम पोषक युक्त मुर्गी दाना घर पर ही तैयार कर सकते हैं

पंछीयाँ
20-12-2023 09:46 AM
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मकई व् सोयाबीन की बढ़ती कीमतों के चलते,हम पोषक युक्त मुर्गी दाना घर पर ही तैयार कर सकते हैं

शरीर की वृद्धि, रखरखाव और प्रजनन प्रक्रियाओं के लिए भोजन अत्यंत आवश्यक होता है। खाद्य पदार्थ पोषक तत्वों के अच्छे स्रोत होते हैं, जो रोज़ाना सेवन करने पर शरीर के कामकाज में सहायता करते हैं। मुर्गीपालन में पक्षियों को भी ऐसे पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। पोल्ट्री को दिए जाने वाले भोजन में मुख्य रूप से अनाज, पौधे और पशु मूल के उप-उत्पाद और साग शामिल होते हैं।
मुर्गी पालन की वृद्धि, उत्पादन और स्वास्थ्य के लिए सही पौष्टिक भोजन प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण है। पक्षियों की उम्र और उत्पादन की स्थिति सहित कई कारकों के आधार पर पक्षियों की ऊर्जा आवश्यकताएँ अलग-अलग होती हैं। पक्षियों में उत्पादक क्षमता बढ़ाने और उसके स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पोषण प्रदान करना महत्वपूर्ण है। अनुचित पोषक तत्वों एवं खराब गुणवत्ता वाले भोजन के कारण ऊर्जा का सही स्तर प्राप्त न होने से पक्षियों में पोषण संबंधी तनाव हो सकता है और अन्य स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। मुर्गी पालन में उचित भोजन से आप उत्पादन का 80% सुनिश्चित कर सकते हैं। अच्छा पोषण पक्षी के प्रदर्शन, उत्पादन और स्वास्थ्य में परिलक्षित होता है। अच्छा पोषण इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप मुख्य रूप से किस उद्देश्य से अर्थात मांस या अंडे के लिए मुर्गियां पाल रहे हैं।
मुर्गियों को प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, उचित मात्रा में विटामिन और खनिज और इनमें से किसी भी एक पोषण तत्व की कमी के कारण इनकी उत्पादन क्षमता एवं वृद्धि पर असर पड़ सकता है। उनके आहार में प्रोटीन की मात्रा बहुत महत्वपूर्ण है, यह उन्हें पंख, मांस और अंडे पैदा करने में मदद करता है। हालांकि आपको अपनी मुर्गियों के लिए भोजन की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, बाज़ार में आसानी से कई प्रकार का उच्च पोषण तत्व युक्त दलिया, दाना और क्रम्बल्स (Crumbles) के रूप में भोजन मिल जाता है।
बाज़ार में मिलने वाले कुछ आम भोजन इस प्रकार हैं:
चारा सामग्री- मुर्गी पालन के लिये बाज़ार में चारा सामग्री आसानी से मिल जाती है।
मकई और सोयाबीन भोजन - मकई और सोयाबीन आमतौर पर ऊर्जा और संतुलित प्रोटीन के सबसे प्रचुर स्रोत हैं, इसलिए इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है।
संतुलक और सांद्रण - मुर्गियों के लिए भोजन तैयार करने के लिए, संतुलक और सांद्रण विशेष पूरक हैं जो वाणिज्यिक मुर्गी पालन भोजन कंपनियों द्वारा तैयार किए जाते हैं।
नमक - नमक सोडियम और क्लोराइड का एक प्रमुख स्रोत है और साथ ही इसे भोजन में स्वाद बढ़ाने के लिए मिलाया जाता है।
वसा - मुर्गियों में ऊर्जा स्तर को बढ़ाने के लिए भोजन में मुख्य रूप से तेल के रूप में 5% तक वसा का उपयोग किया जाता है।
पीले वर्णक - टांगों, पैरों, त्वचा और अंडे की जर्दी के पीले रंग के लिए जितना संभव हो उतना पीले मक्के के साथ-साथ ज़ैंथोफिल
(xanthophyll) के अच्छे स्रोतों, जैसे अल्फाल्फा (alfalfa) भोजन या मकई ग्लूटेन भोजन, का उपयोग किया जाता है।
मछली का तेल - मछली का तेल विटामिन ए और डी का एक भरोसेमंद स्रोत है। मुख्य रूप से इसका उपयोग मुर्गी दाना में किया जाता है। हरे साग और पर्याप्त धूप न होने पर मछली का तेल बहुत प्रभावी विकल्प होता है। तेज़ी से विकास और अच्छा स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए चूज़ों का आहार प्रोटीन और सांद्रण से समृद्ध होना चाहिए। चूज़ों को दिन में दो बार भोजन दें ताकि भोजन की खपत अधिक हो।
पोषण तत्वों की कमी के कारण मुर्गियों में ख़राब तबियत, पैर की समस्या, पंखों का खराब होना, अंडे के छिलके पतले होना, अंडे का उत्पादन गिरना, आसानी से संक्रमण होना, प्रोटीन की कमी आदि जैसी स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं उत्पन्न हो जाती है। पक्षियों में पोषण तत्वों की कमी बहुत जल्दी लक्षण दिखाती है। चारे में प्रोटीन की मात्रा कम होने पर पक्षी कमज़ोर हो जाते हैं और उनमें संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इनका विकास अच्छे से नहीं होता और मांस उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ता है। अंडे देना कम हो जाता है या बंद हो जाता है। चारे में कैल्शियम की कमी के कारण पक्षी ऐसे अंडे देते हैं जिनमें या तो कोई खोल नहीं होता है या नरम खोल होता है जिससे अंडे जल्दी टूट जाते है या फिर दूसरे पक्षियों द्वारा खा लिए जाते हैं, जिससे इनके उत्पादन पर प्रभाव पड़ता है। ऐसा होने पर मुर्गियों को अंडे खाने की आदत पड़ सकती है जो बाद में एक समस्या बन जाती है।
इन समस्याओं से बचने के लिए पक्षियों को भरपूर मात्रा में खनिज पदार्थ जैसे कि सीप या हड्डी का चूर्ण दिया जाना चाहिए। विटामिन की कमी से पक्षी ठीक से विकसित नहीं हो पाते और कमज़ोर हो जाते हैं। वे ठीक से चल नहीं पाते और पंख झड़ जाते हैं। पक्षियों के सीने में समस्या हो सकती है और पक्षियों की नाक और आंखों से स्राव हो सकता है। इसके अलावा पैर की उंगलियां अंदर की ओर मुड़ जाती हैं और पक्षियों को हिलने-डुलने में कठिनाई होती है। हालांकि आज दुनिया भर में मुर्गी पालन उत्पादक, मुर्गियों के लिए पोषणयुक्त भोजन की उच्च उत्पादन लागत से जूझ रहे हैं, जिसका मुख्य कारण मकई और सोयाबीन भोजन सहित बुनियादी भोजन सामग्री की कीमतों में अस्थिरता है। पिछले वर्षों में मक्के और सोयाबीन भोजन की कीमतें तीन गुना बढ़ गईं हैं। चूंकि मकई और सोयाबीन का मुर्गी भोजन में 90% तक का हिस्सा होता है, उच्च कीमत वाले मकई और सोयाबीन भोजन के परिणामस्वरूप वास्तविक उत्पादन लागत में वृद्धि हुई है। भोजन की उच्च लागत के कारण मुर्गी पालन कर्ताओं को कई तरह के समझौते करने पड़ते हैं। जिसमें कई बार वे भोजन की पोषण संबंधी गुणवत्ता को कम करने पर मजबूर हो जाते हैं। जिसके अधिकांश मामलों में भयानक परिणाम सामने आते हैं।
हाल के महीनों में कीमतों में इतनी तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है कि इससे उत्पादन की लागत बढ़ गई है और इससे पोल्ट्री, जलीय और डेयरी किसानों को नुकसान हो रहा है। हालांकि बढ़ती कीमतों के परिणामस्वरूप, कीमतों पर रोक लगाने के लिये पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय, वित्त मंत्रालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय और पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के अधिकारियों ने अखिल भारतीय पोल्ट्री ब्रीडर्स एसोसिएशन, सीएलएफएमए, पीएफआई के प्रतिनिधिमंडलों के साथ बैठकों की एक श्रृंखला आयोजित की है।
सोयाबीन खली और मक्के की कीमतों में बढ़ोतरी ने उत्पादन लागत को बढ़ा दिया है। पोल्ट्री क्षेत्र में ब्रॉयलर (मांस) और लेयर (अंडा उत्पादन) दोनों के मामले में, भोजन की लागत, उत्पादन लागत का लगभग 65% से 70% है, जो पिछले कुछ महीनों से लगातार बढ़ रही है। सोयाबीन भोजन की कीमतों में विशेष रूप से हाल के वर्षों में सबसे तेज़ वृद्धि देखी गई है। जुलाई, 2021 में सोयाबीन खली की औसत कीमत 85,000 रुपये प्रति टन थी, जबकि एक साल पहले यह 32,300 रुपये प्रति टन थी और 2019 में भी कीमतें समान स्तर पर थीं। सोयाबीन खली की कीमतों में बढ़ोतरी मुख्य रूप से सोयाबीन बीज की कीमतों में वृद्धि के कारण हुई है। मुर्गी पालन के लिये संबंधित भोजन की कीमतें जुलाई, 2020 में 32,000 रुपये प्रति टन से बढ़कर जुलाई, 2021 में 48,000 रुपये प्रति टन हो गई हैं, जिससे मुर्गी पालन में मांस के उत्पादन की लागत बढ़ गई है।
हमारे किसान भाइयों एवं मुर्गी पालन कर्ताओं को इस समस्या से छुटकारा दिलाने के लिए हम आज आपको मुर्गियों के लिए दाना तैयार करने की एक आसान विधि बता रहे हैं, जिसे आप घर पर ही तैयार कर सकते हैं, जिससे आप अपनी मुर्गियों को उच्च पोषण युक्त भोजन अपने घर पर ही तैयार करके दे सकते हैं। मुर्गी दाना बनाने के लिए बाजरा, मक्का, तेल, मार्बल पत्थर व अन्य आवश्यक चीजों को सही मात्रा में मिलाया जाता है, जिसके बाद मुर्गियों को देने के लिए पोषक युक्त मुर्गी का दाना घर पर ही तैयार हो जाता है।
मुर्गी दाना बनाने के लिए आवश्यक सामग्री निम्न प्रकार हैं :-
मक्का :- मक्का ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत होती है, जो पचने और भण्डारण करने में ज्यादा आसान होती है| अधिकतर देशो में मक्के को मुर्गी दाने के लिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है। सूखे मक्के के प्रति किलो की मात्रा में तकरीबन 3350 kcal और 8-13% प्रोटीन होता है|मुर्गियों के भोजन में में मक्के की 70% मात्रा मिलाई जाती है।लेकिन हमेशा यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि मक्का सदैव सूखा एवं फंगस मुक्त हो।
सोयाबीन की खली :- सोयाबीन की खली में 45-49% प्रोटीन की मात्रा होती है। सोयाबीन प्रोटीन का अच्छा स्त्रोत होने के साथ ही इसमें ट्रीप्टोफेन, थ्रेओनीन और लाइसिन भरपूर मात्रा में होती है।मुर्गियों के भोजन में तकरीबन 35% सोयाबीन की खली मिलाई जाती है।
तेल :- मुर्गियों के भोजन को अधिक ऊर्जावान बनाने के लिए तेल भी मिलाया जाता है। तेल विटामिन A,D,E और K का अच्छा स्रोत होता है। आप चावल, सोयाबीन, पाम, सूरजमुखी व अन्य तेलों का इस्तेमाल कर सकते है| मुर्गियों के भोजन में तेल की मात्रा 4% तक हो सकती है।
लाइम पत्थर पाउडर :- लाइम पत्थर पाउडर भोजन में कैल्शियम की कमी को पूरा करता है, जो पक्षियों में उनकी हड्डी का विकास करता है ।
डाई कैल्शियम फास्फेट :- मुर्गियों के शाकाहारी भोजन में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए डाई कैल्शियम फास्फेट फास्फोरस मिलाया जाता है।
सोडियम क्लोराइड (नमक) :- ब्रायलर पक्षी के भोजन को बनाने में 0.12%-0.2% सोडियम को भी मिलाया जाता है। वैसे तो सोया बीन और मक्के में कुछ सोडियम होता है, लेकिन फॉर्मूले के आधार पर कुछ मात्रा में नमक को अगल से मिलाया जाता है।
इसके अलावा मीठा सोडा (सोडियम बाई कॉर्बोनेट) मेथिओनीन थ्रेओनीन खनिज लवण, हल्दी पाउडर, बीटेन आदि कुछ सामग्रियों को मिलाकर मुर्गी का दाना तैयार किया जाता है। मुर्गी दाना बनाने के लिए आप मशीन का उपयोग भी कर सकते हैं, जो छोटी एवं बड़ी दोनों प्रकार की, बाजार में आसानी से उपलब्ध है।

संदर्भ
https://shorturl.at/dLX12
https://shorturl.at/eptU0
https://shorturl.at/ahx36
https://rb.gy/f71h4l
https://rb.gy/6x0d5k
https://rb.gy/m5a01n

चित्र संदर्भ
1. मुर्गियों को दाना देते व्यक्ति को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. दाना चुग रही मुर्गियों को दर्शाता एक चित्रण (pxhere)
3. मृत मुर्गी को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
4. फार्म में पल रही विविध प्रकार की मुर्गियों को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare)
5. सोयाबीन खली को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
6. दाना चुगती मुर्गी को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)

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