पुरापाषाण काल में श्रृंगार से शुरू होता हुआ, रामपुर के शाही आभूषणों तक का चमचमाता सफर

जन- 40000 ईसापूर्व से 10000 ईसापूर्व तक
18-10-2023 09:58 AM
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पुरापाषाण काल में श्रृंगार से शुरू होता हुआ, रामपुर के शाही आभूषणों तक का चमचमाता सफर

आभूषणों और गहनों जैसे सहायक सामान (Accessories) हमेशा से ही भारतीय संस्कृति का एक अहम् हिस्सा रहे हैं। ये आभूषण हमें इन्हें पहनने वाले लोगों की जीवनशैली के बारे में भी जानकारी देते हैं। भारत में आभूषणों की कहानी पत्थर और अर्ध-कीमती सामग्रियों से बने साधारण मोतियों के साथ शुरू होती है। इन्हें ऊपरी पुरापाषाण “Upper Paleolithic” (40,000-10,000 साल पहले) और मेसोलिथिक “Mesolithic” (9000-7000 ईसा पूर्व) काल के दौरान निर्मित किया गया था। हमें इस बात के भी प्रमाण मिलते हैं कि मध्य पाषाण काल के दौरान लोग अपने मृत परिजनों को हड्डियों तथा सींगों से बने गहनों के साथ ही दफनाते थे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, वैसे-वैसे हमारे पूर्वजों ने अधिक जटिल और नक्काशीदार आभूषण तथा गहने बनाना शुरू कर दिया। वर्तमान पाकिस्तान में मेहरगढ़ की साइट (Site) पर 7000-2600 ईसा पूर्व निर्मित, आभूषणों के कई उदाहरण देखने को मिलते हैं, जिनमें स्टीटाइट (Steatite), कारेलियन (Carnelian), चूना पत्थर, हड्डी, एंटलर (Antler) और यहां तक कि कुछ अन्य सामग्रियों से बने मोती, लटकन या पेंडेंट (Pendant), अंगूठियां और ताबीज आदि शामिल हैं। लगभग 2600-1900 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी सभ्यता के दौरान भी आभूषण निर्माण में बड़ी प्रगति देखी गई। इस दौरान मोतियों की ड्रिलिंग (Drilling), उन्हें सही आकार देने और रंगने के लिए नई तकनीकों का भी आविष्कार किया गया। हड़प्पा में खोजी गई टेराकोटा मूर्तियां (Terracotta Sculptures) हमें दिखाती हैं कि उस समय के पुरुष और महिलाएं कौन-कौन से गहने या आभूषण पहनते थे।
इनमें बाजूबंद, कंगन, हार, करधनी, कान के झुमके और लटकन आदि शामिल थे। इस दौरान पुरुष और महिलाए दोनों ही सजावटी हेड ड्रेस (Decorative Headdress) पहनते थे। शुरुआती दिनों में, लोग गहने बनाने के लिए कंकड़, जानवरों की खाल, सीपियाँ, धागे और क्रिस्टल (Crystal) या पत्थर जैसी साधारण सामग्रियों का उपयोग करते थे। इनका उपयोग सिर्फ सजावट के लिए ही नहीं, बल्कि सम्मान, प्रभुत्व और रुतबा दिखाने के लिए भी किया जाता था। लगभग 5000 वर्ष पहले भारत, पूरे विश्व में मोतियों का अग्रणी उत्पादक और निर्यातक देश हुआ करता था। हीरे और हीरे की ड्रिल (Diamond Drills) दोनों का आविष्कार भारत में ही हुआ था। सिंधु घाटी सभ्यता के लोग कारेलियन (Carnelian), एगेट (Agate), फ़िरोज़ा (Turquoise), फ़ाइनेस (Faience), स्टीटाइट और फेल्डस्पार (Steatite And Feldspar) जैसी अर्ध-कीमती सामग्रियों से भी गहने, आभूषण या अन्य वस्तुएं बनाते थे। इसका एक उदाहरण हमें “मोहनजोदड़ो के हार” के रूप में देखने को मिलता है, जिसे वर्तमान में दिल्ली राष्ट्रीय संग्रहालय की आभूषण गैलरी में प्रदर्शित किया गया है। यह हार लगभग 5,000 साल पुराना है और बैंडेड एगेट तथा जेड मोतियों (Banded Agate And Jade Beads) से बने पेंडेंट (Pendant) से बना है, जिसे मोटे सोने के धागे से पिरोया गया है।
हालांकि यदि हम विश्व स्तर पर देखें तो, यूरेशिया (Eurasia) में खोजी गई और हाथीदांत से बनी एक लटकन या पेंडेंट (Pendant) को मनुष्यों द्वारा निर्मित सबसे पुराना ज्ञात फैंसी आभूषण माना जाता है। इसे पोलैंड की स्टैजनिया गुफा (Stajania Cave, Poland) में खोजा गया था। यह अंडाकार पेंडेंट, 4.5 सेंटीमीटर लंबा और 1.5 सेंटीमीटर चौड़ा है । पेंडेंट में दो छेद और 50 अन्य छोटे निशान हैं जो एक लूपिंग वक्र (Looping Curve) बनाते हैं। हालाँकि, हम नहीं जानते कि इन निशानों का मतलब क्या है, लेकिन ये निशान एक गिनती प्रणाली, चंद्रमा के अवलोकन, या किसी अन्य मान्यता का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। वस्तुओं का दिनांकन करने वाले एक नए तरीके का उपयोग करते हुए, शोधकर्ताओं ने पाया कि यह पेंडेंट ऊनी मैमथ (Woolly Mammoth) के दांत से बना है और लगभग 41,500 साल पुराना है। यह पेंडेंट अन्य साइटों पर पाई गई, अन्य समान कलाकृतियों की तुलना में हजारों साल पुराना है। हालाँकि, इन मोतियों के बारे में हम अभी भी बहुत कम जानते हैं। उदाहरण के लिए, हम यह नहीं जानते कि वे कहाँ बनाये गये थे। एक सिद्धांत यह है कि इसे बनाने के लिए, हाथी दांत ट्रांस-बाइकाल या मंगोलिया (Trans-Baikal Or Mongolia) से लाए गए होंगे और फिर साइबेरिया (Siberia) में इसे पेंडेंट के रूप में बदल दिया गया होता। एक संभावना यह भी है कि, इसके मोतियों को कहीं और बनाया गया और फिर इन्हें साइबेरिया लाया गया हो। जिस गुफा में यह खोजा गया, उसी गुफा में पाई गई अन्य वस्तुओं में एक “सूआ” भी शामिल है, जो छेद करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक नुकीला उपकरण है। ब्रिटेन के लेस्टर विश्वविद्यालय (University Of Leicester) के पुरातत्वविद् लॉरा बेसेल (Laura Bessel) के अनुसार जिसने भी इन कलाकृतियों को बनाया है उसके पास स्पष्ट रूप से अपनी भाषा हुआ करती थी। इस पेंडेंट के मोतियों को बहुत ही खूबसूरती से तैयार किया गया है, जिससे पता चलता है कि हजारों साल पहले भी हमारे पूर्वज कलात्मक और ड्रिलिंग कौशल (Drilling Skills) के उस्ताद हुआ करते थे।

संदर्भ
https://tinyurl.com/554jxwfu
https://tinyurl.com/2tmx83c7
https://tinyurl.com/34x9ep28
https://tinyurl.com/4f8s669m
https://tinyurl.com/44w5ef54
https://tinyurl.com/36dd7c3v

चित्र संदर्भ
1. पुरापाषाण काल के श्रृंगार को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. सामूहिक रूप से बैठे आदिमानवों को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
3. पेंडेंट के साथ मनके के हार को संदर्भित करता एक चित्रण (wmuzeach)
4. मैग्डलेनियन की हड्डी से निर्मित सिलाई की सुई को दर्शाता एक चित्रण (worldhistory)
5. यूरेशिया में खोजी गई और हाथीदांत से बनी एक लटकन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)


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