अंधविश्वास बनाम तर्क: बेहतर भविष्य के लिए हमारे समाज को कैसे बदलें?

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10-11-2023 10:11 AM
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अंधविश्वास बनाम तर्क: बेहतर भविष्य के लिए हमारे समाज को कैसे बदलें?

अंधविश्वास में पड़ा हुआ मनुष्य कई बार इस प्रकार के कार्य करता है, जो हास्यापद स्थिति पैदा कर देते हैं। अंधविश्वास मनुष्य को आंतरिक स्तर पर कमज़ोर बनाता है। वह ऐसी बातों पर विश्वास करने लगता है, जिनका कोई औचित्य नहीं होता। भारतीय समाज में तो इसकी जड़ें बहुत गहरी है। हर अच्छे-बुरे काम में अंधविश्वास की छाया दिखाई दे जाएगी। घर से निकलते हुए छींक आ जाना, बिल्ली का रास्ता काट देना, पूजा के दीए का बीच में बुझ जाना, आधी रात में कुत्ते भौंकना या उल्लू का रोना इत्यादि बातें है, जिससे लोग सदियों से डरते आ रहे हैं। भाग्य और अंधविश्वास के प्रति हर संस्‍कृति की अपनी अपनी विचारधारा है। हमारी भारतीय संस्कृति में अनेक उपसंस्कृतियाँ विद्यमान हैं। जैसे-जैसे भारत में शैक्षिक स्‍तर बढ़ रहा है, हमारी संस्कृति में अंधविश्वासों को पहचानने की क्षमता बढ़ रही है। फिर भी कुछ पढ़े-लिखे लोग अंधविश्वास पर आज भी यकीन करते हैं। आइए उन अंधविश्वासों की एक सूची देखें जो हमारे लिए सौभाग्य और किस्मत लेकर आते हैं। इसके अलावा, आइए कुछ अंधविश्वासों पर गौर करें जिनका वैदिक प्रथाओं में कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और फिर भी भय और अज्ञानता के कारण भारत में पनप रहे हैं।
भारतीय अंधविश्वासों से बचना कठिन है। यहां कोई व्‍यक्ति उल्‍टे हाथ में प्रसाद ले ले तो उसे उतने में ही सुना दिया जाता है। दरअसल, भारतीयों में बहुत सारे अंधविश्वास हैं जिनमें से कई पैसों से जुड़े हैं। इस प्रकार, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि भारत में संपत्ति के संबंध में भी अंधविश्वास शामिल है।भारतीय रियल एस्टेट (real estate) बाजार में हमेशा वास्तु अनुरूप घरों की मांग की जाती है। पूर्व और उत्तर-पश्चिम मुखी घरों की मांग अधिक होती है क्योंकि उन्हें भाग्यशाली माना जाता है।
भारत में एक और चार नंबर को शुभ माना जाता है और 8 नंबर को नहीं , क्योंकि आठ को कर्म के स्वामी शनि का दिन माना जाता है। इसलिए, घर को उनकी निगरानी से बचाना ही बेहतर होता है। 3 अंक को भी ज्‍यादा शुभ नहीं माना जाता है कुछ लोग कहते हैं कि यह जोड़ों या परिवारों के लिए भाग्यशाली नहीं होता है, जबकि अन्य इसे तटस्थ मानते हैं। भारत में अंकज्योतिष और ज्योतिष साथ-साथ चलते हैं। इस प्रकार, किसी भी बांड (bond) पर हस्ताक्षर करने से पहले दोनों कारकों को देखना अच्छा माना जाता है, जिसमें कोई नया उत्पाद लॉन्च (launch) करना या यहां तक ​​कि कोई नई संपत्ति खरीदना भी शामिल है। आप किसी विशेषज्ञ से सलाह ले सकते हैं जो आपको शुभ दिन ढूंढने में मदद कर सकता है। धनतेरस या दिवाली पर प्रॉपर्टी खरीदना सबसे अच्छा माना जाता है. ग्रह प्रवेश से पहले दरवाजे पर नारियल फोड़ना शुभ माना जाता है। यह देवताओं को प्रसन्न करने के लिए उन्हें चढ़ाई जाने वाली एक प्रतीकात्मक भेंट होती है।
-शरीर का दाहिना भाग आध्यात्मिक पक्ष का प्रतीक है, जबकि बायाँ भाग भौतिक पक्ष का। पैसों के मामले में झगड़े और अराजकता से बचने के लिए पहला कदम दाहिने पैर से रखा जाता है।
-गिरा हुआ दूध शुभ नहीं माना जाता. लेकिन ग्रह प्रवेश के दिन दूध का छलकना प्रचुरता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। अत: जिस शुभ दिन -आप अपने नए घर में प्रवेश करें उस दिन दूध जरूर उबालें।
-भारत में अंधविश्वासों के सामान्य उदाहरणों में शामिल हैं:
-काली बिल्ली का सड़क पार करना दुर्भाग्य का प्रतीक है.
-कौवे का काँव-काँव करना यह संकेत देता है कि मेहमान आ रहे हैं.
-मछली खाने के बाद दूध पीने से त्वचा संबंधी रोग हो जाते हैं
-नेवले को देखना सौभाग्य का प्रतीक है
-हथेलियों में खुजली का मतलब है कि पैसा आपके पास आने वाला है।
उत्तर भारत में नींबू को शुभ माना जाता है और अनेको अनुशठान में इसका प्रयोग किया जाता है। नींबू और मिर्च के गाठ-बन्धन नए घरों और दुकानो के द्वार पर लगाया जाता है। माना जाता है कि यह बुरे आत्माओं और अपशगुन दूर करवाता है। इस गाठ-बन्धन का नाम नज़र-बट्टू है और इस्मे 7 मिर्च और 1 नींबू का प्रयोग होता है। नज़र बट्टू को दैनिक, साप्ताहिक या पाक्षिक बदला जाता है। अंधविश्‍वास का प्रचलन भारत ही नहीं वरन् विश्‍व संस्‍कृति में देखा जा सकता है. आइए देखते हैं अंधविश्‍वास के कुछ उदाहरण:
पश्‍चिमी संस्‍कृति में 13 नंबर से जुड़ा अंधविश्‍वास: मानव विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर (शिक्षण) यूएससी डोर्नसाइफ के टोक थॉम्पसन (USC Dornsife’s Tok Thompson) बताते हैं कि पश्चिमी संस्‍कृति में लोगों को शुक्रवार की 13 तारीख का इतना खौफ है कि कईयों को इसके कारण ट्राइस्काइडेकाफोबिया (triskaidekaphobia) नामक मनोविकार भी हो जाता है। उन्होंने कहा कि 13 अंक का डर पश्चिमी संस्कृति में इतना व्याप्त है कि कई होटलों, हवाई अड्डों और कार्यालयों में 13वीं मंजिल नहीं है! चीनी (Chinese) संस्‍कृति में यही मान्‍यता 4 नंबर के लिए है। कोई भी शुभ कार्य 4 तारीख को नहीं किया जाता है। इस नंबर को मृत्‍यु का धोतक भी माना जाता है।स्पेनिश (Spanish) परंपरा में शुक्रवार 13 तारीख़ अशुभ नहीं है, बल्कि मंगलवार 13 तारीख़ अशुभ मानी जाती है।
चीन में माना जाता है कि रात्रिभोज में निकलते समय पहले दाहिने पेर को बाहर रखना चाहिए।इनका मानना है कि अपने मेज़बान को उपहार के रूप में घड़ी या छाता न दें। माना जाता है कि घड़ी अंत का प्रतीक है तो वहीं छाता अंतिम विदाई का प्रतीक है। उपहार के लिए सफेद रैपिंग पेपर का उपयोग न करें या सफेद फूल न दें, क्योंकि यह आम तौर पर शोक से जुड़ा होता है।
किसी उत्सव में सफेद रंग के साथ-साथ काले रंग की पोशाक पेहनने से बचा जाता है क्‍योंकि इन्‍हें दुर्भावनापूर्ण और मृत्यु से जुड़ा माना जाता है ; लाल रंग को शुभ माना जाता है, क्योंकि रक्त जीवन का प्रतीक है। चीन में खाने के बाद चौप स्टिक (chop stick) को कटोरे के बाहर रखना अशुभ माना जाता है इन्‍हें कटोरे के ऊपर रखें। अंधेरे में घर जाते समय सीटी बजाने को मना किया जाता है, क्यूंकि मान्यता हैं कि इससे भूत आकर्षित होते हैं। यदि आप उल्लू को देख लेते हैं या उसकी आवाज सुन लेते हैं, तो यह दुर्भाग्य की बात मानी जाती है क्योंकि यह आपदा या मृत्यु का प्रतीक है। हालाँकि, यहां अगर कोई बिल्ली आपका रास्ता काट दे, तो आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है - चीन में बिल्लियों को आम तौर पर सौभाग्यशाली माना जाता है; धन के साथ उनका जुड़ाव जापान में उत्पन्न हुआ लेकिन चीनी संस्कृति में इसे अपनाया गया है।
नए साल से जुड़े कुछ अंधविश्‍वास: स्पेन (spain) में नए साल की पूर्व संध्या पर आधी रात होते ही 12 अंगूर खाने का रिवाज है, ताकि आने वाले साल के लिए शुभकामनाएं मिल सकें।
क्यूबा (Cuba) के लोग जब भी रम की बोतल खोलते हैं, तो वे अपने पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु जानबूझकर पहली कुछ बूंदें फर्श पर गिराते हैं। संक्षेप में समझें तो "अंधविश्वास" वाकई में हमारे व्यक्तिगत और पूरे समाज के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। हालाँकि सभी मान्यताओं को अंधविश्वास मान लेना भी एक बहुत बड़ी भूल होगी। इसे एक उदाहरण से समझिये: हाल ही में कोरोना महामारी के दौरान पूरी दुनियां में लोगों को 2 गज से अधिक की दूरी बनाकर रखने के लिए कहा गया था, जिसके पीछे का सीधा सा तर्क यही था कि कोरोना वाइरस एक दूसरे के संपर्क में आने से फ़ैल रहा था। अब सोचिये आज से सौ या दो सौ साल बाद जब किसी व्यक्ति को बिना कारण बताएं एक दूसरे से दूरी बनाकर चलने के लिए कहा जायेगा तो वो व्यक्ति तो इसे अंधविश्वास ही समझेगा। ठीक ऐसा ही कुछ हमारे साथ आज हो रहा है। वास्तव में हम किसी भी परम्परा या मान्यता को केवल इसलिए अंधविश्वास मान रहे हैं, क्यों कि हम इनके शुरू होने के वास्तविक कारणों को नहीं जानते हैं। हो सकता है कि जो चीजें आज के समय में अतार्किक और अंधविश्वासी प्रतीत हो रही हों, वही चीजें या मान्यताएं पहले के समय में पूरी तरह से तार्किक हो। इसलिए किसी भी परम्परा को आँख बंद करके स्वीकार या अस्वीकार करने से पहले उसके शुरू होने के कारणों को तलाशना जरूरी है।

संदर्भ:

https://tinyurl.com/2zjuc6y7
https://tinyurl.com/4b6v4y7s
https://tinyurl.com/y462dsfs
https://tinyurl.com/wxvzaf3u

चित्र संदर्भ
1. काली बिल्ली की आँखों को दर्शाता एक चित्रण (PxHere)
2. नींबू की लटकन को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)
3. सोने के गहनों को दर्शाता एक चित्रण (Astrotalk)
4. नीली आँख वाली काली बिल्ली को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. उल्लू को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)

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